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ISRO’s PROBA-3 mission: ISRO और ESA का सहयोग, सूर्य के रहस्यों को जानने की पहल

ISRO’s PROBA-3 mission: भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपनी पहचान लगातार बनाई है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। अब एक और उल्लेखनीय उपलब्धि ISRO के नाम जुड़ने जा रही है। ISRO 4 दिसंबर को PROBA-3 मिशन लॉन्च करेगा, जो एक महत्त्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन है और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के साथ मिलकर इसे लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य के कोरोना (Corona) की विस्तृत अध्ययन करना है। यह मिशन ISRO और यूरोपीय देशों के साझेदारी का परिणाम है और इसका महत्व अंतरिक्ष विज्ञान में काफी बड़ा है।

PROBA-3 मिशन क्या है?

PROBA-3 मिशन को यूरोपीय देशों की एक टीम ने मिलकर तैयार किया है, जिसमें स्पेन, पोलैंड, बेल्जियम, इटली और स्विट्ज़रलैंड शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य सूर्य के बाहरी और सबसे गर्म परत, जिसे कोरोना कहा जाता है, का अध्ययन करना है। इस मिशन का कुल खर्च लगभग 200 मिलियन यूरो (लगभग 1700 करोड़ रुपये) अनुमानित है और यह मिशन 2 वर्षों तक चलेगा। इस मिशन के जरिए सूर्य के कोरोना की संरचना, उसके तापमान और अन्य कई पहलुओं पर गहराई से अध्ययन किया जाएगा।

ISRO's PROBA-3 mission: ISRO और ESA का सहयोग, सूर्य के रहस्यों को जानने की पहल

ISRO का PROBA-3 मिशन खास इसलिए है क्योंकि यह अंतरिक्ष में ‘प्रेसिजन फॉर्मेशन फ्लाइंग’ (Precision Formation Flying) की तकनीक को पहली बार परखने का अवसर देगा। इसका मतलब है कि दो उपग्रह एक साथ उड़ान भरते हुए एक निश्चित स्थिति में रहेंगे और लगातार अपनी संरचना को बनाए रखेंगे।

मिशन की विशेषताएँ

PROBA-3 मिशन दो मुख्य उपग्रहों से लॉन्च किया जाएगा: एक है ‘Occulter’, जिसका वजन 200 किलोग्राम है और दूसरा है ‘Coronagraph’, जिसका वजन 340 किलोग्राम है। ये दोनों उपग्रह अलग-अलग लॉन्च होंगे, लेकिन फिर वे एक-दूसरे के पास आकर सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेंगे। इस तरह की संरचना को सूर्य कोरोनाग्राफ कहा जाता है, और ये उपग्रह सूर्य के बाहरी आंतरिक्ष के महत्वपूर्ण डेटा इकट्ठा करेंगे।

सूर्य का कोरोना, सूर्य के बाहरी वातावरण को कहा जाता है और यह बहुत ही गर्म होता है। इसकी तापमान का स्तर लाखों डिग्री तक पहुँच सकता है, जो सामान्य तापमान से कई गुना ज्यादा होता है। सूरज का कोरोना सूर्य के आंतरिक भाग से काफी अलग होता है और इसकी संरचना और घटनाओं का अध्ययन करना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

PROBA-3 मिशन का महत्व

इस मिशन के बारे में विशेष बात यह है कि यह पहला अवसर होगा जब दो उपग्रह सूर्य के कोरोनाग्राफ को बनाने के लिए एक साथ उड़ान भरेंगे। यह तकनीक अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नया आयाम प्रस्तुत करेगी। ‘प्रेसिजन फॉर्मेशन फ्लाइंग’ तकनीक के तहत, इन दो उपग्रहों को एक साथ एक निर्धारित स्थिति में बनाए रखना होगा, ताकि वे सूर्य के कोरोनाग्राफ के रूप में कार्य कर सकें। यह मिशन अंतरिक्ष में उन्नत तकनीकों के परीक्षण के लिए महत्वपूर्ण होगा।

इसके अतिरिक्त, इस मिशन के द्वारा वैज्ञानिक सूर्य के कोरोना के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। सूर्य का कोरोना सौर मंडल के अन्य खगोलशास्त्रीय घटनाओं पर गहरा प्रभाव डालता है, और इसके अध्ययन से हम सौर हवाओं, सौर तूफानों और अन्य खगोलशास्त्रीय घटनाओं को समझने में सक्षम होंगे।

भारत का योगदान

ISRO ने इस मिशन के लिए अपने व्यावसायिक विभाग, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के माध्यम से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के साथ सहयोग किया है। यह भारत की अंतरिक्ष कार्यक्रम में बढ़ती हुई विशेषज्ञता और प्रतिष्ठा को दर्शाता है। ISRO पहले भी कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों को सफलतापूर्वक लॉन्च कर चुका है, जैसे कि मंगल मिशन और चंद्रयान-2 मिशन। PROBA-3 मिशन ISRO की क्षमता और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी में विश्वास को और मजबूती प्रदान करेगा।

PROBA-3 मिशन के उद्देश्यों का विस्तार

PROBA-3 मिशन के प्रमुख उद्देश्यों में सूर्य के कोरोना के तापमान, उसकी संरचना और वहां होने वाली घटनाओं का अध्ययन करना शामिल है। इससे वैज्ञानिकों को सूर्य के बाहरी वातावरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकेगी। इसके अलावा, मिशन का एक उद्देश्य यह भी है कि सूर्य के कोरोना से जुड़ी घटनाओं को सही तरीके से मापने के लिए नई तकनीकों का विकास किया जा सके।

सूर्य का कोरोना पृथ्वी के मौसम पर भी प्रभाव डालता है। यदि वैज्ञानिकों को कोरोना के व्यवहार को समझने में सफलता मिलती है, तो इसका उपयोग पृथ्वी के मौसम को बेहतर तरीके से समझने और भविष्य में होने वाली खगोलशास्त्रीय घटनाओं के प्रभाव का अनुमान लगाने में किया जा सकता है। इसके अलावा, सूर्य की गतिविधियों का पृथ्वी के विद्युत और संचार प्रणालियों पर भी प्रभाव पड़ता है, इसलिए इस अध्ययन से इस दिशा में भी महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।

मिशन के समय की जानकारी

PROBA-3 मिशन का लॉन्च 4 दिसंबर को भारतीय समयानुसार 4:08 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जाएगा। इसे PSLV-C59 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन का लाइव प्रसारण ISRO के आधिकारिक सोशल मीडिया चैनलों पर देखा जा सकेगा, जिससे लोग इस ऐतिहासिक पल का हिस्सा बन सकेंगे।

PROBA-3 मिशन ISRO और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बीच सफल सहयोग का एक उदाहरण है। यह मिशन न केवल सूर्य के कोरोनाग्राफ का अध्ययन करेगा, बल्कि यह अंतरिक्ष विज्ञान में नई तकनीकों को भी परखने का एक अवसर प्रदान करेगा। ISRO का यह मिशन निश्चित रूप से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक नई दिशा को जन्म देगा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान की प्रतिष्ठा को और ऊंचा करेगा।

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