देहरादून की सनसनीखेज वारदात, ऑटिस्टिक स्कूल हॉस्टल में बच्चों के साथ बलात्कार और क्रूरता

उत्तराखंड के देहरादून में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक स्कूल हॉस्टल में काम करने वाले कर्मचारी ने दो ऑटिस्टिक बच्चों के साथ बलात्कार किया और उन्हें डराने के लिए मारपीट की। इस कर्मचारी ने बच्चों के शरीर पर कई जगह सिगरेट से जलाने की क्रूरता भी की। ये दोनों बच्चे उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से हैं, जिनकी उम्र 9 और 13 साल है। उनकी मां ने अप्रैल में उन्हें देहरादून के एक विशेष आवासीय स्कूल में दाखिल करवाया था, जो खासतौर पर दिव्यांग बच्चों के लिए बनाया गया है। इस घटना ने स्कूल प्रशासन और बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह भयावह घटना शुक्रवार को तब सामने आई, जब बच्चों की मां उनसे मिलने देहरादून पहुंची। मां अपने बच्चों को एक दोस्त के ऑफिस ले गई, जहां बच्चे फूट-फूटकर रोने लगे और उन्होंने अपने साथ हो रही क्रूरता की कहानी सुनाई। बच्चों ने बताया कि हॉस्टल का कर्मचारी मोनू पाल, जो 29 साल का है और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर का रहने वाला है, उनके साथ मारपीट करता था। वह उन्हें सिगरेट से जलाता था ताकि वे डर के मारे किसी से कुछ न कहें। मां ने तुरंत इसकी शिकायत स्थानीय पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की।
पुलिस ने शुरू की जांच, आरोपी गिरफ्तार
देहरादून के सिटी एसपी प्रमोद कुमार ने रविवार को बताया कि आरोपी मोनू पाल के खिलाफ बीएनएस की धारा 64(2) (बलात्कार) और 115(2) (जानबूझकर चोट पहुंचाना) के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। एसपी ने बताया कि बच्चों से चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) और स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एससीपीसीआर) के अनुवादक की मदद से बात की गई। पुलिस ने हॉस्टल में लगे सीसीटीवी कैमरों का डीवीआर जब्त कर लिया है और जांच को आगे बढ़ा रही है। पुलिस अन्य दो बच्चों के माता-पिता से भी संपर्क करने की कोशिश कर रही है, जो इस हॉस्टल में रह रहे थे।
हॉस्टल बिना अनुमति के चल रहा था
एससीपीसीआर की अध्यक्ष गीता खन्ना ने बताया कि यह हॉस्टल बिना किसी अनुमति के एक आवासीय इमारत में चलाया जा रहा था, जिसमें केवल चार कमरे थे। इस स्कूल को दिल्ली में रजिस्टर्ड एक ट्रस्ट संचालित कर रहा था, जिसने स्थानीय प्रशासन को न तो स्कूल के बारे में बताया और न ही हॉस्टल के बारे में कोई जानकारी दी। हॉस्टल में चार ऑटिस्टिक बच्चे एक ही कमरे में आरोपी के बिस्तर के पास रह रहे थे। स्कूल की मालकिन एक अन्य प्री-स्कूल भी चला रही थी, जहां 15 बच्चे पढ़ते थे, जिनमें से चार ने हॉस्टल में रहने का विकल्प चुना था। मालकिन ने बताया कि आरोपी को 16 मई को नौकरी पर रखा गया था, और तभी से वह बच्चों पर अत्याचार कर रहा था। इस घटना ने स्कूलों और हॉस्टलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत को और स्पष्ट कर दिया है।