छत्तीसगढ़: नक्सलियों ने हथौड़े से घर तोड़कर सरपंच उम्मीदवार की गला रेतकर हत्या की

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर गांव में नक्सलियों ने एक सरपंच उम्मीदवार के घर में घुसकर उसे मौत के घाट उतार दिया। यह घटना गुरुवार रात की है, जब नक्सलियों ने 45 वर्षीय योगा बरसे के घर का दरवाजा हथौड़े से तोड़ा और उसके बाद उसकी गला रेतकर हत्या कर दी। यह सब बरसे के परिवार के सामने हुआ, जो इस भयानक अपराध को देखकर सकते में आ गए।
माओवादी चुनावों का बहिष्कार कर रहे हैं
राज्य में आगामी पंचायत चुनावों को लेकर माओवादी सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने इन चुनावों का बहिष्कार कर दिया है। इसके अलावा, माओवादी लोगों को चुनावों में भाग न लेने के लिए धमकियां दे रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि योगा बरसे को माओवादी इस कारण से निशाना बना रहे थे क्योंकि वह पंचायत चुनावों में उम्मीदवार बने थे। बरसे इलाके के एक प्रमुख आदिवासी नेता थे और वे लगातार चुनाव जीतते आ रहे थे।
योगा बरसे का राजनीतिक इतिहास
योगा बरसे पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के सदस्य थे, लेकिन कुछ साल पहले उन्होंने कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे। वह अपनी राजनीतिक यात्रा में आदिवासी समुदायों के लिए काम करते हुए एक प्रभावशाली नेता के रूप में उभरे थे। उनका समर्थन क्षेत्र के लोगों में काफी था, जिस कारण माओवादी उनसे नाखुश थे।
माओवादी हिंसा की लगातार घटनाएं
माओवादी गुट द्वारा किए गए हमले कोई नई घटना नहीं है। इससे पहले 4 फरवरी को भी दंतेवाड़ा जिले में माओवादियों ने एक 30 वर्षीय व्यक्ति की हत्या कर दी थी। आरोप था कि वह पुलिस का informant था। माओवादी अक्सर ऐसे आरोप लगाकर अपने विरोधियों को निशाना बनाते हैं।
बीजापुर जिले में भी माओवादी हमले
3 फरवरी की रात को बीजापुर जिले में माओवादियों ने दो लोगों को हत्या कर दी। इनमें से एक व्यक्ति माओवादियों का पूर्व साथी था। जनवरी में भी बीजापुर में माओवादियों ने एक व्यक्ति की हत्या की थी। उन्हें पुलिस के खिलाफ जानकारी देने का आरोप था।
बस्तर क्षेत्र में माओवादी हिंसा
पुलिस के अनुसार, पिछले साल बस्तर क्षेत्र में माओवादी हिंसा में 68 नागरिकों की मौत हो गई थी। यह हिंसा सात जिलों में फैली थी, जिसमें दंतेवाड़ा भी शामिल है। माओवादियों द्वारा नागरिकों की हत्या की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है।
पंचायत और शहरी चुनावों के मद्देनजर सुरक्षा बढ़ाई गई
छत्तीसगढ़ में आगामी पंचायत चुनावों के साथ-साथ शहरी चुनाव भी होने वाले हैं। इस माह 11 फरवरी को शहरी निकायों के चुनाव होंगे, जिसमें 173 शहरी निकायों के चुनाव होंगे, जिनमें 10 नगर निगम, 49 नगर पालिकाएं और 114 नगर पंचायतें शामिल हैं। वहीं पंचायत चुनाव 17, 20 और 23 फरवरी को तीन चरणों में होंगे। इन चुनावों को लेकर सुरक्षा बढ़ा दी गई है, और माओवादियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।
माओवादियों द्वारा चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश
माओवादियों ने चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने की अपनी कोशिशों को और तेज कर दिया है। वे लोगों को डराने-धमकाने के साथ-साथ उन्हें चुनावों से दूर रहने की धमकियां दे रहे हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार ने सुरक्षा बलों को पूरी ताकत से माओवादियों के खिलाफ अभियान चलाने का निर्देश दिया है।
सरकार की प्रतिक्रिया और सुरक्षा अभियान
योगा बरसे की हत्या के बाद सरकार ने सुरक्षा बलों को इस हमले के जिम्मेदार माओवादी समूहों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है। दंतेवाड़ा और आसपास के इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। राज्य की पुलिस माओवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रयासरत है, ताकि चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से आयोजित किया जा सके।
माओवादियों का बढ़ता प्रभाव और आदिवासी इलाकों में डर
माओवादी आदिवासी इलाकों में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं और लगातार लोगों को धमकाते हैं। उनकी गतिविधियां इन क्षेत्रों में भय और आतंक का माहौल बना चुकी हैं। आदिवासी समुदायों में माओवादी हिंसा के कारण असुरक्षा का माहौल बन गया है, और कई लोग चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने से डरते हैं।
नक्सलियों का राजनीति में हस्तक्षेप
माओवादियों का उद्देश्य केवल हिंसा और आतंक फैलाना नहीं है, बल्कि वे अपनी राजनीतिक विचारधारा को भी फैलाना चाहते हैं। पंचायत और शहरी चुनावों में उनके हस्तक्षेप से यह साफ होता है कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं। उनके लिए चुनावों में भाग लेना किसी भी व्यक्ति या पार्टी के लिए खतरे की घंटी बन सकता है।
छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो न केवल राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दे रही है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी प्रभावित कर रही है। चुनावों के दौरान माओवादियों का दबाव बढ़ने के कारण आम जनता में भय का माहौल है। सरकार और सुरक्षा बलों को इस स्थिति से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे ताकि लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा हो सके और राज्य में शांति स्थापित की जा सके।