मध्य प्रदेश

झांसी में आग से मची अफरा-तफरी: कंचन ने दिखाया मानवता का उदाहरण

झांसी मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात को एसएनसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में भीषण आग लग गई, जिससे अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। इस हादसे में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य बच्चे गंभीर हालत में हैं। आग लगने के बाद के घटनाक्रम ने कई जिंदगियों को प्रभावित किया, और इस दौरान कई कर्मचारियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को बचाने की कोशिश की।

कंचन ने दूसरे बच्चे की जान बचाई

एसएनसीयू वार्ड में आग लगने के बाद कंचन कपूर और संध्या का बच्चा भी उसी वार्ड में भर्ती था। आग लगने के बाद कंचन को अपने बच्चे का कहीं भी पता नहीं चला। लेकिन वहीं, कंचन ने एक और बच्चे को तड़पते हुए देखा। कंचन ने तुरंत उस बच्चे को उठाया और इमरजेंसी में पहुंचाया, जहां उसका इलाज शुरू हुआ। हालांकि, कंचन को देर रात तक अपने बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई।

आग लगने के बाद कर्मचारियों ने दिखाई तत्परता

आग लगने के बाद मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों ने बच्चों को बचाने में तत्परता दिखाई। वे बच्चों को अपनी बाहों में उठाकर इमरजेंसी की ओर दौड़े। इस दौरान कई कर्मचारियों को भी जलन के घाव हो गए। महिला नर्स मेघा जेम्स भी जल गईं। इसके अतिरिक्त कई अन्य कर्मचारी भी आग की चपेट में आ गए, जिन्हें तुरंत इमरजेंसी में इलाज दिया गया।

दुखद चीखें और आँसू

आग के बाद मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड और इमरजेंसी के बाहर रात भर महिलाओं की दुखी चीखें सुनाई देती रहीं। कोई अपना बच्चा खो चुका था, तो कोई रिश्तेदार के साथ वहाँ आया था। अस्पताल के परिसर में हर तरफ चीख-पुकार मच गई थी। यह दृश्य देखकर वहाँ मौजूद लोगों की आँखों में आँसू आ गए।

परिवारों ने लापरवाही का आरोप लगाया

आग लगने के बाद बच्चों के रिश्तेदार काफी गुस्से में थे। उनका कहना था कि उन्हें वार्ड में जाने नहीं दिया जा रहा था ताकि वे अपने बच्चों तक न पहुँच सकें। वहीं, कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप भी लगाया गया। रिश्तेदारों का कहना था कि यदि समय पर कर्मचारियों ने बच्चों को बचाने में तत्परता दिखाई होती तो इतनी बड़ी त्रासदी से बचा जा सकता था। इस हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई और कई अन्य की हालत गंभीर बनी हुई है, जबकि कर्मचारियों की जान बच गई।

झांसी में आग से मची अफरा-तफरी: कंचन ने दिखाया मानवता का उदाहरण

सांसद अनुराग शर्मा ने जताया शोक

झांसी के सांसद अनुराग शर्मा, जो इस समय ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ हैं, ने इस हादसे पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने प्रशासन से राहत और बचाव कार्यों के बारे में जानकारी ली और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

करोड़ों की उपकरणों का नुकसान

झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण लगाए गए थे। लेकिन आग लगने के कारण ये सभी उपकरण पूरी तरह से नष्ट हो गए। इसके अलावा, वार्ड की दीवार और छत भी जलकर खराब हो गई।

निर्माण कार्य के कारण समस्या

एसएनसीयू के पास निर्माण कार्य चल रहा है, जिसके कारण पूरा रास्ता खस्ता हाल हो गया है। आग की सूचना मिलने के बाद दमकल की गाड़ियाँ मौके पर पहुंची, लेकिन वे अंदर नहीं जा सकीं। इसकी वजह यह थी कि रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त था और निर्माण सामग्री रास्ते में पड़ी हुई थी। दमकल गाड़ियों को अस्पताल के गेट के बाहर ही रोक दिया गया था।

झांसी मेडिकल कॉलेज में आग, 10 नवजातों की मौत

झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में शुक्रवार रात को आग लगने से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई। इस वार्ड में कुल 55 नवजात भर्ती थे। इनमें से 45 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन 10 बच्चों को आग की चपेट में आने से जलन और दम घुटने के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी। घटना की सूचना मिलते ही दमकल विभाग की गाड़ियाँ मौके पर पहुंची और सेना को भी बुलाया गया। सेना और दमकलकर्मियों ने आग बुझाने में मदद की।

आग लगने का कारण और घटनाक्रम

आग का कारण एक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लगना बताया जा रहा है। शुक्रवार रात लगभग 10:45 बजे एसएनसीयू वार्ड से धुआं उठते हुए देखा गया। मौके पर मौजूद लोगों ने शोर मचाया, लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, आग की लपटें उठने लगीं। कुछ ही समय में आग ने पूरे वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया। इस दौरान अफरा-तफरी का माहौल बन गया और लोग बच्चों को बाहर निकालने की कोशिश करने लगे। लेकिन धुएं और आग की लपटों के कारण दरवाजे पर फंसे बच्चों को समय पर बाहर नहीं निकाला जा सका। केवल दमकल गाड़ियों के आने के बाद ही बच्चों को बाहर निकाला जा सका।

झांसी मेडिकल कॉलेज की इस दर्दनाक घटना ने न केवल अस्पताल के कर्मचारियों और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि ऐसी स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया और उचित तैयारी कितनी महत्वपूर्ण है। हादसे के बाद पीड़ित परिवारों का गुस्सा जायज़ था, क्योंकि उन्हें अपने बच्चों को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। इस घटना ने यह भी साफ किया कि अस्पतालों में सुरक्षा मानकों और कार्यप्रणाली को सुधारने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी से बचा जा सके।

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