मध्य प्रदेश

Madhya Pradesh: दमोह जिले में खेत में मगरमच्छ देख किसानों में मच गई अफरा-तफरी, वन विभाग ने बचाया

Madhya Pradesh: दमोह जिले के सिग्रामपुर के भोजपुरहार गांव में मंगलवार की सुबह किसानों में हड़कंप मच गया। कारण था, खेतों में एक मगरमच्छ का दिखाई देना। जैसे ही किसानों ने मगरमच्छ को खेत में देखा, उन्होंने तुरंत वन विभाग को सूचित किया। वन विभाग ने तत्परता से मौके पर पहुंचकर मगरमच्छ को बचाया और फिर उसे सुरक्षित रूप से सिंगौरगढ़ जलाशय में छोड़ दिया।

घटनास्थल और वन विभाग की कार्रवाई

दरअसल, भोजपुरहार और आसपास के क्षेत्र रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व से घिरे हुए हैं, जिससे इस इलाके में वन्य जीवों की गतिविधियां सामान्य हैं। स्थानीय किसानों के अनुसार, पिछले दो-तीन दिनों से यह खबर थी कि आसपास के कृषि भूमि में एक मगरमच्छ घूम रहा है और खेतों में छिपा हुआ था। मंगलवार की सुबह जैसे ही किसानों ने मगरमच्छ को देखा, पूरे गांव में हड़कंप मच गया।

सूचना मिलते ही वन विभाग की बचाव टीम मौके पर पहुंची। टीम ने काफी प्रयासों के बाद मगरमच्छ को काबू किया और उसे रस्सियों से बांधकर सुरक्षित स्थान पर ले जाकर सिंगौरगढ़ जलाशय में छोड़ दिया।

Madhya Pradesh: दमोह जिले में खेत में मगरमच्छ देख किसानों में मच गई अफरा-तफरी, वन विभाग ने बचाया

वन विभाग की सराहनीय कार्रवाई

वन विभाग के उप रेंजर, लाइक खान ने बताया कि पहले से यह सूचना थी कि आसपास के क्षेत्रों में मगरमच्छ घूम रहे हैं और कृषि भूमि में छिपे हुए हैं। इस स्थिति में, किसानों द्वारा समय रहते वन विभाग को सूचना देना बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह कदम मगरमच्छ के सुरक्षित रेस्क्यू और लोगों की सुरक्षा में सहायक रहा। उन्होंने कहा, “मगरमच्छ को बचाने के बाद उसे तुरंत जलाशय में छोड़ा गया, जहां उसका प्राकृतिक आवास है।”

लाइक खान ने यह भी बताया कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए स्थानीय किसानों को भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है और उन्हें वन विभाग से संपर्क करने की सलाह दी है, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

मगरमच्छों की बढ़ती संख्या और खतरनाक घटनाएं

दमोह जिले में मगरमच्छों की संख्या काफी अधिक है। इनका मुख्य निवास स्थान नदी है, लेकिन इसके अलावा जिले की अन्य नदियों और तालाबों में भी इनकी संख्या बढ़ रही है। इस वजह से ये मगरमच्छ अक्सर जनसंख्या वाले क्षेत्रों और खेतों के आसपास देखे जाते हैं।

लेकिन यही मगरमच्छ कभी-कभी खतरनाक भी साबित हो सकते हैं, जैसे कि पिछले साल नोहटा पुलिस थाना क्षेत्र में एक आठ वर्षीय बच्चे को मगरमच्छ ने अपने पंजे में पकड़ लिया था और वह बच्चे की मौत का कारण बना। इसके अलावा, कई बार मगरमच्छों के हमले की घटनाएं भी सामने आई हैं, जिनमें कई गांववाले घायल हो चुके हैं।

बढ़ते खतरे से निपटने के लिए उपाय

जहां एक ओर इस तरह की घटनाएं जानलेवा हो सकती हैं, वहीं दूसरी ओर वन विभाग और स्थानीय प्रशासन द्वारा इस पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। हालांकि, इलाके में मगरमच्छों की संख्या में वृद्धि से खतरा बढ़ा है, ऐसे में स्थानीय अधिकारियों ने किसानों और ग्रामीणों से सतर्क रहने की अपील की है।

इसके अलावा, वन विभाग द्वारा समय-समय पर गांववालों को इस तरह के प्राणी से निपटने के लिए जागरूक किया जाता है, ताकि जब कभी ऐसा कोई जानवर आसपास दिखे, तो उसे तुरंत विभाग को सूचित किया जाए। इससे न केवल लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी, बल्कि जानवरों को भी उनके प्राकृतिक आवास में लौटने का मौका मिलेगा।

रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व का महत्व

रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व जो कि इस क्षेत्र में स्थित है, वन्यजीवों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास स्थल है। यहां पर विभिन्न प्रकार के जानवर और पक्षी रहते हैं, जिनमें तेंदुआ, हाथी, सांभर, और अन्य जंगली प्रजातियां शामिल हैं। इस रिजर्व के आसपास की कृषि भूमि और जलाशय इन प्राणियों के लिए प्राकृतिक संसाधन प्रदान करते हैं। हालांकि, कभी-कभी इन जानवरों का मानव बस्तियों में आना एक समस्या पैदा करता है, लेकिन यह भी इनकी प्राकृतिक आदतों का हिस्सा है।

कभी-कभी ये जानवर अपने भोजन की तलाश में खेतों और नदियों के पास आते हैं, जहां उनका सामना मनुष्यों से होता है। इस तरह की घटनाओं में दोनों पक्षों को खतरा हो सकता है, इसलिए वन विभाग द्वारा सतर्कता बरतना और समय रहते इनकी देखभाल करना आवश्यक है।

इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में वन्यजीवों और मनुष्यों के बीच समन्वय बनाना बेहद जरूरी है। वन विभाग का त्वरित प्रतिक्रिया और किसानों द्वारा सूचना देना एक आदर्श उदाहरण बनकर उभरा है। आने वाले समय में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए और अधिक जागरूकता की जरूरत है ताकि वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रखा जा सके और मनुष्यों को भी किसी प्रकार का खतरा न हो।

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