कर्रेगट्टा हिल्स की गुफा में सैकड़ों नक्सलियों को छिपने का था मौका, अब फंसी है उनकी जिंदगी

छत्तीसगढ़ के बिजापुर और तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगट्टा हिल्स में पिछले पांच दिनों से चल रही नक्सल विरोधी ऑपरेशन में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। इस ऑपरेशन के दौरान, 45 डिग्री सेल्सियस की गर्मी और कठिन हालात में काम करते हुए, सैनिकों ने नक्सलियों के एक ठिकाने तक पहुंचने में सफलता हासिल की। हालांकि, ऐसा लगता है कि नक्सलियों ने सैनिकों के पहुंचने से पहले ही अपनी गुफा को बदल लिया था। इसके बावजूद, सैनिकों को गुफा में नक्सलियों के होने के सबूत और निशान मिले हैं।
नक्सलियों का ठिकाना, जिसमें सैकड़ों लोग आराम कर सकते थे
यह गुफा इतनी बड़ी है कि इसमें एक हजार से अधिक लोग कई दिनों तक आराम से छिप सकते थे। गुफा में पानी की सुविधा और आराम के लिए जगह भी उपलब्ध है। अंदर एक बहुत बड़ा मैदान भी है। सैनिकों को गुफा का पता तब चला जब उन्होंने कर्रेगट्टा पहाड़ी की चढ़ाई की और चट्टानों के बीच यह गुफा पाई। अब यह गुफा सैनिकों द्वारा कब्जे में ले ली गई है। एबीपी न्यूज को इस गुफा की तस्वीरें मिली हैं, जो नक्सलियों के ठिकाने के रूप में इस्तेमाल की जाती थी।
नक्सलियों के लिए जीवन-मौत की स्थिति
सुरक्षा बलों द्वारा कर्रेगट्टा पहाड़ियों में लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। शनिवार 26 अप्रैल की शाम को सुरक्षा बलों को कर्रेगट्टा में नक्सलियों द्वारा बेस के रूप में इस्तेमाल की जा रही गुफा का पता चला। यह गुफा एक प्राकृतिक सुरंग है, जिसमें पानी और विश्राम की सभी सुविधाएं मौजूद हैं। गुफा इतनी बड़ी है कि इसमें सैकड़ों नक्सली एक साथ छिप सकते थे। हालांकि, नक्सली गुफा से पहले ही भाग चुके थे, क्योंकि सुरक्षा बलों के पहुंचने से पहले उन्होंने यह स्थान छोड़ दिया था।
नक्सलियों के सामने अब है संघर्ष या आत्मसमर्पण का सवाल
सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा बलों ने कर्रेगट्टा क्षेत्र को चारों ओर से घेर लिया है। अब नक्सली ऊंची पहाड़ियों पर फंसे हुए हैं और वे नीचे नहीं उतर सकते। अगर वे पहाड़ी पर ही रहते हैं, तो उनके पास भोजन की कमी हो जाएगी और वे भूख और पानी की कमी से मर सकते हैं। विश्लेषकों का मानना है कि नक्सली ऐसे समय में हैं जब उन्हें यह फैसला करना होगा कि वे संघर्ष करेंगे या आत्मसमर्पण करेंगे। फिलहाल, सैनिक कर्रेगट्टा की पहाड़ियों में अपना अस्थायी कैंप लगा चुके हैं ताकि नक्सलियों को इस बार बचने का कोई मौका न मिले।