मध्य प्रदेश

Damoh: 3000 से ज्यादा ऑटो बिना फिटनेस के चल रहे सड़कों पर, नौ मौतों के बाद अधिकारियों ने शुरू की कार्रवाई

Damoh जिले के देहात थाना क्षेत्र के समन्ना गांव में ट्रक दुर्घटना में 9 लोगों की मौत के बाद पुलिस और आरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) अधिकारियों ने सड़कों पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। इस भीषण हादसे के बाद यह सामने आया है कि जिले की सड़कों पर 3000 से अधिक ऑटो बिना फिटनेस के दौड़ रहे हैं। पिछले छह दिनों से अधिकारियों ने इन वाहनों को पकड़ना और चालान करना शुरू कर दिया है।

फिटनेस के बिना चल रहे हजारों ऑटो

प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिले में 5420 ऑटो, ई-रिक्शा और तीन पहिया लोडिंग वाहन पंजीकृत हैं। इनमें से 3790 वाहन बिना फिटनेस के चल रहे हैं और कबाड़ बन चुके हैं। ये वाहन लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। बावजूद इसके, इन वाहनों में सवारियां ढोई जा रही हैं और ये सड़क दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। हालांकि, इस मामले में पहले कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी। समन्ना गांव में सड़क हादसे के बाद, आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस अधिकारी हर दिन ओवरलोडेड ऑटो जब्त कर चालान की कार्रवाई कर रहे हैं। साथ ही ड्राइवरों की जांच ब्रीथ एनालाइजर के माध्यम से की जा रही है।

शहर के प्रमुख इलाकों में जर्जर वाहन

रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, घंटाघर और जबलपुर नाका जैसे प्रमुख इलाकों में सैकड़ों जर्जर और पुराने वाहन बिना फिटनेस के चल रहे हैं। इन वाहनों पर नंबर प्लेट तक नहीं लगी होती, जिससे हादसा होने की स्थिति में इनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे वाहन हर दिन कोतवाली और ट्रैफिक पुलिस स्टेशनों के सामने से बेखौफ गुजरते हैं।

स्कूलों में खतरनाक ऑटो

शहर के निजी स्कूलों में 700 से अधिक ऑटो और ई-रिक्शा लगे हुए हैं, जो 8 से 10 बच्चों को ढोते हैं। चिंता की बात यह है कि इन ऑटो चालकों का पुलिस सत्यापन तक नहीं किया गया है। जबकि राज्य के अन्य जिलों में स्कूल वाहनों के चालकों और कंडक्टरों का पुलिस सत्यापन अनिवार्य किया गया है।

फिटनेस के बिना चल रहे वाहन

परिवहन विभाग के अनुसार, जिले में कुल 3650 डीजल और पेट्रोल चालित वाहन पंजीकृत हैं। इनमें से केवल 775 वाहनों के पास पर्याप्त दस्तावेज और पूर्ण फिटनेस हैं, जबकि 2820 वाहन बिना फिटनेस के सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इनमें से अधिकांश वाहन पहली बार फिटनेस लेने के बाद दूसरी बार फिटनेस नहीं करवा पाए। ई-रिक्शा की बात करें तो जिले में कुल 555 ई-रिक्शा पंजीकृत हैं, जिनमें से 446 वाहनों के पास फिटनेस है, जबकि 109 बिना फिटनेस के चल रहे हैं। इसी तरह, 450 तीन पहिया ई-लोडिंग वाहन सही फिटनेस के साथ चल रहे हैं, जबकि 840 वाहन बिना फिटनेस के हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोग कार्गो वाहनों में यात्रियों को शहर ला रहे हैं, जो कि सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है।

Damoh: 3000 से ज्यादा ऑटो बिना फिटनेस के चल रहे सड़कों पर, नौ मौतों के बाद अधिकारियों ने शुरू की कार्रवाई

ट्रैफिक इंचार्ज की प्रतिक्रिया

ट्रैफिक इंचार्ज दलवीर सिंह मार्को का कहना है कि सड़कों पर वाहनों की जांच की जा रही है। नो-एंट्री में आने वाले वाहनों पर भी चालान जारी किए जा रहे हैं। जल्द ही आरटीओ के माध्यम से सभी स्कूल वाहन चालकों की बैठक बुलाई जाएगी, ताकि उनका सत्यापन किया जा सके।

नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर लगातार कार्रवाई

जिला परिवहन अधिकारी क्षितिज सोनी ने बताया कि नियमों का उल्लंघन करने वाले सभी वाहनों और चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। जो वाहन बिना फिटनेस के चल रहे हैं, उन्हें सीधे ट्रैफिक पुलिस स्टेशन भेजा जा रहा है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। हर दिन ऐसे वाहनों के चालान काटे जा रहे हैं जो बिना फिटनेस के सड़कों पर दौड़ रहे हैं।

सड़क सुरक्षा की अनदेखी

यह स्पष्ट है कि Damoh में सड़कों पर बिना फिटनेस के दौड़ रहे हजारों वाहनों की वजह से दुर्घटनाओं का खतरा लगातार बना हुआ है। ऐसे वाहन न केवल नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि आम लोगों की जान के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं। आरटीओ और पुलिस की इस देरी से कार्रवाई ने अब सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में बिना फिटनेस के वाहन इतने समय से सड़कों पर कैसे दौड़ते रहे।

प्रशासन की जिम्मेदारी

इस स्थिति में प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे सड़कों पर चलने वाले सभी वाहनों का नियमित निरीक्षण करें और फिटनेस के बिना चलने वाले वाहनों को जब्त कर उचित कार्रवाई करें। इस हादसे ने प्रशासन की सुस्ती को उजागर किया है, जिससे कई मासूम जानें गई हैं। यदि समय पर फिटनेस की जांच होती और ओवरलोडिंग पर नियंत्रण रखा जाता, तो समन्ना गांव का यह हादसा टाला जा सकता था।

फिटनेस जांच की सख्ती

वाहनों की फिटनेस जांच को लेकर अब प्रशासन को सख्ती दिखानी होगी। ऐसे वाहनों की नियमित फिटनेस जांच अनिवार्य होनी चाहिए जो सड़कों पर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चलते हैं। इसके साथ ही, चालकों का पुलिस सत्यापन भी जरूरी है, ताकि बच्चों और यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कोई चूक न हो।

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