शिवपुरी के पास शेरपुर में कैमरे में कैद हुआ तेंदुआ, चार दिन पहले कूनो नेशनल पार्क से निकला था अग्नि

मध्यप्रदेश समाचार: कूनो नेशनल पार्क, जो कि श्योपुर जिले में स्थित है, के खुले जंगल से बाहर निकलकर शहर के पास पहुँचने वाला तेंदुआ चार दिन बाद अब फिर से जंगल में लौट गया है। इस दौरान तेंदुए का शहर के सड़कों पर रात के समय दौड़ने का एक वीडियो भी सामने आया है। तेंदुआ अपने रास्ते पर कूला और फिर वापस जंगल की ओर बढ़ गया। इस घटना से कूनो नेशनल पार्क प्रशासन की निगरानी प्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं।
कूनो नेशनल पार्क से बाहर निकला तेंदुआ
कूनो नेशनल पार्क से बाहर निकला तेंदुआ लगभग चार दिन पहले शेरपुर के नजदीक पहुँचा था और इसके बाद शहर के आस-पास के इलाके में देखा गया। तेंदुए के जंगल से बाहर निकलने के बाद प्रशासन द्वारा इसे ट्रैक करने की व्यवस्था की गई थी। हालांकि, तेंदुआ बिना किसी रोक-टोक के शहर के सड़कों पर दौड़ते हुए कैमरे में कैद हुआ, जो अब चर्चा का विषय बना हुआ है।
तेंदुआ शहर की सड़कों पर दौड़ते हुए
तेंदुआ पिछले कुछ दिनों से शहर में विभिन्न इलाकों में घूम रहा था और मंगलवार- बुधवार की रात को वह वीर सावरकर स्टेडियम के पास देखा गया। उसके बाद, बुधवार की सुबह वह बेला भीमलात गांव के पास पाया गया। इस दौरान तेंदुए ने एक महिला कुत्ते का शिकार किया था, जिससे उसकी भूख शांत हुई। तेंदुए की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए कूनो नेशनल पार्क की टीम ने पूरी तरह से निगरानी रखी हुई है।
कूनो नेशनल पार्क की निगरानी प्रणाली पर सवाल
कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों द्वारा तेंदुए की निगरानी को लेकर बार-बार यह दावा किया जाता रहा है कि वे इसे पूरी तरह से ट्रैक कर रहे हैं और उसकी गतिविधियों पर 24 घंटे नजर रखी जा रही है। लेकिन तेंदुआ शहर में बिना किसी रुकावट के दौड़ते हुए पाया गया, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन की निगरानी व्यवस्था प्रभावी है।
तेंदुआ का मार्ग और वापसी
तेंदुआ अब शहर से बाहर होते हुए बेला भीमलात गांव के पास स्थित बवांदा नाला की ओर बढ़ रहा है। इस क्षेत्र को कूनो फॉरेस्ट डिवीजन के सामान्य जंगल और बफर जोन से जोड़ा गया है। अब यह माना जा रहा है कि तेंदुआ जल्द ही कूनो के जंगल में वापस लौट सकता है।
इसके अलावा, कूनो फॉरेस्ट डिवीजन के अधिकारियों का कहना है कि तेंदुआ ने कई स्थानों को पार करते हुए अपनी दिशा बदली है। इसके बावजूद, कूनो की टीम लगातार उसकी निगरानी कर रही है और उम्मीद है कि वह जल्द ही कूनो में लौट आएगा।
अग्नि और वायु: कूनो के दो भाई तेंदुए
कूनो नेशनल पार्क में दो तेंदुए, अग्नि और वायु, को खुले जंगल में छोड़ा गया था। ये दोनों भाई हैं और हमेशा एक साथ रहते हैं। दोनों तेंदुए एक साथ शिकार करते हैं और अपना पेट भरते हैं। हालांकि, जब से इन्हें कूनो में छोड़ा गया है, तब से ये दोनों अलग-अलग दिशाओं में चले गए थे। अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों तेंदुए एक-दूसरे को तलाशते हुए कूनो लौट सकते हैं।
कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ का बयान
कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ आर थिरुक्कुरल ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा, “हम तेंदुए की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकते। हमारी टीमें तेंदुए की निगरानी के लिए पूरी तरह से तैनात हैं और उसकी गतिविधियों पर 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है। तेंदुआ जहाँ भी रहता है, वह अपनी आवश्यकता के अनुसार भोजन की व्यवस्था करता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि कूनो नेशनल पार्क में तेंदुआ एक बहुत स्वतंत्र और मजबूत शिकारी है, जो अपने मार्ग का चयन करता है। उसे किसी भी प्रकार की बाधा नहीं होती, लेकिन हमारी टीम पूरी तरह से उसकी सुरक्षा और निगरानी के लिए समर्पित है।
तेंदुआ और पर्यावरण
तेंदुए के इस प्रकार के मार्ग परिवर्तन और शहरी क्षेत्र में घुसने की घटनाओं से यह भी स्पष्ट होता है कि जंगलों में तेंदुए और अन्य वन्यजीवों का रहने की जगह घट रही है। कूनो नेशनल पार्क में शेर, तेंदुआ, चीता और अन्य वन्यजीवों के लिए पर्याप्त क्षेत्र नहीं होने के कारण उन्हें अपनी बुनियादी जरूरतों की तलाश में शहरी क्षेत्र में घुसने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
ऐसे में यह और भी जरूरी हो जाता है कि इन क्षेत्रों में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए उचित उपाय किए जाएं। शहरी क्षेत्र में बेतरतीब ढंग से घूमने वाले वन्यजीवों के लिए यह स्थिति खतरनाक हो सकती है, क्योंकि वाहनों की गति और अन्य मानव गतिविधियों से इनकी जान को खतरा हो सकता है।
कूनो नेशनल पार्क से बाहर निकलकर शहरी क्षेत्र में पहुंचा तेंदुआ और उसके बाद की घटनाओं ने वन्यजीवों की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि प्रशासन को और अधिक संवेदनशीलता और सतर्कता के साथ काम करना होगा, ताकि तेंदुए और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस मामले में कूनो प्रशासन द्वारा किए गए दावों पर भी सवाल उठे हैं और अब यह देखना होगा कि वे किस तरह से इस चुनौती का समाधान करते हैं।