इज़राइल के मंत्री Nir Barkat ने कहा, ‘हम 7 अक्टूबर जैसी घटना फिर नहीं होने देंगे

इज़राइल के उद्योग और अर्थव्यवस्था मंत्री Nir Barkat ने हाल ही में एक बयान में इज़राइल के पड़ोसियों के साथ चल रहे संघर्ष और क्षेत्रीय सुरक्षा पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि इज़राइल का सामना आज भी एक गंभीर संकट से हो रहा है, जहां उसके पड़ोसी देशों के साथ टकराव बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इज़राइल के सामने यह एक पवित्र युद्ध है, क्योंकि उनके पड़ोसी देशों का उद्देश्य इज़राइल को नष्ट करना है। इसके साथ ही, उन्होंने इज़राइल की भविष्य की रणनीतियों और शांति के लिए अपनी योजनाओं को भी साझा किया।
पड़ोसी देशों पर नीर बारकात का कड़ा बयान
मंत्री नीर बारकात ने कहा, “दुर्भाग्यवश, हमारे पड़ोसी जिहादी हैं। यह एक पवित्र युद्ध है, वे इज़राइल को नष्ट करना चाहते हैं।” इस बयान से नीर बारकात ने स्पष्ट किया कि इज़राइल के पड़ोसी देशों, जैसे गाजा और लेबनान में सक्रिय समूह, इज़राइल को खतरे में डालने की योजना बना रहे हैं। उनके अनुसार, इन देशों में जिहादी मानसिकता का बोलबाला है, जो इज़राइल के अस्तित्व को चुनौती दे रही है। मंत्री का कहना था कि इन जिहादी ताकतों का इज़राइल को समाप्त करने का उद्देश्य है, और इज़राइल को इनसे मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा।
शांति की ओर कदम बढ़ाने की अपील
नीर बारकात ने यह भी कहा कि इज़राइल का सपना है कि उनके पड़ोसी देशों के लोग गाजा नहीं, बल्कि दुबई जैसे शहर बनाएं। उनका मानना है कि अगर पड़ोसी देशों में शांति और समृद्धि का वातावरण बने, तो वे इज़राइल के साथ बेहतर संबंध स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “हमारे पड़ोसी देशों को यह समझना होगा कि उन्हें गाजा जैसी परिस्थितियों को छोड़कर, दुबई जैसे शहरों का निर्माण करना चाहिए। यह समय है कि हम आतंकवाद और हथियारों के निर्माण के बजाय, नए अवसरों और शांति का निर्माण करें।” मंत्री ने यह भी कहा कि इज़राइल के लिए यह आवश्यक है कि उनके पड़ोसी देशों में शांति की भावना जागे और वे आतंकवाद को छोड़कर विकास की ओर बढ़ें।
अब्राहम समझौतों का विस्तार: शांति की ओर कदम
मंत्री नीर बारकात ने अब्राहम समझौतों के विस्तार की बात की। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि अब्राहम समझौतों का विस्तार सऊदी अरब, इंडोनेशिया और अन्य आधुनिक अरब देशों तक हो। इन देशों के लोग जिहादी नहीं हैं, वे शांति और सहयोग चाहते हैं।” बारकात का कहना था कि अब्राहम समझौतों के तहत, इज़राइल और अरब देशों के बीच रिश्तों में सुधार हो सकता है, और इससे क्षेत्र में शांति और समृद्धि की दिशा में एक नया कदम बढ़ सकता है।
लेबनान और हिज़बुल्लाह पर कड़ा रुख
मंत्री ने लेबनान का भी उल्लेख किया और कहा कि लेबनान को यह तय करना होगा कि वह हिज़बुल्लाह जैसी जिहादी शक्तियों से खुद को मुक्त करना चाहता है या नहीं। हिज़बुल्लाह एक प्रमुख शिया जिहादी समूह है, जो इज़राइल के खिलाफ हमले करता रहा है। बारकात का कहना था कि लेबनान को यह निर्णय लेना होगा कि वे शांति की दिशा में कदम बढ़ाते हैं या फिर संघर्ष जारी रखते हैं। उन्होंने कहा, “लेबनान को यह तय करना होगा कि वे शांति की ओर बढ़ते हैं या फिर हिज़बुल्लाह के साथ बने रहते हैं। अगर वे शांति का रास्ता अपनाते हैं, तो हम अब्राहम समझौतों का विस्तार करेंगे।”
7 अक्टूबर जैसी घटना फिर नहीं होने देंगे
नीर बारकात ने इज़राइल के राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी चिंता जताई और कहा कि 7 अक्टूबर को जो घटना हुई, वह फिर कभी नहीं होनी चाहिए। 7 अक्टूबर, 2023 को इज़राइल पर हुआ हमले, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकेगा, इज़राइल के लिए एक ऐतिहासिक पल था। इस दिन, गाजा से हमलावरों ने इज़राइल पर हमला किया था, जिससे कई इज़राइली नागरिकों की मौत हो गई थी और बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था। बारकात ने यह साफ किया कि अगर इज़राइल के पड़ोसी देश इस्लामी आतंकवाद के समर्थन में खड़े रहते हैं, तो इज़राइल उस स्थिति को और अधिक गंभीर नहीं होने देगा। उन्होंने कहा, “हम उनका समर्थन करेंगे, हम सहयोग के रास्ते तलाशेंगे, लेकिन अगर वे इज़राइल को निशाना बनाते रहेंगे, तो हम उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहेंगे। हम 7 अक्टूबर जैसी घटना फिर कभी नहीं होने देंगे।”
इज़राइल का दृष्टिकोण: भविष्य की योजनाएं
नीर बारकात ने यह भी बताया कि इज़राइल की रणनीति भविष्य में पड़ोसी देशों के साथ शांति की ओर बढ़ने की होगी, लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी नीतियां और दृष्टिकोण बदलने होंगे। उन्होंने कहा कि इज़राइल शांति के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन इसके लिए उनके पड़ोसियों को भी समझदारी दिखानी होगी। अगर वे शांति की दिशा में कदम बढ़ाते हैं, तो इज़राइल उनके साथ सहयोग करने के लिए तैयार है।
नीर बारकात के बयान से यह साफ जाहिर होता है कि इज़राइल का भविष्य सुरक्षा, शांति और समृद्धि की दिशा में है, लेकिन इसके लिए पड़ोसी देशों को अपनी नीतियों को बदलने और आतंकवाद के रास्ते से बाहर आने की आवश्यकता है। इज़राइल का मानना है कि अगर पड़ोसी देशों में शांति और विकास की भावना पैदा होती है, तो इस क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि संभव हो सकती है। हालांकि, अगर आतंकवाद और जिहादी ताकतों का समर्थन जारी रहता है, तो इज़राइल अपनी सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए हर संभव कदम उठाने के लिए तैयार रहेगा।