विजयपुर उपचुनाव में हिंसा और आरोप-प्रत्यारोप, कांग्रेस ने BJP पर लगाया अराजकता फैलाने का आरोप

मध्य प्रदेश में विजयपुर और बुधनी विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणामों के आने में अब कुछ ही दिन बाकी हैं। 13 नवंबर को विजयपुर सीट पर चुनाव खत्म होने के बाद हिंसा और अराजकता की घटनाओं ने फिर से राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया। इस बार विजयपुर में चुनावी माहौल के बाद जो घटनाएं घटी, उन्होंने कांग्रेस और भाजपा के बीच तकरार को और बढ़ा दिया है। कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह विजयपुर में अराजकता फैलाने का मुख्य आरोपी है। वहीं, भाजपा ने इन आरोपों को नकारते हुए कांग्रेस को हार का डर दिखाया है।
विजयपुर में अराजकता की घटनाएं
13 नवंबर की रात को विजयपुर के गोहटा गांव में कुछ असामाजिक तत्वों ने दलित बस्ती में हंगामा किया। आरोप है कि इन लोगों ने वहां 4-5 बिजली के खंभों को तोड़ दिया और संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को भी नुकसान पहुंचाया। इस घटना ने पूरे इलाके में तनाव का माहौल बना दिया और चुनावी प्रक्रिया के बाद राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की नई राजनीति शुरू हो गई। कांग्रेस ने इस घटनाक्रम को लेकर भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि यह पूरी घटना भाजपा की शह पर हुई है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “रामनिवास रावत के गुंडों ने बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति को तोड़ा है। अंबेडकर की मूर्ति को तोड़ना हर नागरिक, संविधान और विशेष वर्ग का अपमान है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य प्रशासन ने भाजपा सरकार के सामने समर्पण कर दिया है, और अगर प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाता, तो इस तरह की हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाएं नहीं होतीं।
गोहटा गांव में हुआ उत्पात
गोहटा गांव में रात के समय लगभग 200 लोगों ने दलित बस्ती पर हमला किया। इस हमले में 4 कच्चे घरों को आग के हवाले कर दिया गया, साथ ही ट्रांसफार्मर और 4-5 बिजली के खंभे भी जलाए गए। इन घटनाओं को लेकर पुलिस ने इनकार किया है। विजयपुर के थाना प्रभारी पप्पू सिंह यादव ने कहा कि यह सब एक दुर्घटना थी, जिसमें मोटे अनाज के भूसे में आग लग गई थी और किसी भी तरह की आगजनी या तोड़फोड़ नहीं हुई है। पुलिस ने यह भी कहा कि अगर कोई शिकायत प्राप्त होती है तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
चुनावी तनाव और सड़क जाम
विजयपुर में चुनाव के दिन भी तनाव की स्थिति थी। वहां के आदिवासी समुदाय ने आरोप लगाया था कि उन्हें मतदान से रोका गया। इसके बाद गुस्साए लोगों ने हाईवे को जाम कर दिया और चुनावी प्रक्रिया में कथित धांधली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। यह घटना इस बात का संकेत है कि चुनावी माहौल में सत्ता की लड़ाई कितनी तीव्र हो सकती है और इससे सामान्य जनता भी प्रभावित होती है।
भाजपा का पलटवार
इस पूरे घटनाक्रम पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस हार के डर से इस तरह के आरोप लगा रही है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस हार के डर से आरोप लगाने का काम करती है। हार के बाद वे हमेशा ईवीएम और राहुल गांधी पर आरोप लगाते हैं, लेकिन जब जीत होती है तो वे इसके श्रेय अन्य कारणों को देते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि विजयपुर और बुधनी के लोग कांग्रेस के झूठ का जवाब दे चुके हैं और परिणाम 23 नवंबर को सबके सामने आ जाएगा।
बीडी शर्मा ने अंबेडकर की मूर्ति तोड़ने की घटना पर भी कड़ा बयान दिया और कहा कि जो लोग इस कृत्य में शामिल थे, उन्हें सख्त सजा दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और किसी भी तरह की हिंसा को सहन नहीं किया जाएगा।
प्रशासन की भूमिका और विपक्षी प्रतिक्रिया
कांग्रेस के आरोपों के बावजूद, प्रशासन ने अपनी कार्रवाई में कोई कमी नहीं छोड़ी। पुलिस ने इस हिंसा के संदर्भ में अपनी जांच जारी रखी है और मामले की पूरी छानबीन की जा रही है। हालांकि, विपक्षी पार्टियों का कहना है कि अगर प्रशासन समय पर सक्रिय होता तो इस तरह की घटनाएं हो ही नहीं सकती थीं।
राज्य में चुनावी माहौल में हर छोटी घटना को भी राजनीतिक रंग दे दिया जाता है। विजयपुर की घटना ने राज्य की राजनीति को एक बार फिर से गर्मा दिया है। कांग्रेस और भाजपा दोनों के नेताओं ने एक दूसरे पर आरोप लगाए हैं और अब यह देखना होगा कि 23 नवंबर को चुनाव परिणाम क्या कहते हैं।
राजनीतिक स्थिति और चुनावी माहौल
मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर माहौल बहुत गरम हो चुका है। विजयपुर और बुधनी उपचुनाव में दोनों ही प्रमुख पार्टियां एक दूसरे से मुकाबला कर रही हैं। कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा जब तक चुनाव परिणाम सामने नहीं आते।
इस चुनावी संकट के बीच, जहां एक ओर भाजपा अपने कार्यकर्ताओं की सुरक्षा और पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस भी हर संभव तरीके से अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। विजयपुर की घटना ने यह साफ कर दिया है कि राज्य में चुनावी माहौल कभी भी तनावपूर्ण हो सकता है और इससे बचने के लिए प्रशासन को अधिक सक्रिय होने की आवश्यकता है।