कोंडागांव: पूर्व मंत्री मोहन मरकाम का सरकार पर हमला, धान खरीदी में साजिश का आरोप

छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में पूर्व मंत्री मोहन मरकाम ने भाजपा सरकार पर धान खरीदी को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों से धान की खरीदी में साजिश रच रही है और इस बार किसानों से धान खरीदी का लक्ष्य 160 लाख मीट्रिक टन तय किया गया है, लेकिन इसे 47 दिनों के भीतर पूरा करना एक बड़ी चुनौती है। धान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था चरम पर है, और किसान परेशान होकर बार-बार अपनी धान बेचने के लिए तारीख ले रहे हैं।
धान खरीदी में अव्यवस्थाएं
धान खरीदी केंद्रों में इस बार बड़े पैमाने पर अव्यवस्थाएं देखने को मिल रही हैं। किसानों को ऑनलाइन टोकन सिस्टम के तहत 15 दिनों के बाद टोकन मिल रहा है, जिससे वे अपनी उपज बेचने में असमर्थ हो रहे हैं। इसके अलावा, किसानों को 3100 रुपये प्रति क्विंटल के बजाय केवल 2300 रुपये ही मिल रहे हैं।
धान खरीदी समितियों को प्रति दिन केवल 752 क्विंटल की सीमा तय की गई है। इस वजह से किसानों को बार-बार तारीखें लेनी पड़ रही हैं। वहीं, खरीदारी के बाद भुगतान में भी देरी हो रही है। यह समस्या केवल धान खरीदी केंद्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि मिलिंग कार्य भी प्रभावित हो रहा है।
बफर स्टॉक नीति और गनियों की कमी
धान खरीदी में बाधा के पीछे गनियों की कमी और बफर स्टॉक नीति में बदलाव को जिम्मेदार ठहराया गया है। समितियों में गनियों की भारी कमी के कारण धान का भंडारण सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा, मिलर्स को पहले प्रति क्विंटल 120 रुपये मिलते थे, लेकिन अब उन्हें केवल 60 रुपये दिए जा रहे हैं, जिससे मिलिंग का कार्य धीमा पड़ गया है।
किसानों की समस्याएं बढ़ीं
धान खरीदी में हो रही देरी और अव्यवस्थाओं के कारण किसानों की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। उन्हें बार-बार धान बेचने के लिए तारीखें बदलवानी पड़ रही हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन टोकन मिलने में देरी और भुगतान में विलंब ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है। किसानों का कहना है कि वे अपनी उपज के लिए उचित मूल्य और समय पर भुगतान चाहते हैं, लेकिन सरकार की नीतियों के कारण उनकी समस्याएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं।
सरकार पर साजिश का आरोप
पूर्व मंत्री मोहन मरकाम ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि धान खरीदी को लेकर जानबूझकर साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है और उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है। मरकाम ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय में किसानों को धान का उचित मूल्य और समय पर भुगतान मिलता था, लेकिन अब स्थिति बिल्कुल विपरीत हो गई है।
समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग
पूर्व मंत्री ने सरकार से धान का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 3217 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों के हित में फैसले लेने में विफल रही है और तत्काल समस्याओं का समाधान निकालने की आवश्यकता है। उन्होंने कांग्रेस सरकार की पुरानी नीतियों को बेहतर बताते हुए उन्हें लागू करने की अपील की।
धान खरीदी में सुधार की आवश्यकता
धान खरीदी में सुधार के लिए पूर्व मंत्री ने कुछ सुझाव दिए हैं:
- गनियों की पर्याप्त व्यवस्था: समितियों में गनियों की कमी को तुरंत दूर किया जाए।
- समितियों की सीमा बढ़ाई जाए: प्रति दिन 752 क्विंटल की सीमा को बढ़ाया जाए, ताकि अधिक किसान अपनी उपज बेच सकें।
- समय पर भुगतान: किसानों को उनकी उपज का भुगतान तुरंत किया जाए।
- समर्थन मूल्य में वृद्धि: धान का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 3217 रुपये किया जाए।
- मिलर्स को उचित प्रोत्साहन: मिलर्स को पहले की तरह प्रति क्विंटल 120 रुपये दिए जाएं, ताकि मिलिंग का कार्य सुचारू रूप से हो सके।
किसानों का संघर्ष और अपेक्षाएं
धान खरीदी की इस अव्यवस्था ने किसानों को कठिन परिस्थितियों में डाल दिया है। वे अपनी उपज के लिए उचित मूल्य और समय पर भुगतान की उम्मीद कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह किसानों की समस्याओं को गंभीरता से ले और उन्हें जल्द से जल्द राहत प्रदान करे।
कोंडागांव में धान खरीदी को लेकर किसानों की परेशानियां और पूर्व मंत्री मोहन मरकाम के आरोप सरकार के लिए एक चेतावनी हैं। यह समय है कि सरकार किसानों के हित में ठोस कदम उठाए और धान खरीदी की प्रक्रिया को सुचारू बनाए। किसानों का भला करना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि देश की कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
किसानों की समस्याओं का समाधान करके ही सरकार उनका विश्वास जीत सकती है और कृषि क्षेत्र को प्रगति की दिशा में आगे बढ़ा सकती है।