मध्य प्रदेश: इंदौर में धर्मांतरण गिरोह का भंडाफोड़, टैक्सी चालक के परिवार को 5 लाख का लालच देकर बना रहे थे निशाना

एक बड़े धर्मांतरण गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें एक टैक्सी चालक और उसके परिवार को 5 लाख रुपये और बच्चों की शिक्षा के लिए बड़े स्कूलों में दाखिले का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की जा रही थी। पुलिस ने तीन संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया है और गिरोह के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला इंदौर के लसूड़िया थाना क्षेत्र से जुड़ा है, जहां सनी मंडोत नामक एक टैक्सी चालक और उनके परिवार को ईसाई धर्म अपनाने के लिए लालच दिया गया। गिरोह के सदस्यों ने 5 लाख रुपये की पेशकश की और बच्चों की पढ़ाई के लिए शहर के प्रमुख स्कूलों में दाखिला कराने का वादा किया।
टैक्सी चालक ने कैसे की जानकारी साझा?
सनी मंडोत, जो लसूड़िया थाना क्षेत्र के निवासी हैं, आर्थिक रूप से कमजोर हैं। इस बात का फायदा उठाकर कुछ लोग उनसे संपर्क में आए और उन्हें ईसाई धर्म अपनाने की सलाह दी। उन्होंने परिवार पर कई बार दबाव बनाया और उनके घर पर जाकर बातचीत की।
इस दौरान परिवार को यह समझ में आया कि यह एक सोची-समझी साजिश है। सनी ने हिंदू जागरण मंच के सदस्यों को इस मामले की जानकारी दी। इसके बाद हिंदू संगठन के लोग धर्मांतरण कराने वाले संदिग्धों के घर पहुंचे और मौके से कई आपत्तिजनक सामग्रियां बरामद कीं।
धर्मांतरण गिरोह से जुड़े तथ्य
हिंदू जागरण मंच के नेताओं ने बताया कि मौके पर लाखों रुपये के लेन-देन के सबूत मिले हैं। इसके अलावा, कई चेकबुक और एक डायरी भी बरामद की गई, जिसमें 500 से अधिक लोगों के नाम लिखे हुए हैं। इन नामों को देखकर यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि यह गिरोह अब तक कई लोगों का धर्मांतरण कर चुका है।
गिरोह के सदस्य गिरफ्तार
मौके से कैलाश मसीह, राफेल पॉल और एंजेलिस पॉल नामक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन्हें पुलिस के हवाले कर दिया गया, जहां इनके खिलाफ जबरन धर्मांतरण कराने का मामला दर्ज किया गया है।
धर्मांतरण के लिए आर्थिक लालच का सहारा
इस मामले में यह साफ हुआ है कि धर्मांतरण गिरोह आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद परिवारों को निशाना बनाते हैं। लालच देकर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए तैयार किया जाता है। इस गिरोह ने न केवल आर्थिक प्रलोभन दिया, बल्कि बच्चों की शिक्षा के लिए बड़े-बड़े वादे भी किए।
हिंदू संगठन की भूमिका
हिंदू जागरण मंच ने इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने धर्मांतरण की कोशिश कर रहे गिरोह को बेनकाब किया और पुलिस को महत्वपूर्ण सबूत सौंपे। संगठन के अनुसार, इस मामले में कई और लोग शामिल हो सकते हैं और इस गिरोह का नेटवर्क बड़े पैमाने पर फैला हुआ है।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। प्रारंभिक जांच में यह पाया गया है कि गिरोह ने पिछले कुछ वर्षों में कई लोगों को धर्मांतरित किया है। पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों और उनके नेटवर्क की जांच में जुटी है।
धर्मांतरण से जुड़े कानून और उनकी जरूरत
भारत में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार संविधान द्वारा संरक्षित है। हालांकि, जबरन धर्मांतरण, लालच या धोखाधड़ी के माध्यम से धर्म बदलवाना कानूनन अपराध है। मध्य प्रदेश में भी धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू है, जो इस तरह के मामलों पर सख्त कार्रवाई की मांग करता है।
जबरन धर्मांतरण के बढ़ते मामले
मध्य प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में जबरन धर्मांतरण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ये गिरोह अक्सर समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बनाते हैं और उन्हें लालच देकर धर्मांतरण के लिए मजबूर करते हैं।
यह मामला समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए सतर्कता की जरूरत को रेखांकित करता है। पुलिस और हिंदू संगठनों की सक्रियता से इस साजिश का पर्दाफाश हुआ है, लेकिन यह जरूरी है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
मध्य प्रदेश सरकार और प्रशासन को न केवल ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, बल्कि समाज को जागरूक करने के लिए भी पहल करनी होगी। धर्मांतरण के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए कानून का सख्ती से पालन और समाज की सतर्कता अनिवार्य है।