Rajnandgaon: नगर निगम की आमसभा में कांग्रेस-भाजपा पार्षदों के बीच हुई मारपीट

Rajnandgaon: छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव नगर निगम की आमसभा में कांग्रेस और भाजपा के पार्षदों के बीच हाथापाई की घटना सामने आई है। इस घटना ने नगर निगम की कार्यप्रणाली और राजनीतिक वातावरण को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है। बैठक में 11 विषयों पर चर्चा होनी थी, लेकिन 10:30 बजे सुबह शुरू हुई इस बैठक में जमकर हंगामा हुआ। भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों ने नगर निगम प्रशासन पर कर्मचारियों के वेतन भुगतान में असमर्थता, साथ ही शहर में पीने के पानी की सप्लाई प्रणाली पर सवाल उठाए।
सभा का हंगामेदार माहौल
बैठक की शुरुआत से ही हंगामा होने लगा। पार्षदों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू कर दिए। कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद कुलबीर सिंह छाबड़ा ने भाजपा के पार्षद गगन ऐच के भाषण पर आपत्ति जताई, जिसके कारण दोनों दलों के पार्षदों के बीच तीखी बहस हुई। इसके चलते सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया।
धरने का ऐलान
हंगामे के बीच, बसंतपुर राजीव नगर वार्ड के पार्षद ऋषि शास्त्री सदन से बाहर आ गए और सभा कक्ष के गेट के सामने धरने पर बैठ गए। उन्होंने निगम अधिकारियों पर अपने वार्ड की समस्याओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया। यह धरना इस बात का संकेत था कि पार्षदों में नाराजगी बढ़ रही है और वे अपने क्षेत्र के मुद्दों को लेकर गंभीर हैं।
सड़क के नामकरण पर विवाद
सदन के पुनः प्रारंभ होते ही, भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों के बीच तिरंगा चौक और गंज चौक के बीच सड़क के नामकरण को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ। इस विवाद ने तीव्र रूप धारण कर लिया, जब भाजपा के पार्षद शारद सिन्हा और कांग्रेस के पार्षद गणेश पवार के बीच झड़प हो गई।
इस झड़प में उन पार्षदों ने भी हिस्सा लिया जो मध्यस्थता करने का प्रयास कर रहे थे। इस पूरी घटना से नगर निगम का माहौल पूरी तरह से बिगड़ गया। इसके बाद पुलिस भी नगर निगम में पहुंची। झड़प के कारण सदन को 20 मिनट के लिए फिर से स्थगित कर दिया गया।
राजनीतिक तनाव की स्थिति
इस घटना ने राजनंदगांव में राजनीतिक तनाव की स्थिति को उजागर किया है। दोनों पक्षों के पार्षदों के बीच की यह लड़ाई न केवल नगर निगम की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर रही है, बल्कि इससे आम जनता की समस्याओं का समाधान भी अटक गया है।
राजनंदगांव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के पार्षद एक-दूसरे पर आरोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय राजनीति में तनाव बढ़ रहा है और इस तनाव का असर नगर निगम के कामकाज पर पड़ रहा है।
आम जनता की समस्याएं
नगर निगम में पार्षदों के बीच हो रहे इस विवाद के बीच, आम जनता की समस्याएं पीछे छूटती जा रही हैं। कर्मचारियों के वेतन में देरी, पीने के पानी की कमी और अन्य आवश्यक सेवाओं का न मिलना जनता के लिए गंभीर मुद्दे बन चुके हैं। ऐसे में जब पार्षद अपनी राजनीतिक लड़ाई में उलझे हुए हैं, तो जनता को अपनी समस्याओं का समाधान नहीं मिल पा रहा है।
नगर निगम के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे जनता की समस्याओं को सुनें और उन्हें हल करने की दिशा में ठोस कदम उठाएं। लेकिन जब पार्षद खुद ही हंगामे में लगे हैं, तो अधिकारियों को उचित दिशा-निर्देश देना मुश्किल हो जाता है।
समाधान की दिशा में कदम
राजनंदगांव नगर निगम की इस स्थिति को सुधारने के लिए सभी दलों को मिलकर काम करना होगा। यदि पार्षद अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को भुलाकर जनता के हित में कार्य करने का प्रयास करें, तो निश्चित रूप से नगर निगम के कामकाज में सुधार आ सकता है।
अधिकारी और पार्षदों को चाहिए कि वे बैठक के दौरान विवादों से बचें और चर्चा को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाएं। यदि ऐसा होता है, तो न केवल नगर निगम की कार्यप्रणाली में सुधार होगा, बल्कि जनता की समस्याओं का समाधान भी संभव हो सकेगा।