ज्ञानवापी विवाद पर मंत्री संजय कुमार निषाद का बयान: “राम मंदिर की तरह बनेगा बाबा विश्वनाथ का मंदिर”
ज्ञानवापी केस: वाराणसी के काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद की सुनवाई शुक्रवार (22 नवंबर) को हुई। इस दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद के वजूखाने का ASI सर्वे करने की मांग की और शिवलिंग जैसे संरचना की वैज्ञानिक जांच की भी अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग पर मस्जिद पक्ष को नोटिस जारी किया। इस मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी। इसी बीच यूपी मंत्री संजय कुमार निषाद का भी बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने मुसलमानों को कड़ी चेतावनी दी और कहा कि जैसे राम मंदिर बनकर रहेगा, वैसे ही बाबा विश्वनाथ का मंदिर भी बनेगा।
ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की मांग
ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग जैसी संरचना की पहचान करने को लेकर विवाद चल रहा है। हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को उठाया था, जिसमें उन्होंने वजूखाने में पाए गए शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की मांग की। उनका कहना है कि ASI द्वारा किए गए सर्वे में यह स्पष्ट हो जाएगा कि वजूखाने में जो संरचना है, वह शिवलिंग है या फिर कोई फव्वारा। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह संरचना एक फव्वारा है, न कि शिवलिंग।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर मस्जिद पक्ष को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हम पहले ही 16 मई 2022 को यह दावा कर चुके थे कि वजूखाने में एक शिवलिंग पाया गया है। हालांकि, अनजुमन इंतिजामिया ने इस पर विवाद करते हुए कहा कि यह एक फव्वारा है, न कि शिवलिंग।
मंत्री संजय कुमार निषाद का बयान
उत्तर प्रदेश के मंत्री संजय कुमार निषाद ने ज्ञानवापी मामले पर बयान देते हुए कहा कि भारत भारतीयों का है। उनका कहना था, “जब इस्लाम में विवादित स्थान पर पूजा करना अपराध है, तो उन लोगों को इस धरती को छोड़ देना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि अदालत जो फैसला देगी, वह सभी के लिए मान्य होगा और ठीक उसी तरह जैसे राम मंदिर का निर्माण हुआ, उसी तरह बाबा विश्वनाथ का मंदिर भी बनेगा। उनके इस बयान ने एक बार फिर इस विवाद को गर्मा दिया है।
ASI सर्वे में बाधाएं और अन्य जानकारी
ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में कई बाधाएं सामने आई हैं। ASI द्वारा किए गए सर्वे में ज्ञानवापी के 12 बेसमेंट्स में से 8 बेसमेंट्स का सर्वे नहीं हो सका। इसके अलावा मुख्य गुंबद के नीचे स्थित ज्योतिर्लिंग का भी सर्वे नहीं किया जा सका। हिंदू पक्ष का आरोप है कि यह सब जानबूझकर किया गया है ताकि शिवलिंग की पहचान से बचा जा सके।
मुस्लिम पक्ष का पक्ष और आगे की स्थिति
इस मामले में मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि वजूखाने में कोई शिवलिंग नहीं है, बल्कि यह एक फव्वारा है। उन्होंने इसे लेकर कई बार आपत्ति जताई है और इसका सर्वे कराने से इनकार किया है। अब, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मुस्लिम पक्ष से जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके बाद यह देखना होगा कि मुस्लिम पक्ष इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या वह सर्वे कराने के लिए तैयार होगा या नहीं।
ज्ञानवापी मस्जिद के विवाद पर जारी कानूनी लड़ाई एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आ चुकी है। जहां हिंदू पक्ष शिवलिंग की पहचान और उसकी वैज्ञानिक जांच की मांग कर रहा है, वहीं मुस्लिम पक्ष इसे केवल एक फव्वारा मानता है। मंत्री संजय कुमार निषाद का बयान इस विवाद को और भी उभारने वाला है, क्योंकि उन्होंने राम मंदिर की तर्ज पर बाबा विश्वनाथ मंदिर के निर्माण का समर्थन किया है। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट के हाथों में है, और 17 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई के बाद इस मामले में नया मोड़ आ सकता है।