Incognito Mode: आपकी ऑनलाइन प्राइवेसी खतरे में इन्कॉग्निटो मोड से नहीं मिलेगी पूरी सुरक्षा सच जानकर चौंक जाएंगे

आजकल इंटरनेट इस्तेमाल करते समय ज्यादातर लोग अपनी प्राइवेसी को लेकर बहुत सतर्क रहते हैं। खासकर जब ब्राउज़िंग हिस्ट्री छुपाने की बात आती है तो सबसे पहले दिमाग में इंकॉग्निटो मोड का ख्याल आता है। लोग मानते हैं कि इस मोड को चालू करते ही उनकी सारी ऑनलाइन एक्टिविटी छुप जाती है। लेकिन क्या सच में ऐसा होता है? अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आपको थोड़ा सतर्क हो जाना चाहिए क्योंकि हकीकत इससे काफी अलग है।
क्या करता है इंकॉग्निटो मोड?
इंकॉग्निटो मोड एक प्राइवेट ब्राउज़िंग फीचर है जो गूगल क्रोम, मोज़िला फायरफॉक्स और माइक्रोसॉफ्ट एज जैसे ब्राउज़रों में उपलब्ध होता है। इस मोड में ब्राउज़र आपकी सर्च हिस्ट्री, कुकीज और साइट डेटा सेव नहीं करता। मतलब, जो भी आप इस मोड में सर्च करते हैं या जिन वेबसाइट्स पर जाते हैं, उनकी जानकारी आपके ब्राउज़र में सेव नहीं होती। मगर रुकिए! इसका मतलब ये नहीं है कि आप इंटरनेट की दुनिया में पूरी तरह गुमनाम हो गए हैं।
फिर कैसे दिखती है आपकी एक्टिविटी?
इंकॉग्निटो मोड में होने के बावजूद आपकी इंटरनेट एक्टिविटी पूरी तरह छुपी नहीं रहती। कुछ लोग और सिस्टम ऐसे होते हैं जो आपकी जानकारी तक पहुंच सकते हैं। जैसे कि – आपका इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर यानी ISP देख सकता है कि आपने कौन-कौन सी वेबसाइट्स ओपन की हैं। अगर आप ऑफिस या स्कूल के नेटवर्क पर हैं तो वहां का आईटी एडमिन आपकी एक्टिविटी को ट्रैक कर सकता है। इसके अलावा कुछ एडवांस्ड नेटवर्क टूल्स भी होते हैं जिनकी मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि आपने किन साइट्स को विज़िट किया। मतलब, आपकी प्राइवेसी महज कुछ सेकंड में एक्सपोज़ हो सकती है।
सावधान रहना जरूरी है
टेक्नोलॉजी से अच्छी समझ रखने वाले लोग आपकी इंकॉग्निटो ब्राउज़िंग का पता कुछ तरीकों से लगा सकते हैं। उदाहरण के लिए, गूगल क्रोम में एक इंटरनल फीचर होता है – chrome://net-internals। यहां नेटवर्क से जुड़ी हर एक्टिविटी की जानकारी मिल सकती है। यह प्रक्रिया आम यूज़र्स के लिए नहीं होती, लेकिन एक्सपर्ट्स इसे आसानी से एक्सेस कर सकते हैं। इसलिए अगर आप वाकई में अपनी ब्राउज़िंग को पूरी तरह सुरक्षित और प्राइवेट रखना चाहते हैं तो कुछ जरूरी टिप्स अपनाने चाहिए। एक अच्छा VPN इस्तेमाल करें जिससे आपकी पहचान और लोकेशन दोनों छुपी रहें। पब्लिक वाई-फाई पर कभी संवेदनशील जानकारी न डालें। समय-समय पर अपनी ब्राउज़िंग और डाउनलोड हिस्ट्री क्लियर करते रहें। हमेशा HTTPS वेबसाइट्स ही ओपन करें ताकि आपका डेटा एन्क्रिप्टेड रहे। इंकॉग्निटो मोड सिर्फ सीमित स्तर की प्राइवेसी देता है। यह सिर्फ आपके ब्राउज़र से डेटा छुपाता है, पूरी दुनिया से नहीं। आज के डिजिटल जमाने में सतर्क रहना ही समझदारी है।