छत्तीसगढ

महापरीक्षा में सास-बहू से लेकर पति-पत्नी, हर रिश्ते ने लड़ा इम्तहान!

कई बार ऐसा होता है जब कोई अपने जीवन में शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाता है, लेकिन कभी ना कभी उसे वह अवसर मिल ही जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ उल्लास महापरीक्षा में, जहां परिवार के कई सदस्य एक साथ परीक्षा देने पहुंचे। इस परीक्षा ने न सिर्फ विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाया, बल्कि पूरे जिले में एक नई उम्मीद और उत्साह की लहर दौड़ा दी। यह महापरीक्षा 23 मार्च को जिले में आयोजित की गई, जिसके दौरान सास-बहू, पति-पत्नी और बहन-बुआ जैसे रिश्तों का एक साथ परीक्षा देने का दृश्य देखने को मिला, जिससे यह मामला चर्चा का विषय बन गया।

शिक्षा का कोई आयु सीमा नहीं होती

“शिक्षा का कोई आयु सीमा नहीं होती” यह कहावत अब साकार होती दिखी, क्योंकि कई बुजुर्गों ने अपनी उम्र के इस पड़ाव पर अपनी शिक्षा पूरी करने और परीक्षा देने का सपना साकार किया। इस महापरीक्षा के माध्यम से बुजुर्गों को फिर से शिक्षा प्राप्त करने का एक मौका मिला है, जो अपनी उम्र के कारण पहले यह अवसर हासिल नहीं कर पाए थे।

उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत जिले में बुजुर्गों के लिए यह महापरीक्षा आयोजित की गई थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 15 साल से ऊपर के निरक्षरों को साक्षर बनाना है, ताकि उन्हें बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक शिक्षा प्राप्त हो सके। इस परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थियों का उत्साह साफ तौर पर दिखाई दे रहा था, क्योंकि उनका यह सपना कई वर्षों बाद पूरा हो रहा था।

परीक्षा में भाग लेने वाले परिवारिक सदस्य

उल्लास महापरीक्षा के दिन कई दिलचस्प दृश्य देखने को मिले। कशिपुर गांव में सास और बहू एक साथ परीक्षा देने आईं, तो झिरिया गांव में पति-पत्नी ने परीक्षा दी। वहीं, कनिदाबरी गांव में सास, बहन और बहू एक साथ परीक्षा में शामिल हुए। यह दृश्य लोगों के लिए एक अजनबी बात बन गई, क्योंकि इस उम्र में लोग अपनी पढ़ाई में रुचि रखते हुए परीक्षा दे रहे थे। गांव के लोग इस दृश्य को देखकर आश्चर्यचकित थे और कह रहे थे कि “शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती, सिर्फ दृढ़ निश्चय और मेहनत चाहिए।”

महापरीक्षा में सास-बहू से लेकर पति-पत्नी, हर रिश्ते ने लड़ा इम्तहान!

इसके अलावा, कई ऐसे विद्यार्थी भी परीक्षा में शामिल हुए, जो अपनी छोटी-छोटी संतान के साथ परीक्षा केंद्र पर पहुंचे थे। इस दृश्य ने यह साबित कर दिया कि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी शिक्षा प्राप्त कर सकता है, बशर्ते उसके पास मजबूत इच्छा शक्ति हो।

19090 विद्यार्थियों ने दी परीक्षा

उल्लास महापरीक्षा के लिए कुल 19150 विद्यार्थी पंजीकृत थे, जिनमें से 19090 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी। इस परीक्षा में 12750 महिलाएं और 6400 पुरुष शामिल हुए थे। महापरीक्षा का आयोजन जिले के 877 परीक्षा केंद्रों में किया गया था, जहां सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक विद्यार्थी परीक्षा में सम्मिलित हुए। हालांकि, इस परीक्षा में 60 विद्यार्थी अनुपस्थित रहे।

इस परीक्षा का आयोजन उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत किया गया था, जिसमें विद्यार्थियों को 200 घंटे तक बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक शिक्षा दी गई थी। यह कार्यक्रम विशेष रूप से उन लोगों के लिए था, जो जीवन में कभी साक्षरता की ओर कदम नहीं बढ़ा पाए थे।

परीक्षा की निगरानी और निरीक्षण

उल्लास महापरीक्षा की सफलता सुनिश्चित करने के लिए जिले के कलेक्टर अभिनाश मिश्रा के दिशा-निर्देशों में और जिला शिक्षा अधिकारी तजाराम जगदले की मार्गदर्शन में एक निरीक्षण टीम का गठन किया गया था। इस टीम में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी अमित तिवारी, नगरी के आर. एस. साहू, कुरूद के चंद्र कुमार, मगरलोड के मनीष कुमार ध्रुव और अन्य शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल थे, जिन्होंने विभिन्न परीक्षा केंद्रों का दौरा कर परीक्षा की स्थिति का जायजा लिया।

नई उम्मीद और शिक्षा का संचार

इस महापरीक्षा ने साबित कर दिया कि शिक्षा किसी आयु या समय की मोहताज नहीं होती। यह उन सभी के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गई है, जो अपनी उम्र और हालात के कारण कभी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए थे। यह कदम इस बात को साबित करता है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल पाठ्यक्रम पूरा करना नहीं, बल्कि जीवन को बेहतर बनाना है।

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