Chhattisgarh में नक्सली आतंक! दो पूर्व सरपंचों का अपहरण, फिर हत्या; शव सड़कों पर फेंके

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने दो लोगों की हत्या कर दी है, जिनमें दोनों पूर्व सरपंच बताए जा रहे हैं। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह हत्या माओवादियों द्वारा की गई प्रतीत होती है। मृतक पूर्व सरपंच सुखराम अवलम और सुखलू फरसा हैं। पुलिस का कहना है कि इन दोनों को पहले अपहरण कर जंगल में ले जाया गया और फिर उनकी हत्या कर शव को पुलिस थाना क्षेत्र नैमेड और भैरमगढ़ इलाके में सड़कों पर फेंक दिया गया। पुलिस ने आशंका जताई है कि इस हत्या के पीछे माओवादियों का हाथ हो सकता है।
सुखराम अवलम का अपहरण और हत्या
पुलिस के अनुसार, सुखराम अवलम नैमेड थाना क्षेत्र के कादर गांव के निवासी थे और बीजापुर के शांतिनगर में रह रहे थे। बुधवार को वह अपने खेत के काम के लिए कादर गांव गए थे। जब वह कादर से वापस लौट रहे थे, तो शाम लगभग 6:30 बजे दो अज्ञात व्यक्तियों ने उन्हें पकड़ लिया और जंगल में ले गए। पुलिस का कहना है कि सुखराम को रात लगभग 9 बजे मारा गया और उनका शव कादर-काैका मार्ग पर फेंका गया। घटनास्थल से एक माओवादियों द्वारा जारी किया गया पर्चा भी बरामद हुआ है।
सुखलू फरसा की भी हत्या
एक अन्य समान घटना में माओवादियों ने पूर्व सरपंच सुखलू फरसा का अपहरण किया और फिर उनकी हत्या कर दी। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, सुखलू फरसा को सोमवार को उनके गांव बिरयाभूमि से अपहरण कर लिया गया था। बुधवार को उनकी बेटी यामिनी फरसा ने सोशल मीडिया के माध्यम से माओवादियों से अपने पिता को रिहा करने की अपील की थी, लेकिन बाद में फरसा का शव बरामद हुआ। घटनास्थल से माओवादियों द्वारा जारी किया गया एक पर्चा भी मिला है, जिसमें माओवादियों ने फरसा पर भाजपा से जुड़ने का आरोप लगाया है।
माओवादियों का बयान और पुलिस जांच
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल से मिले पर्चे में माओवादियों ने सुखलू फरसा को भाजपा से जुड़ा हुआ बताया है और इसके लिए उसे मौत की सजा दी गई है। पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर मामले की जांच शुरू कर दी है। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि माओवादियों ने इन हत्याओं को अपने संगठन के खिलाफ कथित रूप से काम करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के रूप में अंजाम दिया है।
नक्सली आतंक की पुनरावृत्ति
यह घटना छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में नक्सल आतंक के फिर से सिर उठाने का संकेत देती है। माओवादियों द्वारा इस प्रकार की हिंसा को अंजाम दिया जाना यह बताता है कि राज्य में नक्सलवाद अब भी सक्रिय है और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए और भी ठोस कदम उठाने होंगे।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
पुलिस ने दोनों हत्याओं के मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि इस घटना के पीछे माओवादियों के होने का शक है और मामले की पूरी जांच की जा रही है। पुलिस ने यह भी कहा कि वे जल्द ही मामले में और जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करेंगे ताकि अपराधियों को पकड़कर न्याय दिलाया जा सके।
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों द्वारा इस तरह की हिंसा की पुनरावृत्ति से साफ है कि माओवादियों का खात्मा करने के लिए और अधिक गंभीर प्रयासों की आवश्यकता है। राज्य सरकार और सुरक्षा बलों को इस समस्या का समाधान करने के लिए संयुक्त रूप से काम करना होगा ताकि ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके और आम लोगों को सुरक्षित रखा जा सके।