UP News: यूपी सरकार का नया अध्यादेश, खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रस्ताव

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में, हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। यह कदम खाद्य पदार्थों में मिलावट, विशेषकर गाज़ियाबाद में एक पेय पदार्थ में पेशाब मिलाने के मामले की गंभीरता को देखते हुए उठाया जा रहा है। सरकार ‘उत्तर प्रदेश धोखाधड़ी और एंटी-हार्मनी एक्टिविटी और थूकने की मनाही अध्यादेश-2024’ लाने की तैयारी कर रही है। इस अध्यादेश का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बचाना है।
घटना की पृष्ठभूमि
कुछ हफ्ते पहले, गाज़ियाबाद में एक घटना सामने आई जिसमें एक दुकान पर पेशाब मिलाने का मामला उजागर हुआ। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा किया बल्कि पूरे प्रदेश में खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को भी गंभीर बना दिया। मुख्यमंत्री ने इस घटना पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि खाद्य पदार्थों में किसी भी प्रकार की मिलावट बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने 24 सितंबर को निर्देश दिया था कि खाद्य सुरक्षा और मानकों के अधिनियम में संशोधन किया जाए ताकि खाद्य पदार्थों की शुद्धता और पवित्रता सुनिश्चित की जा सके।
उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन
इस अध्यादेश पर विचार-विमर्श के लिए आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की जा रही है। इस बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह दीपक कुमार, गृह विभाग के कानून अधिकारी आशीष सिंह, खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन के प्रधान सचिव पी. गुरु प्रसाद, पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार, और उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जैसे कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।
मिलावट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की योजना
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इस अध्यादेश के तहत मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, होटल और रेस्तरां में सीसीटीवी कैमरे लगाने, सभी कर्मचारियों की पुलिस जांच कराने और रसोइयों और वेटरों के लिए मास्क और दस्ताने पहनना अनिवार्य करने की व्यवस्था की जाएगी। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में कोई समझौता न हो और ग्राहकों को सुरक्षित और स्वच्छ भोजन मिल सके।
जनता की प्रतिक्रिया
इस कदम को लेकर जनता की प्रतिक्रिया मिश्रित है। कई लोग इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं और इसे एक सकारात्मक कदम मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे चुनावी राजनीति का हिस्सा मानते हैं। विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि सरकार को खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।