झांसी मेडिकल कॉलेज में भीषण आग, 3 बच्चों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट की मांग बढ़ी

झांसी मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात को लगी भीषण आग ने पूरे उत्तर प्रदेश को झकझोर दिया। इस घटना में दस मासूम बच्चों की जान चली गई, जबकि कई बच्चे गंभीर रूप से झुलस गए और अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस आग के कारण झांसी के लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के बच्चों के वार्ड में 37 बच्चे जलकर घायल हुए थे, जिनमें से 10 बच्चों की मौत हो गई। इस बीच, तीन बच्चों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। ये बच्चे आग के कारण इस हद तक जल गए हैं कि उनके माता-पिता भी उन्हें पहचानने में असमर्थ हैं, और अब उनकी पहचान के लिए डीएनए टेस्ट की मांग उठ रही है।
घटना पर गुस्सा और विरोध
झांसी में हुई इस दर्दनाक घटना ने न केवल राज्य बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। परिवार के सदस्य और स्थानीय लोग इस हादसे के बाद सरकार और प्रशासन के खिलाफ गुस्से में हैं। पीड़ितों के परिवार के लोग मेडिकल कॉलेज के गेट के सामने बैठकर विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि उन्हें अपने बच्चों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई और अस्पताल की अव्यवस्थाओं के कारण ही यह बड़ा हादसा हुआ। लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि कैसे बच्चों का वार्ड इतनी बड़ी आग की चपेट में आ गया।
मुख्यमंत्री का त्वरित आदेश और प्रशासन की सक्रियता
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे पर गहरी चिंता जताई और अधिकारियों से 24 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शुक्रवार सुबह से ही झांसी का दौरा किया और अस्पताल प्रबंधन व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा। प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि सभी पीड़ितों को उचित इलाज और मदद मिले।
मृतकों के परिवारों को मुआवजा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर राज्य सरकार ने मृतक बच्चों के परिवारों को 5 लाख रुपये की मुआवजा राशि देने की घोषणा की है। इसके अलावा, घायल बच्चों को 50,000 रुपये की सहायता दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मृतक बच्चों के परिवारों को 2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का वादा किया है। इस घोषणा से पीड़ित परिवारों को कुछ राहत मिली है, लेकिन उनका दुख और गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है।
घटना का विवरण और बचाव कार्य
इस भयानक हादसे के दौरान 50 से अधिक बच्चे अस्पताल में भर्ती थे। आग लगने के बाद, अस्पताल के कर्मचारियों और बचाव दल ने सक्रियता से बच्चों को बाहर निकाला और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। आग में झुलसने से 37 बच्चे घायल हो गए, जिनमें से 10 बच्चों की मौत हो गई। गंभीर रूप से जलने वाले बच्चों का इलाज अस्पताल में चल रहा है और डॉक्टरों द्वारा उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
डीएनए टेस्ट की मांग
इस घटना के बाद, तीन बच्चों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। उनके माता-पिता को उनके बच्चों के शव की पहचान में मुश्किल हो रही है क्योंकि आग के कारण शरीर पूरी तरह से जल गए हैं। ऐसे में अब डीएनए टेस्ट की मांग उठ रही है, ताकि इन बच्चों की सही पहचान की जा सके और उनके परिजनों को शव सौंपा जा सके। इस मामले को लेकर प्रशासन ने भी परिवारों के दुख को समझते हुए पूरी संवेदनशीलता के साथ आगे बढ़ने का आश्वासन दिया है।
झांसी मेडिकल कॉलेज में हुई इस भयावह आग ने न केवल परिवारों को दुखी किया है, बल्कि पूरे समाज को इस पर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हमारी स्वास्थ्य सेवाएं और अस्पताल पूरी तरह से सुरक्षित हैं। यह घटना एक चेतावनी है कि अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।