शिवराज सिंह चौहान की तारीफ में बोले जीतू पटवारी, कांग्रेस खेमे में मचा हड़कंप!

मध्य प्रदेश की राजनीति (MP Politics) में एक दिलचस्प घटनाक्रम सामने आया, जहां कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी (Jitu Patwari) ने पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) की तारीफ करते हुए भाजपा की विधानसभा चुनाव 2023 में जीत का श्रेय उन्हें दिया। यह बयान एक विशेष राजनीतिक रणनीति के तहत दिया गया, जिसके कारण भाजपा के भीतर दरार डालने की कोशिश की जा रही है।
जीतू पटवारी का बयान: शिवराज सिंह चौहान को मिली जीत का श्रेय
उज्जैन में आयोजित एक कार्यकर्ता सम्मेलन (Workers Conference in Ujjain) में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मंच से भाजपा की जीत का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दिया। उन्होंने कहा, “भारतीय जनता पार्टी की विधानसभा चुनाव 2023 में जीत का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री और देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है। उनके कठिन परिश्रम के कारण ही भाजपा की सरकार मध्य प्रदेश में बनी।”
यह बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी क्योंकि कांग्रेस और भाजपा के बीच विरोधाभास साफ नजर आता है। हालांकि, जीतू पटवारी ने आगे कहा कि, “चुनाव के बाद अचानक डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना दिया गया है, लेकिन यह सरकार शिवराज सिंह चौहान द्वारा किए गए वादों को पूरा करने में असफल साबित हो रही है। इसलिए कांग्रेस ने सड़कों से लेकर सदन तक मोर्चा खोल दिया है।”
राजनीतिक रणनीति का हिस्सा
वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा (Kirti Rana) के अनुसार, जीतू पटवारी का यह बयान एक सोची-समझी रणनीति के तहत दिया गया। उनका उद्देश्य भा.ज.पा. के बड़े नेताओं के बीच दरार पैदा करना है ताकि कांग्रेस संगठन को मजबूती मिल सके और भाजपा के भीतर खींचतान का फायदा उठाया जा सके।
राणा ने कहा, “भा.ज.पा. के बड़े नेता हमेशा कांग्रेस में फूट डालने के लिए अलग-अलग बयान देते रहते हैं, और अब जीतू पटवारी ने उसी तर्ज पर भाजपा के अंदर विभाजन की कोशिश की है।”
कांग्रेस और भाजपा के बीच बढ़ती टकराव
यह बयान मध्य प्रदेश की राजनीति (Madhya Pradesh Politics) में एक नई रंगीनता (Political Color) जोड़ रहा है, जहां कांग्रेस की ओर से भाजपा सरकार पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। कांग्रेस के लिए यह जरूरी था कि वह भाजपा की जीत के बाद भी अपने विरोध को बनाए रखे और शिवराज सिंह चौहान की नेतृत्व क्षमता (Leadership of Shivraj Singh Chouhan) को चुनौती दे।
भा.ज.पा. की जीत से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी अपने पुराने और अनुभवी नेताओं का समर्थन जारी रखती है, जबकि कांग्रेस लगातार यह तर्क दे रही है कि भाजपा का अब केवल चुनावी सफलता से कोई वास्ता नहीं रहा, बल्कि उसे शिवराज सिंह चौहान के बाद एक नई दिशा की जरूरत है।
कृषि मंत्री से समय की मांग पर जीतू पटवारी का बयान
वहीं, कृषि मंत्री से समय मिलने के संबंध में पूछे जाने पर जीतू पटवारी ने कहा कि, “कृषि मंत्री से समय लेने के लिए कई मंगलवारों से कोशिश कर रहा हूं, लेकिन अब तक मुझे समय नहीं मिल पाया है। हालांकि, यह एक अलग राजनीतिक लड़ाई है, लेकिन हमें जो भी सही लगे, वह बताना भी जरूरी है।”
कृषि मंत्री की प्राथमिकताएं और किसानों की समस्याएं इस बयान के बाद राजनीतिक बहस का हिस्सा बन सकती हैं। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने किसानों से किए गए वादों (Farmers Promises) को पूरा नहीं किया है, और अब भी भाजपा के कृषि मंत्री किसानों की समस्याओं से बचते हैं।
क्या भाजपा के अंदर फूट पड़ेगी?
जीतू पटवारी का यह बयान पार्टी की रणनीति का एक हिस्सा है, जहां कांग्रेस भाजपा की छवि को चुनौती दे रही है। अगर भाजपा के भीतर विवाद बढ़ता है तो कांग्रेस को इस मौके का फायदा उठाने का मौका मिल सकता है।
भा.ज.पा. के भीतर शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) और मोहान यादव (Mohan Yadav) के बीच का अंतर, और किसानों के मुद्दे पर दोनों के दृष्टिकोण में भिन्नताएं पार्टी के भीतर दरार पैदा कर सकती हैं। कांग्रेस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि भाजपा के भीतर असंतोष बढ़े, ताकि वे सत्ता में आने के बाद अपने प्रतिद्वंद्वियों का मुकाबला कर सकें।
मध्य प्रदेश की राजनीति (Madhya Pradesh Politics) में कांग्रेस और भा.ज.पा. के बीच यह राजनीतिक टकराव और चुनावी बयानबाजी आने वाले समय में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के परिणामों को प्रभावित कर सकती है।
- जीतू पटवारी द्वारा दिया गया बयान एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।
- कांग्रेस अब भाजपा के भीतर विभाजन और असंतोष का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।
- शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जो भाजपा की आंतरिक असहमति को उजागर करता है।
- कृषि मंत्री के साथ विवाद कांग्रेस की खेती और किसानों के मुद्दों पर सख्त रुख अपनाने की ओर इशारा करता है।
अब यह देखना होगा कि भा.ज.पा. इस राजनीतिक खींचतान में कैसे प्रतिक्रिया देती है और कांग्रेस किस हद तक अपनी रणनीति में सफल होती है।