बस्तर में नक्सलवाद अपने अंतिम चरण में, शांति और विकास की ओर बढ़ रहा क्षेत्र

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। सरकार की सख्त नीतियों और सुरक्षा बलों की प्रभावी रणनीति के कारण नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति लौट रही है। इसी सिलसिले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मंगलवार को नई दिल्ली स्थित आवास पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
इस बैठक में बस्तर के पूर्ण विकास, पर्यटन को बढ़ावा देने, आर्थिक गतिविधियों को तेज करने और नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने पर विस्तृत चर्चा हुई।
नक्सलवाद के खात्मे के लिए ठोस रणनीति
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने गृह मंत्री अमित शाह को अवगत कराया कि नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में है और इसे पूरी तरह खत्म करने के लिए सरकार निर्णायक कदम उठा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “राज्य और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयासों के कारण नक्सली संगठनों की पकड़ कमजोर हो रही है। अब अंतिम चरण की रणनीति के तहत बस्तर को स्थायी शांति की ओर ले जाने पर जोर दिया जा रहा है।”
आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति का असर
छत्तीसगढ़ सरकार की नई ‘आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति – 2025’ का असर अब दिखने लगा है। हाल ही में बस्तर के बीजापुर जिले में कुल 19 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 9 इनामी नक्सली भी शामिल थे। इन नक्सलियों ने सरकार की पुनर्वास योजनाओं और मुख्यधारा में लौटने की इच्छा के कारण हथियार डाल दिए।
सरकार द्वारा आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को आर्थिक सहायता और पुनर्वास योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है, ताकि वे समाज में सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें।
बस्तर में विकास कार्यों को मिलेगी रफ्तार
बैठक में बस्तर में विकास कार्यों को तेज करने पर विशेष ध्यान दिया गया। मुख्यमंत्री साय ने बताया कि सरकार क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को मजबूत कर रही है।
इसके अलावा,
- सड़क और पुल निर्माण परियोजनाओं को गति दी जा रही है, जिससे दूरदराज के गांव मुख्य मार्गों से जुड़ सकें।
- स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर इलाज उपलब्ध हो सके।
- शिक्षा में सुधार के लिए नए स्कूल और कॉलेज खोले जा रहे हैं।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
बैठक में बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए पर्यटन को बढ़ावा देने की योजनाओं पर भी चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “बस्तर की सुंदरता, जलप्रपात, जंगल और सांस्कृतिक धरोहरों को देश और दुनिया में पहचान दिलाने के लिए पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।”
युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने की पहल
बस्तर के युवाओं को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए सरकार कौशल विकास, स्वरोजगार और नए रोजगार के अवसर सृजित कर रही है।
- युवाओं को ट्रेनिंग प्रोग्राम और स्किल डेवलेपमेंट योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है।
- स्टार्टअप और स्वरोजगार योजनाओं के तहत युवाओं को आर्थिक सहायता और लोन की सुविधा दी जा रही है।
- नक्सलवाद से प्रभावित इलाकों में स्वरोजगार केंद्र और प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि स्थानीय लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके।
बस्तर: संघर्ष की भूमि से शांति और संभावनाओं का केंद्र
सरकार का उद्देश्य बस्तर को सिर्फ संघर्ष की भूमि नहीं, बल्कि शांति, विकास और संभावनाओं का केंद्र बनाना है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि बस्तर में नक्सलवाद का पूरी तरह से खात्मा कर वहां शांति और विकास का माहौल तैयार किया जाए।”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार बस्तर में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आधारभूत ढांचे को मजबूत कर रही है, ताकि वहां के लोग विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई
मुख्यमंत्री साय ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में राज्य सरकार मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, “डबल इंजन सरकार की सख्त नीतियों और सुरक्षा बलों की सतर्कता से नक्सलियों का मनोबल टूट चुका है। सरकार अब अंतिम चरण की रणनीति पर काम कर रही है, ताकि नक्सलवाद का पूरी तरह सफाया किया जा सके।”
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। राज्य और केंद्र सरकार की सख्त नीतियों और प्रभावी रणनीतियों के चलते नक्सली अब आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं।
सरकार का फोकस अब बस्तर को विकास, शांति और संभावनाओं का केंद्र बनाने पर है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और पर्यटन को बढ़ावा देकर क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक बदलाव लाने का प्रयास किया जा रहा है।
आने वाले वर्षों में यह प्रयास नक्सलवाद के खात्मे और बस्तर के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।