रतलाम में 50 हजार की रिश्वत की मांग, पटवारी 40 हजार लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में एक पटवारी द्वारा 50 हजार रुपये की रिश्वत की मांग करने का मामला सामने आया है। पटवारी को लोकायुक्त पुलिस ने उस समय रंगे हाथ पकड़ लिया जब वह एक किसान से 40 हजार रुपये ले रहा था। यह कार्रवाई किसान की शिकायत पर की गई।
किसान ने लोकायुक्त पुलिस से की शिकायत
लोकायुक्त पुलिस के डीएसपी सुनील कुमार तलान ने बताया कि पुलिस अधीक्षक अनिल विश्वकर्मा को पंछेड गांव के किसान गोपाल उपाध्याय से शिकायत प्राप्त हुई थी। किसान गोपाल उपाध्याय ने लोकायुक्त पुलिस से शिकायत करते हुए बताया कि उनके द्वारा तहसील कार्यालय में अपनी भूमि के सीमांकन के लिए आवेदन किया गया था, जिसके बाद पटवारी रमेश चंद्र बैरागी ने उनसे 50 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की।
पटवारी ने सीमांकन करने के लिए रिश्वत मांगी
किसान गोपाल उपाध्याय ने बताया कि पटवारी ने उन्हें धमकी दी थी कि अगर वह रिश्वत नहीं देंगे तो उनका सीमांकन नहीं किया जाएगा। इसके बाद किसान ने इस रिश्वत को देने के लिए सहमति जताई और लोकायुक्त पुलिस को सूचना दी। किसान के आवेदन के बाद लोकायुक्त पुलिस ने जाल बिछाया और पटवारी को रंगे हाथ पकड़ने के लिए योजना बनाई।
40 हजार रुपये लेते रंगे हाथ गिरफ्तार
गुरुवार को लोकायुक्त पुलिस ने पटवारी रमेश चंद्र बैरागी को पंछेड ग्राम पंचायत भवन के पास रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने पटवारी से 40 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए उसे पकड़ लिया। लोकायुक्त पुलिस के मुताबिक, पटवारी ने कहा था कि वह काम होने के बाद 10 हजार रुपये और लेगा।
पटवारी ने लिया था 40 हजार रुपये और 10 हजार की और मांग की थी
पुलिस ने बताया कि पटवारी ने किसान से 40 हजार रुपये काम से पहले लिए थे और 10 हजार रुपये दस्तावेज मिलने के बाद लेने की बात कही थी। पुलिस ने पूरी कार्रवाई के दौरान पटवारी के खिलाफ रिश्वत लेने के सभी सबूत जुटाए।
पटवारी ने गिरफ्तारी के बाद मांगी माफी
गिरफ्तारी के बाद पटवारी रमेश चंद्र बैरागी ने पुलिस से माफी मांगी और अपनी गलती स्वीकार की, लेकिन लोकायुक्त पुलिस ने कार्रवाई जारी रखी। पुलिस के पास पटवारी के खिलाफ रिश्वत लेने के ठोस प्रमाण थे, जिससे उसकी गिरफ्तारी पर कोई संदेह नहीं था।
लोकायुक्त पुलिस की कड़ी कार्रवाई
लोकायुक्त पुलिस ने पटवारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में मामला दर्ज कर लिया और उसे गिरफ्तार कर लिया। लोकायुक्त पुलिस का कहना है कि रिश्वतखोरी के खिलाफ उनकी कार्रवाई निरंतर जारी रहेगी, ताकि भ्रष्टाचार को रोकने में मदद मिल सके।
यह घटना यह बताती है कि सरकारी कार्यालयों में रिश्वतखोरी का मुद्दा लगातार बना हुआ है। हालांकि, लोकायुक्त पुलिस की कड़ी कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने में कोई भी नहीं बचेगा। इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि अब लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं और लोकायुक्त जैसे संस्थान उनके लिए एक मजबूत सहारा साबित हो रहे हैं।