मध्य प्रदेश

Madhya Pradesh सरकार ने फिर जारी की आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची, 15 अधिकारियों को नए पदों पर भेजा गया

Madhya Pradesh सरकार के प्रशासन विभाग ने एक बार फिर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों की तबादला सूची जारी की है। रविवार देर शाम सरकार ने 15 आईएएस अधिकारियों को नई जिम्मेदारियां सौंपी। इस सूची में प्रमुख नाम के.सी. गुप्ता का है, जिन्हें लोक निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पद से हटाया गया है। मात्र पांच महीने में ही उनके स्थान पर नया अधिकारी नियुक्त किया गया है।

लोक निर्माण विभाग में एक साल में तीसरी बार बदलाव

लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में एक साल के भीतर तीसरी बार अधिकारियों को बदला गया है। इस बार के.सी. गुप्ता को हटाकर विभाग का प्रभार अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज मंडलोई को दिया गया है, जो नई नियुक्ति तक यह जिम्मेदारी संभालेंगे। सूत्रों के अनुसार, सरकार विभाग में कार्यों की अपेक्षित गति को प्राप्त नहीं कर पा रही थी। पहले प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह, फिर डी.पी. आहूजा और अब के.सी. गुप्ता को भी उनके पद से हटाया गया।

Madhya Pradesh सरकार ने फिर जारी की आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची, 15 अधिकारियों को नए पदों पर भेजा गया

मुख्यमंत्री कार्यालय में दो नए उप सचिव

इस सूची में मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में दो नए उप सचिवों की नियुक्ति भी की गई है। यह कदम राजभवन की सिफारिश पर उठाया गया है, जिसमें प्रधान सचिव से ऊपर के अधिकारियों को नियुक्त करने का अनुरोध किया गया था। इसके अलावा, अन्य विभागों में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।

किसे मिली कौन-सी जिम्मेदारी?

तबादला सूची के अनुसार, निम्नलिखित अधिकारियों को नई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं:

  1. मुकेश चंद्र गुप्ता: राज्यपाल सचिवालय से स्थानांतरित कर मानवाधिकार आयोग के सचिव पद पर नियुक्त।
  2. छोटे सिंह: ग्वालियर के अतिरिक्त आयुक्त से पंचायत राज के निदेशक पद पर नियुक्त।
  3. दिनेश कुमार मौर्य: राजस्व विभाग के उप सचिव से खाद्य और औषधि प्रशासन के नियंत्रक।
  4. अरुण कुमार परमार: रीवा के अतिरिक्त आयुक्त से मुख्यमंत्री के उप सचिव।
  5. राजनी सिंह: वाणिज्यिक कर इंदौर की अतिरिक्त आयुक्त से श्रम आयुक्त इंदौर।
  6. मयंक अग्रवाल: खाद्य और औषधि प्रशासन के नियंत्रक से सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक।
  7. तन्वी हूडा: प्रतीक्षा सूची से वाणिज्यिक कर इंदौर की अतिरिक्त आयुक्त।
  8. नीतु माथुर: स्मार्ट सिटी ग्वालियर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से रीवा की अतिरिक्त आयुक्त।
  9. जमुना भिडे: उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग की उप सचिव से राजभवन के आदिवासी प्रकोष्ठ की सचिव।
  10. आशीष तिवारी: जल संसाधन विभाग के उप सचिव से मुख्यमंत्री के उप सचिव।
  11. सुनील दुबे: संस्कृति और पर्यटन विभाग के उप सचिव से भिंड के जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी।
  12. जगदीश कुमार गोमे: भिंड के जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त निदेशक।
  13. मनोज कुमार सरियम: सहकारी समितियों के अतिरिक्त आयुक्त से स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त निदेशक।

अतिरिक्त प्रभार सौंपे गए

  • अनुपम राजन: अतिरिक्त मुख्य सचिव को संसदीय मामलों का प्रभार।
  • राहुल नामदेव धोते: उप सचिव, जल संसाधन विभाग का अतिरिक्त प्रभार।

लोक निर्माण विभाग में सुस्ती के कारण तबादला

सरकार का मानना है कि लोक निर्माण विभाग में अपेक्षित गति से कार्य नहीं हो रहा था। यही कारण है कि बार-बार अधिकारियों को बदला जा रहा है। के.सी. गुप्ता को हटाकर उन्हें राज्यपाल के सचिवालय में नई जिम्मेदारी सौंपी गई है।

राजभवन की सिफारिश पर बदलाव

राजभवन ने हाल ही में सरकार से आग्रह किया था कि उच्च स्तर के अधिकारियों को नियुक्त किया जाए, ताकि प्रशासनिक कार्यों में और सुधार हो सके। इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय में दो नए उप सचिव नियुक्त किए गए।

तबादलों पर विशेषज्ञों की राय

प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि बार-बार होने वाले तबादलों से विभागों में अस्थिरता आ सकती है। लोक निर्माण विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग में एक साल के भीतर तीन अधिकारियों को बदलना इस बात का संकेत देता है कि सरकार विभागीय कार्यों को लेकर गंभीर है, लेकिन स्थिरता बनाए रखना भी उतना ही आवश्यक है।

कर्मचारी संगठनों की प्रतिक्रिया

कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस कदम पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ संगठनों का कहना है कि बार-बार तबादलों से अधिकारियों पर अनावश्यक दबाव बनता है, जबकि अन्य का मानना है कि यह कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी कदम है।

मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम प्रशासनिक सुधार और कार्यक्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है। हालांकि, बार-बार होने वाले तबादलों से प्रशासनिक स्थिरता पर असर पड़ सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार के यह कदम विभागीय कार्यों में कितनी गति और पारदर्शिता लाते हैं।

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