भोपाल में थम गई ट्रैफिक, 3 जिंदगियों को नया जीवन देने के लिए गिरीश यादव ने किया अंगदान

भोपाल: महात्मा गांधी के विचारों के मुताबिक जीवन का सबसे बड़ा कार्य दूसरों की मदद करना माना जाता है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश के बुधनी निवासी 73 वर्षीय गिरीश यादव ने अपने निधन के बाद तीन लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अंगदान का साहसिक निर्णय लिया। गिरीश यादव के इस फैसले ने न केवल उनके परिवार को गौरवान्वित किया, बल्कि भोपाल और इंदौर में जीवनदान देने की एक मिसाल भी पेश की।
ग्रीन कॉरिडोर से हुआ अंगदान का सफल आयोजन
8 नवंबर को भोपाल में दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए, ताकि गिरीश यादव के अंगों को सुरक्षित रूप से अस्पतालों तक पहुंचाया जा सके। यह ग्रीन कॉरिडोर बंसल अस्पताल से शुरू होकर एक एआईआईएमएस अस्पताल और दूसरा इंदौर तक था। ट्रैफिक डीसीपी संजय सिंह ने बताया कि इन ग्रीन कॉरिडोर के दौरान कई प्रमुख सड़कों पर कुछ समय के लिए ट्रैफिक रोका गया था, ताकि एंबुलेंस को बिना किसी रुकावट के अपने गंतव्य तक पहुंचाया जा सके। एंबुलेंस का सफर कुछ मिनटों में एआईआईएमएस पहुंचा, जबकि इंदौर के लिए इसे लगभग तीन घंटे का समय लगा।
गिरीश यादव का ब्रेन स्ट्रोक के बाद निधन
गिरीश यादव को कुछ दिन पहले ब्रेन स्ट्रोक आया था, जिसके बाद उन्हें बंसल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 7 नवंबर को डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इसके बाद उनके बड़े बेटे विनय यादव ने डॉक्टरों की सलाह पर अपने पिता के अंगदान करने का फैसला लिया। विनय यादव ने बताया कि उनके पिता गिरीश यादव एक प्रतिष्ठित वकील थे और उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा में समर्पित किया था। वे बुधनी कांग्रेस के सक्रिय सदस्य भी थे। इस कारण उनके परिवार ने यह निर्णय लिया कि उनके पिता का शरीर तो चला जाएगा, लेकिन उनका योगदान जीवनदान के रूप में रहेगा।
अंगदान से बची तीन जिंदगियां
गिरीश यादव का लिवर इंदौर के एक मरीज को दिया गया, जबकि उनके दोनों किडनी भोपाल और बंसल अस्पताल में लगाए गए। एक किडनी को भोपाल एआईआईएमएस में एक 21 वर्षीय लड़की को ट्रांसप्लांट किया जाएगा, जबकि दूसरी किडनी बंसल अस्पताल में एक अन्य मरीज को दी गई। इसके साथ ही उनकी आंखें गांधी मेडिकल कॉलेज को दान की गईं।
हालांकि, उनके दिल का ट्रांसप्लांट संभव नहीं हो पाया, क्योंकि उनका दिल ठीक से काम नहीं कर रहा था। डॉक्टरों ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के कारण अन्य अंग ठीक थे, लेकिन दिल की स्थिति ऐसी नहीं थी कि उसे किसी को दान किया जा सके।
गिरीश यादव के इस निर्णय ने समाज को प्रेरणा दी
गिरीश यादव के अंगदान के इस फैसले से न केवल उनके परिवार में एक नई उम्मीद की किरण जगी, बल्कि उन्होंने समाज को भी एक सकारात्मक संदेश दिया है। उनके परिवार ने साबित कर दिया कि जीवन का असली उद्देश्य दूसरों की मदद करना और समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है।
कभी अपने परिवार और समाज के लिए कार्य करने वाले गिरीश यादव ने आज अपने निधन के बाद भी तीन लोगों की जिंदगी को नया अवसर दिया। उनका यह कदम दूसरों के लिए एक प्रेरणा बना और हमें यह समझाया कि हमें जीवन के हर क्षण का सही उपयोग करना चाहिए, ताकि हम मरने के बाद भी दूसरों के लिए एक अमिट छाप छोड़ सकें।
समाज में अंगदान की जरूरत बढ़ रही है
अंगदान की इस घटना ने अंगदान के महत्व को फिर से उजागर किया है। हालांकि भारत में अंगदान की दर बहुत कम है, लेकिन गिरीश यादव जैसे लोग इस मामले में बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हैं। अंगदान से ही कई जीवन बचाए जा सकते हैं और इससे समाज में एक नई आशा और सकारात्मकता का संचार होता है।