छत्तीसगढ

बस्तर रेल मुद्दे पर एक्शन मोड में महेश कश्यप, लोकसभा में उठाए रेल से जुड़े सवाल

बस्तर लोकसभा सांसद महेश कश्यप इन दिनों लोकसभा में सक्रिय नजर आ रहे हैं। बस्तर के रेल मुद्दे को लेकर लोकसभा के पहले सत्र में सुर्खियों में आए सांसद महेश कश्यप एक बार फिर से बस्तर से जुड़े रेल मामलों पर केंद्र सरकार से सवाल कर रहे हैं। शीतकालीन सत्र के पहले दिन, बस्तर सांसद कश्यप ने कॉर्पोरेट मंत्री से सीपीएएसई के बारे में जानकारी मांगी थी। वहीं 27 नवंबर को, शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन, बस्तर सांसद महेश कश्यप ने रेलवे मंत्री से छत्तीसगढ़-बस्तर के रेल मुद्दों पर जानकारी मांगी।

सांसद महेश कश्यप ने केंद्रीय रेलवे मंत्री से निम्नलिखित तीन महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी मांगी। पहला, 2014 से अब तक देश में कितने रेल ट्रैक बिछाए गए हैं और साल दर साल कितनी ट्रेनें शुरू की गई हैं, खासकर छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में। दूसरा, 2014 से अब तक देशभर में नए रेल परियोजनाओं का प्रस्ताव कितना है, विशेषकर बस्तर क्षेत्र के लिए। तीसरा, कुल स्वीकृत परियोजनाओं में से कितनी परियोजनाओं को मंजूरी मिली है और उनका विवरण क्या है, तथा इसके लिए कितना बजट आवंटित किया गया है। इन सवालों का जवाब केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रदान किया।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में, देशभर में 19,748 किलोमीटर लंबी 309 नई रेल लाइनों, गेज रूपांतरण और डबलिंग परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है, जिनकी कुल लागत लगभग 2.32 लाख करोड़ रुपये है। इनमें से 1,225 किलोमीटर लंबाई की परियोजनाएं (नई लाइन, गेज रूपांतरण और डबलिंग) छत्तीसगढ़ में पूरी या आंशिक रूप से आती हैं, जिनकी कुल लागत 10,182 करोड़ रुपये है। बस्तर जिले से होकर गुजरने वाली दल्लीराजहरा, रायघाट, जगदलपुर रेल लाइन परियोजना (235 किलोमीटर) को दो चरणों में शुरू किया गया है – दल्लीराजहरा-रायघाट 95 किलोमीटर और रायघाट-जगदलपुर 140 किलोमीटर।

बस्तर रेल मुद्दे पर एक्शन मोड में महेश कश्यप, लोकसभा में उठाए रेल से जुड़े सवाल

फेज-1, यानी दल्लीराजहरा-रायघाट (77 किलोमीटर) को चालू किया जा चुका है। इस परियोजना पर 31 अप्रैल 2024 तक 1,028 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। वहीं, फेज-2 (रायघाट-जगदलपुर 140 किलोमीटर) की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) 3,513.11 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गई है। इसके अतिरिक्त, बस्तर क्षेत्र में पूरी या आंशिक रूप से स्थित नए रेलवे लाइनों के लिए सर्वेक्षण स्वीकृत किए गए हैं। इनमें शामिल हैं – धमतरी-बांसकोट, कोंडागांव (183 किलोमीटर), गडचिरोली-बिजापुर-बछेली (490 किलोमीटर) और कोथागुंडम-किरंदुल (180 किलोमीटर)।

रेल नेटवर्क राज्य और जिले की सीमाओं को पार करते हुए फैलता है, और इस नेटवर्क की आवश्यकताओं के अनुसार ट्रेनें चलती हैं। 2014-15 से 2023-24 तक देशभर में 1,931 ट्रेन सेवाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से बस्तर क्षेत्र स्थित स्टेशनों को सेवा प्रदान करने वाली ट्रेनें भी शामिल हैं।

महेश कश्यप के इस तरह के सवालों से साफ है कि बस्तर की रेल समस्याओं को लेकर उनकी सक्रियता निरंतर बनी हुई है। वह अपनी विधानसभा क्षेत्र के लिए रेल सुविधाओं के विस्तार और विकास के लिए लगातार केंद्र सरकार से जानकारी और जवाब मांगते रहते हैं। उनका उद्देश्य बस्तर क्षेत्र में रेल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना है, ताकि क्षेत्र के लोगों को परिवहन के बेहतर साधन मिल सकें और उनका विकास हो सके।

बस्तर क्षेत्र के रेल नेटवर्क को विकसित करना केवल स्थानीय स्तर पर नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए महत्वपूर्ण है। महेश कश्यप की इस पहल से बस्तर क्षेत्र के रेल नेटवर्क की दिशा में कुछ ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।

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