पहले दक्षिण एशियाई लेखक अमिताव घोष को मिला ‘एरास्मस पुरस्कार’, जलवायु परिवर्तन पर लेखन के लिए सम्मानित

भारत के प्रसिद्ध लेखक अमिताव घोष को उनके जलवायु परिवर्तन के संकट पर आधारित लेखन के लिए प्रतिष्ठित ‘एरास्मस पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार “कल्पना से परे” विषय पर उनके योगदान के लिए दिया गया है। घोष इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले दक्षिण एशिया के पहले व्यक्ति हैं। उन्हें यह पुरस्कार एम्स्टर्डम के शाही महल में एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।
एरास्मस पुरस्कार: एक संक्षिप्त परिचय
एरास्मस पुरस्कार को ‘प्रीमियम एरास्मियनम फाउंडेशन’ द्वारा दिया जाता है। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार कला, संस्कृति और समाज में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार चार्ली चैपलिन, इगमार बर्गमैन और ट्रेवर नोहा जैसे महान व्यक्तित्वों को भी दिया जा चुका है।
अमिताव घोष का परिचय
- जन्म और शिक्षा: अमिताव घोष का जन्म कोलकाता में हुआ था। वे इतिहास और साहित्य के क्षेत्र में अग्रणी लेखक हैं।
- प्रमुख पुस्तकें: घोष ने कई प्रसिद्ध किताबें लिखी हैं, जिनमें ‘द ग्रेट डिरेंजमेंट: क्लाइमेट चेंज एंड द अनथिंकेबल’ प्रमुख है। इस पुस्तक में उन्होंने जलवायु परिवर्तन के संकट और उससे जुड़े अनदेखे पहलुओं को उजागर किया है।
- पुरस्कार के प्रति प्रतिक्रिया: घोष ने इस पुरस्कार के लिए खुद को “अत्यंत सम्मानित” महसूस किया और कहा, “यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मुझे ऐसा पुरस्कार मिला, जो दशकों से विभिन्न क्षेत्रों के महान व्यक्तियों को दिया गया है।”
जलवायु परिवर्तन पर घोष का दृष्टिकोण
- घोष ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को ऐतिहासिक रूप से औपनिवेशिक, असमानता और वैश्विक असमानताओं की लंबी परंपरा से जोड़ा।
- उन्होंने कहा कि वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तहत जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को लेकर किए जा रहे प्रयास प्रभावी नहीं हैं।
- घोष ने यह भी कहा कि यह हमारा धर्म है कि हम आने वाले संकटों को रोकने के लिए जो भी संभव हो, वह करें।
अमिताव घोष की लेखनी और उनके विचार
घोष की लेखनी ऐतिहासिक कल्पना और गैर-कथात्मक शैली की गहराई को दर्शाती है।
- ‘द ग्रेट डिरेंजमेंट’: इस पुस्तक में जलवायु परिवर्तन के संकट को इंसान की सामूहिक जिम्मेदारी बताया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानवता को इस संकट का सामना करने के लिए एकजुट होना चाहिए।
- औपनिवेशिक प्रभाव: घोष ने जलवायु परिवर्तन को औपनिवेशिक नीतियों और वैश्विक असमानताओं से जोड़कर देखा। उन्होंने इसे केवल पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि सामाजिक और ऐतिहासिक मुद्दा भी बताया।
- कर्म और धर्म का दृष्टिकोण: भारतीय परंपरा के अनुसार, घोष ने कर्म और धर्म के विचारों को सामने रखा। उन्होंने कहा कि चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, हमारा धर्म है कि हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें।
पुरस्कार समारोह की झलक
एरास्मस पुरस्कार का आयोजन नीदरलैंड्स के एम्स्टर्डम स्थित शाही महल में किया गया। इस भव्य समारोह में दुनिया भर के बुद्धिजीवी, लेखक और कलाकार शामिल हुए। घोष ने अपने भाषण में जलवायु परिवर्तन के प्रति वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
भारत और दक्षिण एशिया के लिए गर्व का क्षण
अमिताव घोष द्वारा ‘एरास्मस पुरस्कार’ प्राप्त करना न केवल भारत बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए गर्व का विषय है। यह सम्मान यह दर्शाता है कि भारतीय लेखक विश्व स्तर पर प्रासंगिक मुद्दों पर अपने विचारों और लेखन के माध्यम से योगदान दे रहे हैं।
अमिताव घोष का ‘एरास्मस पुरस्कार’ जीतना उनकी उत्कृष्ट लेखनी और विचारशीलता का प्रमाण है। जलवायु परिवर्तन जैसे जटिल मुद्दे पर उनके लेखन ने न केवल पर्यावरणीय बल्कि सामाजिक और ऐतिहासिक समस्याओं को भी उजागर किया है। यह सम्मान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा और वैश्विक स्तर पर भारतीय लेखकों की पहचान को और मजबूत करेगा।