Uttar Pradesh news: यूपी के युवा वैज्ञानिक ने बनाई दृष्टिहीनों के लिए एआई-ग्लासेस, अब बिना देखे भी हो सकेगा आसपास का एहसास

Uttar Pradesh news: दुनिया में प्रतिभा की कोई सीमा नहीं होती, और इस बात को साबित किया है उत्तर प्रदेश के 28 वर्षीय मुनिर खान ने। मुनिर खान, जिन्होंने अपनी तकनीकी कौशल और नवाचार के जरिए न केवल लोगों का दिल जीता है, बल्कि समाज के लिए कुछ ऐसा किया है जो एक नई दिशा दिखाता है। हाल ही में मुनिर खान ने दृष्टिहीनों के लिए एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस)-संचालित चश्मे का आविष्कार किया है, जिसे AI-Vision Pro नाम दिया गया है।
मुनिर खान का सफर
लखीमपुर खीरी के एक छोटे से गांव, गौरिया, में जन्मे मुनिर खान के लिए जीवन की शुरुआत मुश्किलों से भरी रही। उनके पिता का देहांत जब वह केवल एक साल के थे, तो उनकी मां और चार भाई-बहनों ने मिलकर परिवार की जिम्मेदारी संभाली और मुनिर की शिक्षा की ओर ध्यान दिया। गांव के सरकारी स्कूल से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद, मुनिर ने निजी इंटर कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद, अपनी प्रतिभा के आधार पर उन्हें बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड साइंसेज, भीमताल में दाखिला मिला।
तकनीकी दुनिया में मुनिर का योगदान
मुनिर खान ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, विभिन्न देशों में इंटर्नशिप की, जहां उनका रुझान एआई और सेंसर तकनीक की ओर बढ़ा। उन्होंने फ्रांस और रूस में भी इंटर्नशिप की, जहां उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेंसर तकनीक के बारे में गहरा ज्ञान प्राप्त हुआ। इस दौरान उन्होंने कई स्मार्ट प्रोजेक्ट्स पर काम किया, जिनमें एक स्मार्ट वॉटर बोतल “Hydrohomey” भी शामिल थी, जो शरीर में पानी की कमी का पता लगाकर तुरंत पानी पीने की सलाह देती थी। इसके अलावा, उन्होंने एक स्मार्ट सॉयल टेस्टिंग डिवाइस भी विकसित किया, जिससे किसानों को मिट्टी में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का पता जल्दी चल जाता था।
उनकी इन परियोजनाओं को कंब्रिया यूनिवर्सिटी द्वारा सर्वोत्तम प्रोजेक्ट्स के रूप में सम्मानित किया गया था। जुलाई में, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उन्हें उनके स्मार्ट सॉयल टेस्टिंग डिवाइस के लिए युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया।
AI-Vision Pro: दृष्टिहीनों के लिए एक नई उम्मीद
अब मुनिर खान ने एआई-संचालित चश्मों का विकास किया है, जिसे उन्होंने “AI-Vision Pro” नाम दिया है। यह चश्मा दृष्टिहीनों के लिए एक क्रांतिकारी आविष्कार है। मुनिर ने फोन पर बताया, “इन चश्मों का उद्देश्य दृष्टिहीनों की रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बनाना है। ये चश्मे न केवल आसपास के वातावरण को पहचानने में मदद करेंगे, बल्कि यह चेहरे की पहचान, दवाओं और खाद्य पदार्थों में अंतर करने, और रास्ते में आ रहे अवरोधों को पहचानने में भी सक्षम होंगे।”
इन चश्मों में सेंसर, कैमरा, Nvidia Jetson प्रोसेसर, लिडार तकनीक और एआई मॉडल का उपयोग किया गया है, जिससे यह बेहद सटीक तरीके से आसपास का एहसास कर सकेगा। उदाहरण के लिए, यह चश्मे 100 मीटर तक के ऑब्जेक्ट्स और लोगों को देख पाएंगे, और 30 मीटर तक के छोटे से छोटे अवरोधों को भी पहचान सकेंगे, जैसे मच्छर, मक्खी और धूल-धुआं।
चश्मे की विशेषताएँ
इन चश्मों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह दृष्टिहीनों को न केवल उनके रास्ते के अवरोधों से अवगत कराएगा, बल्कि यह उनके लिए सामाजिक संपर्क को भी सरल बनाएगा। इन चश्मों में एआई और सेंसर तकनीक का ऐसा संयोजन किया गया है, जो इंसानों और वस्तुओं को पहचानने में मदद करेगा। इसके साथ ही, यह चश्मे विभिन्न प्रकार के मुद्रित सामग्री को पढ़ने और समझने में भी सक्षम होंगे।
इन चश्मों को पहनने के बाद, उपयोगकर्ता को तीन से चार घंटे के लिए लगातार आराम देने की आवश्यकता होगी, ताकि उनका दिमाग और आंखें शांत हो सकें। बैटरी पूरी तरह चार्ज होने पर यह चश्मे सात से आठ घंटे तक काम कर सकते हैं। हालांकि, मुनिर खान का कहना है कि बैटरी के समय को बढ़ाने के लिए अभी और काम किया जा रहा है, और भविष्य में इसे 12 घंटे तक चलने योग्य बनाने की योजना है।
आईआईटी बॉम्बे में इसका उद्घाटन
मुनिर खान ने बताया कि इन चश्मों का पहला सार्वजनिक अनावरण 17 से 19 दिसंबर तक आईआईटी मुंबई में आयोजित एशिया के सबसे बड़े टेकफेस्ट में किया जाएगा। यह आयोजन मुनिर के लिए एक गर्व का क्षण होगा, क्योंकि यहां इन चश्मों को सबसे पहले जनता के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
मुनिर की प्रेरक यात्रा
मुनिर की यह सफलता सिर्फ उनकी मेहनत और संघर्ष का परिणाम नहीं है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत करते हैं। उनका जीवन यह सिद्ध करता है कि अगर किसी में समर्पण और प्रतिभा हो, तो कोई भी मुश्किल रुकावट उनके रास्ते में नहीं आ सकती।
मुनिर खान का एआई-संचालित चश्मा न केवल दृष्टिहीनों के जीवन को बेहतर बनाएगा, बल्कि यह तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में एक नई दिशा भी प्रदान करेगा। मुनिर का यह आविष्कार उन लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो अपनी दृष्टिहीनता के कारण समाज से कटे हुए महसूस करते हैं। अब, उनके पास अपनी दिनचर्या को पहले से बेहतर तरीके से जीने का एक नया अवसर होगा। मुनिर खान ने यह साबित कर दिया है कि अगर हममें जुनून और मेहनत हो, तो किसी भी समस्या का हल संभव है।