Swami Prasad Maurya का विवादास्पद बयान: ‘तिरुपति बालाजी मंदिर है भगवान बुद्ध का’

Swami Prasad Maurya का विवादास्पद बयान: भारतीय राजनीति में बयानबाजी का दौर कभी थमने का नाम नहीं लेता। हाल ही में, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने एक बार फिर विवाद को जन्म दिया है। उन्होंने तिरुपति बालाजी मंदिर को भगवान बुद्ध का मंदिर बताते हुए कहा कि यह भारत की छवि को दुनिया में धूमिल कर रहा है।
स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान
प्रयागराज में विश्व बौद्ध महोत्सव की तैयारी के लिए आए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि “भारत की छवि दुनिया में भ्रष्टाचार और पाखंड के कारण खराब हो रही है। यह मानवता के खिलाफ है। बौद्ध धर्म सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करके सबको एकजुट करता है। यही कारण है कि अधिकांश विकसित देशों के लोगों ने बौद्ध धर्म को अपनाया है।”
उन्होंने आगे कहा कि “तिरुपति बालाजी, जगन्नाथ पुरी जैसे सभी प्राचीन मंदिर भगवान बुद्ध के हैं। उन्हें भगवान शंकर, विष्णु और लक्ष्मी के रूप में प्रचारित किया गया है।” उनके इस बयान ने धार्मिक और सांस्कृतिक विवाद को जन्म दिया है, जिसमें उनके दावे पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं।
बौद्ध धर्म की प्रासंगिकता
स्वामी प्रसाद मौर्य ने बौद्ध धर्म के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि यह धर्म सभी वर्गों को एकजुट करता है। उनका यह कहना है कि बौद्ध धर्म में भेदभाव का कोई स्थान नहीं है, और यह सभी मानवों के लिए एक समानता का संदेश देता है। उनके अनुसार, विश्व स्तर पर बौद्ध धर्म का स्वीकार किया जाना इस बात का प्रमाण है कि यह धर्म आज के समय में भी प्रासंगिक है।
अयोध्या में खुदाई का दावा
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अयोध्या में खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध के अवशेष मिलने का दावा भी किया। उन्होंने कहा कि “अयोध्या में तीन बार खुदाई की गई, और तीनों बार बुद्ध के अवशेष मिले।” उन्होंने यह भी कहा कि इसके बाद खुदाई को रोक दिया गया। उनका यह दावा अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से संबंधित विवादों को एक नया मोड़ दे सकता है, जहां पहले से ही धार्मिक भावनाओं का खेल चल रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। कई नेताओं ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा के नेता इस बयान को सिरे से खारिज कर रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे धर्म के नाम पर राजनीति करने का एक और प्रयास मान रहा है।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान को उनकी राजनीतिक मानसिकता का परिणाम बताते हुए कहा है कि वे बौद्ध धर्म के प्रति अनादर दिखा रहे हैं। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि तिरुपति बालाजी और अन्य मंदिरों का महत्व भारतीय संस्कृति में अद्वितीय है और इसे किसी भी सूरत में कम नहीं किया जा सकता।
समाजवादी पार्टी की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी ने स्वामी प्रसाद के बयान का समर्थन करते हुए कहा है कि यह विचार करना आवश्यक है कि हमारे धार्मिक स्थलों का इतिहास क्या है। पार्टी ने इस बात पर जोर दिया कि सभी धार्मिक स्थलों का सम्मान होना चाहिए और ऐतिहासिक तथ्यों का सही-सही मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान ने धार्मिक भावनाओं को एक नया मोड़ दिया है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का समावेश है। ऐसे में, किसी भी धार्मिक स्थल को विशेष धार्मिक पहचान देना या उसके ऐतिहासिक महत्व को नकारना समाज में तनाव पैदा कर सकता है।
बौद्ध धर्म का भारत में इतिहास
बौद्ध धर्म का भारत में एक समृद्ध इतिहास है। गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की, जिसने मानवता को अहिंसा, प्रेम और करुणा का संदेश दिया। भारतीय संस्कृति में बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान है, और आज भी कई लोग इसे अपनाते हैं।