बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौत: फॉरेस्ट रिपोर्ट में जहर की पुष्टि, कांग्रेस ने सरकार को घेरा

मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाल ही में 10 हाथियों की मौत की घटना ने राज्य में राजनीति को तेज कर दिया है। हाथियों की मौत की वजह का पता लगाने के लिए केंद्रीय सरकार के तहत आए एक फॉरेंसिक रिपोर्ट ने यह खुलासा किया है कि इन हाथियों ने कोदो अनाज खाया था, जिसमें साइक्लोपियाजोनिक एसिड पाया गया। इस एसिड के कारण हाथियों की मौत हुई है। इस घटना के बाद, राज्य में कांग्रेस पार्टी ने अपनी प्रतिक्रिया तेज करते हुए प्रदेश सरकार और वन विभाग को जमकर घेरा है।
फॉरेस्ट रिपोर्ट में जहर की पुष्टि
यह फॉरेस्ट रिपोर्ट भारतीय पशुपालन विज्ञान संस्थान (IVRI), उत्तर प्रदेश के द्वारा तैयार की गई है, और इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि हाथियों ने बड़ी मात्रा में कोदो अनाज या कोदो के पौधे खाए थे। इस रिपोर्ट के मुताबिक, इस अनाज में एक विषाक्त तत्व, साइक्लोपियाजोनिक एसिड पाया गया था, जो हाथियों के लिए जानलेवा साबित हुआ। इस रिपोर्ट के आने के बाद, वन विभाग के अधिकारियों ने भी पुष्टि की है कि हाथियों की मौत विषाक्तता के कारण हुई है।
कांग्रेस ने सरकार को घेरा
इस घटना के बाद, कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश सरकार पर तीखा हमला करना शुरू कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने मंगलवार को ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा, “करीब एक हफ्ते से अधिक समय हो चुका है, लेकिन राज्य सरकार ने न तो हाथियों की मौत के कारणों का खुलासा किया और न ही दोषियों को पकड़ा है। यह एक बहुत ही चिंताजनक स्थिति है।” उन्होंने आगे कहा कि मध्य प्रदेश सरकार और वन विभाग इस मामले में पूरी तरह से असफल साबित हुए हैं और यह साबित होता है कि राज्य में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
कमल नाथ ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग की कि इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए या तो सीबीआई जांच कराई जाए या फिर एक न्यायिक जांच आयोग का गठन किया जाए। उन्होंने कहा कि “अगर उचित और निष्पक्ष जांच नहीं होती है, तो इस तरह की घटनाएं भविष्य में भी होती रहेंगी और अपराधी सुरक्षित रहेंगे।”
विपक्षी नेता की तीखी टिप्पणी
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी इस मामले को लेकर कड़ा बयान दिया। उन्होंने हाथियों की मौत को लेकर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि इस घटना का कोई जिम्मेदार है तो वह केवल राज्य सरकार और वन विभाग ही हैं। पटवारी ने कहा, “सरकार और वन विभाग केवल बजट पास करते हैं और उसमें भ्रष्टाचार करते हैं, लेकिन वन्यजीवों की सुरक्षा के मामले में उनकी कोई जवाबदेही नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री को वन मंत्री रामनिवास रावत से इस्तीफा लेना चाहिए, क्योंकि वह चुनावों में व्यस्त हैं और इस दौरान हाथियों की मौत हो रही है। पटवारी ने यह भी चेतावनी दी कि यदि रामनिवास रावत इस्तीफा नहीं देते हैं, तो 13 और 23 नवंबर को होने वाले चुनावों में जनता उन्हें पद से हटा देगी।
कांग्रेस का हमला और बीजेपी की प्रतिक्रिया
कांग्रेस के आरोपों के बाद बीजेपी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है, हालांकि पार्टी ने इस मामले में वन विभाग के कामकाजी पहलू को लेकर सफाई दी है। बीजेपी के नेता और मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री ने इस पूरे मामले पर कहा कि घटना की पूरी जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस का आरोप राजनीति से प्रेरित है और राज्य सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है।
बीजेपी ने वन विभाग की जांच को संजीदगी से लेने की बात कही और यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं, लेकिन इनसे निपटने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
जांच की दिशा और भविष्य में कदम
मध्य प्रदेश में हुए हाथियों की मौत के इस मामले ने प्रदेश में वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति गंभीर सवाल खड़े किए हैं। राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले की जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अब देखना यह है कि कांग्रेस के दबाव के बाद सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।
इस घटना ने वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंताएं पैदा की हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर काम करना चाहिए। वन्यजीवों के लिए एक बेहतर सुरक्षा ढांचा तैयार किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।