Iran-Israel War: अयातुल्लाह अली खामेनेई की इजरायल को कड़ी चेतावनी, कहा – “देंगे मुंहतोड़ जवाब”

ईरान और इजरायल के बीच चल रहे तनाव और लगातार हो रहे हमलों के बीच, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने इजरायल और अमेरिका को कड़ा जवाब देने की धमकी दी है। शनिवार को खामेनेई ने कहा कि ईरान अपने और अपने सहयोगियों पर हो रहे हमलों का “मुंहतोड़ जवाब” देगा। अयातुल्लाह खामेनेई की यह धमकी 26 अक्टूबर को इजरायल के ईरान पर किए गए जवाबी हमले के बाद आई है। इससे पहले 1 अक्टूबर को ईरान ने हमास और हिजबुल्ला के समर्थन में तेल अवीव पर हमला किया था।
हमले का जवाबी हमला
ईरान के इस कदम के जवाब में, इजरायल ने 26 अक्टूबर को ईरान के सैन्य ठिकानों और अन्य स्थानों पर हमला किया, जिसमें कम से कम 5 लोगों की मौत हुई। दोनों पक्षों में से किसी भी तरफ से एक और हमला पश्चिम एशिया को एक बड़े क्षेत्रीय संघर्ष में उलझा सकता है, खासकर ऐसे समय में जब इस मंगलवार को अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं। पहले से ही गाजा पट्टी में इजरायल-हमास युद्ध और लेबनान में इजरायल का हिजबुल्ला के खिलाफ जमीनी अभियान तनाव को बढ़ा रहा है।
अयातुल्लाह खामेनेई ने ईरानी राज्य मीडिया द्वारा जारी एक वीडियो में कहा, “दुश्मन, चाहे वह यहूदी शासन हो या अमेरिका, जो भी कर रहे हैं, उसके लिए उन्हें निश्चित रूप से एक मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।” उन्होंने प्रतिक्रिया की समय सीमा और इसके विस्तार के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया।
पश्चिम एशिया में अमेरिका की सक्रियता
अमेरिकी सेना पश्चिम एशिया के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय है। कुछ अमेरिकी सैनिक फिलहाल इजरायल में ‘टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस’ (THAAD) हवाई रक्षा प्रणाली की तैनाती कर रहे हैं। खामेनेई ने इससे पहले सावधानीपूर्वक बयान दिए थे और कहा था कि अधिकारी ईरान के कदमों का मूल्यांकन करेंगे और इजरायल के हमले को “न तो बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना चाहिए और न ही कम करके आंका जाना चाहिए।”
हालांकि, ईरान द्वारा हमले के प्रभाव को छुपाने का प्रयास असफल रहा, और एसोसिएटेड प्रेस द्वारा विश्लेषण की गई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला कि इन हमलों ने ईरान की सैन्य सुविधाओं को नुकसान पहुँचाया है, जो देश के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से जुड़े थे और एक रेवोल्यूशनरी गार्ड सैटेलाइट लॉन्च सुविधा को भी नुकसान पहुँचा। इजरायली हमलों में ईरान के सहयोगियों जैसे कि हमास और हिजबुल्ला को भी भारी नुकसान हुआ है, जिसमें उनके कई शीर्ष कमांडरों की मृत्यु हो गई है।
क्षेत्रीय संघर्ष का विस्तार
पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ता जा रहा है, और अमेरिका इस संघर्ष को नजदीक से देख रहा है। अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए यह संघर्ष महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पश्चिम एशिया में उनकी सैन्य और रणनीतिक उपस्थिति को सीधे प्रभावित करता है। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता यह तनाव क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकता है, जिससे पश्चिम एशिया में एक बड़े संघर्ष की आशंका बढ़ रही है।
खामेनेई ने हाल ही में दिए गए अपने भाषण में कहा कि इजरायल का यह हमला ईरान की संप्रभुता पर हमला है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यदि दुश्मन देश ऐसा कदम उठाना जारी रखते हैं, तो ईरान भी इसका कड़ा जवाब देने के लिए तैयार है। उनके इस बयान के बाद पश्चिम एशिया में खतरों और संघर्षों का एक नया दौर देखने को मिल सकता है।
अमेरिका की रणनीति और भूमिका
अमेरिका ने पश्चिम एशिया में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है और इजरायल के साथ अपने सहयोग को भी बढ़ा दिया है। THAAD हवाई रक्षा प्रणाली की तैनाती से यह स्पष्ट है कि अमेरिका अपने सहयोगी देशों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका और इजरायल के बीच इस सामरिक सहयोग ने इजरायल को अपने दुश्मनों के खिलाफ मजबूत सुरक्षा प्रदान की है।
अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के बीच इस तरह के सहयोग से ईरान और उसके सहयोगियों के लिए स्थिति और चुनौतीपूर्ण बन सकती है। ऐसे समय में जब पश्चिम एशिया के कई देश पहले से ही संघर्ष से जूझ रहे हैं, यह स्थिति और बिगड़ सकती है।
हिजबुल्ला और हमास पर प्रभाव
ईरान के सहयोगी जैसे हिजबुल्ला और हमास भी इजरायल के हमलों से प्रभावित हुए हैं। इजरायली हमलों में हिजबुल्ला और हमास के कई कमांडर मारे गए हैं, जिससे इन संगठनों को भारी नुकसान हुआ है। इसके बावजूद ईरान ने अपने सहयोगियों के प्रति समर्थन का इरादा जारी रखा है। ईरान का मानना है कि इजरायल और उसके सहयोगियों का मुकाबला करना उनके सहयोगियों का दायित्व है, और वे इसका समर्थन करने के लिए तैयार हैं।
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव ने पश्चिम एशिया में एक गंभीर संकट की स्थिति पैदा कर दी है। अयातुल्लाह अली खामेनेई के बयानों से यह स्पष्ट है कि ईरान अपने सहयोगियों के साथ खड़ा है और इजरायल के किसी भी हमले का जवाब देने के लिए तैयार है। अमेरिका और इजरायल के बीच बढ़ते सहयोग से ईरान पर और दबाव बन सकता है।
इस संघर्ष से पश्चिम एशिया के बाकी देशों पर भी प्रभाव पड़ सकता है, और इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए यह गंभीर चुनौती बन सकता है। जैसे-जैसे अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस संघर्ष का अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।