CM Mohan Yadav ने गोवर्धन पूजा के आदेश दिए, भाजपा और कांग्रेस नेताओं के बीच गरमा-गरम बहस

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शस्त्र पूजा के बाद अब गोवर्धन पूजा के संबंध में आदेश दिए हैं कि सभी मंत्री और विधायक इस पूजा में भाग लें। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 1 तारीख को उज्जैन और आगर-मालवा में स्वयं गोवर्धन पूजा की। आज भी वह राज्य के कई स्थानों पर गोवर्धन पूजा करेंगे। लेकिन उनके इस आदेश के बाद राज्य में राजनीति गरमा गई है और भाजपा और कांग्रेस नेताओं के बीच वाकयुद्ध तेज हो गया है। आइए जानते हैं कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने गोवर्धन पूजा के बारे में क्या कहा।
गोवर्धन पूजा पर जितू पटवारी का बयान
भारत टीवी से बात करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जितू पटवारी ने गोवर्धन पूजा के आयोजन के लिए सरकार का धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक सम्मानित त्योहार है और हर कोई गाय माता की पूजा करता है। यह हमारा धर्म भी है, लेकिन यह भी बताना जरूरी है कि हर दिन 100 गायें हादसों में मारी जाती हैं। उन्हें यह भी बताना होगा कि गाय shelters का क्या हुआ, गायों के लिए बजट का कितना वितरण हुआ, क्या सामान बनाए गए या नहीं?”
उन्होंने आगे कहा, “यदि केवल पूजा करने से गायों की मौतें रोकी जा सकती हैं, तो हम इसे हर दिन करेंगे।” जितू पटवारी का यह बयान स्पष्ट करता है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री के निर्णय को गंभीरता से नहीं ले रही है और सवाल उठाने में पीछे नहीं हट रही है।
मंत्री विश्वास कैलाश सारंग का जवाब
गोवर्धन पूजा के आदेश के बाद और कांग्रेस के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने इंडिया टीवी से बात करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “कांग्रेस को हमेशा सनातन से संबंधित सभी मुद्दों में हस्तक्षेप करना होता है। यह उनका काम है हमारे धर्म, धर्म के अनुयायियों और संतों का अपमान करना। ऐसे बयान सिर्फ 10 जिलों के लोगों को खुश करने के लिए दिए जाते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि सनातन से जुड़े हर त्योहार का कहीं न कहीं एक संदेश होता है। चाहे वह दीपोत्सव हो, होली का त्योहार, शस्त्र पूजा हो या गोवर्धन पूजा, सभी त्योहार समाज को एकजुट रहने और एक साथ काम करने के लिए प्रेरित करते हैं।
कांग्रेस विधायक का बयान
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने भी मुख्यमंत्री के गोवर्धन पूजा के आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री बेहद बचकाने निर्णय ले रहे हैं और बचकानी बातें कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “शस्त्र पूजा के लिए यह कहा गया कि जिस तरह से पूजा वर्षों से होती आ रही है, गोवर्धन पूजा भी वर्षों से होती आ रही है। यदि मुख्यमंत्री वास्तव में गंभीर हैं, तो उन्हें सड़क पर घूमने वाली गायों को गौशाला में ले जाना चाहिए। अगर उनके लिए बजट बढ़ाया जाता है, तो हम उनका स्वागत करेंगे।”
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाने की कथा का स्मरण किया जाता है। यह पूजा विशेष रूप से कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती है और इसमें गायों की पूजा की जाती है। इस पूजा का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह समाज में सद्भाव और एकता को बढ़ावा देने का भी कार्य करती है।
राजनीतिक धारा का असर
CM Mohan Yadav के इस आदेश ने मध्य प्रदेश की राजनीतिक धारा में एक नया मोड़ ला दिया है। भाजपा और कांग्रेस के बीच का यह वाकयुद्ध केवल गोवर्धन पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों पार्टियों के बीच लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष का हिस्सा है। भाजपा अपनी हिंदूवादी छवि को बनाए रखने के लिए इस प्रकार के आयोजनों को बढ़ावा दे रही है, जबकि कांग्रेस इस पर सवाल उठाकर अपनी प्रगतिशील छवि को पेश कर रही है।
विवाद और संवाद
इस विवाद में एक बात स्पष्ट है कि धार्मिक आयोजनों पर राजनीति करना अब एक सामान्य बात बन गई है। जब भी कोई धार्मिक उत्सव या पूजा होती है, तो वह केवल धार्मिकता का प्रतीक नहीं रह जाता, बल्कि वह राजनीतिक रुख और विचारधारा का भी प्रतीक बन जाता है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों को अपनी राजनीतिक रणनीतियों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना होगा।
सामाजिक पहलुओं पर प्रभाव
गोवर्धन पूजा जैसे धार्मिक आयोजनों का सामाजिक पहलुओं पर भी गहरा असर पड़ता है। यह न केवल धार्मिक एकता को बढ़ावा देती है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों में सामाजिक समरसता भी स्थापित करती है। जब मुख्यमंत्री जैसे प्रमुख नेता इस प्रकार के आयोजनों का समर्थन करते हैं, तो इसका प्रभाव व्यापक होता है।
मध्य प्रदेश में गोवर्धन पूजा को लेकर चल रही राजनीति यह दर्शाती है कि धार्मिक आयोजनों का राजनीतिकरण किस प्रकार हो रहा है। जितना महत्वपूर्ण है कि हम धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करें, उतना ही महत्वपूर्ण है कि हम उनकी सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों पर भी ध्यान दें। इस प्रकार की बहसें और संवाद हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या हम धार्मिकता को केवल पूजा-पाठ तक सीमित रखेंगे या इसे समाज की बेहतरी के लिए भी उपयोग करेंगे।
CM Mohan Yadav के आदेश और उसके बाद के बयानों से यह स्पष्ट होता है कि मध्य प्रदेश की राजनीति में धार्मिकता और सामाजिकता के बीच एक महीन रेखा खींची जा रही है, जिसे समझना और उस पर विचार करना सभी के लिए जरूरी है।