Hindus In Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों को धमकी, दुर्गा पूजा करने के लिए 5 लाख टका की मांग, बढ़ती अत्याचार की घटनाएं

Hindus In Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर अत्याचारों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। दुर्गा पूजा 2024 से पहले, बांग्लादेश के कई हिंदू मंदिरों को इस्लामिक समूहों द्वारा धमकियाँ दी गई हैं। इन धमकियों में मंदिर समितियों से 5 लाख बांग्लादेशी टका की मांग की गई है। अगर यह राशि नहीं दी जाती, तो दुर्गा पूजा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह गंभीर स्थिति बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लिए एक और चुनौती बनकर सामने आई है।
मंदिरों को मिली धमकियां
हाल ही में, बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों से रिपोर्ट्स आई हैं कि कुछ इस्लामिक समूहों ने दुर्गा पूजा आयोजित करने के लिए मंदिर समितियों को 5 लाख टका देने की धमकी दी है। ख़ासकर खुलना शहर के डकॉप टाउन में 25 से अधिक मंदिरों को ऐसी धमकियां दी गई हैं। हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के महासचिव महेंद्र नाथ ने यह जानकारी दी है।
उन्होंने बताया कि मंदिर समितियों को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर उन्हें पांच दिन के इस धार्मिक उत्सव को मनाना है, तो उन्हें यह राशि जमा करनी होगी। यह केवल आर्थिक दबाव नहीं है, बल्कि हिंदू समुदाय के धार्मिक अधिकारों पर एक खुली चुनौती है।
मूर्ति तोड़ने की घटनाएं
इस धमकी से पहले भी बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और मूर्तियों पर हमलों की खबरें सामने आई थीं। 22 सितंबर को, लक्स्मिगंज जिले के रायपुर इलाके में कुछ मदरसा छात्रों ने दुर्गा की मूर्तियों को तोड़ दिया। इसी तरह, बर्गुना जिले में भी मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया गया।
यह हमले न केवल हिंदू धार्मिक स्थलों के लिए, बल्कि बांग्लादेश के सामाजिक सौहार्द्र और धार्मिक सहिष्णुता के लिए भी खतरनाक संकेत हैं।
प्रशासनिक उदासीनता और डर का माहौल
धमकियों और हमलों के बाद, हिंदू समुदाय के लोगों ने चिटगाँव और खुलना जिलों के जिला अधिकारियों के पास शिकायतें दर्ज कराई हैं। लेकिन अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। बांग्लादेश की प्रशासनिक व्यवस्था पर इस समय सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि इस प्रकार की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की जा रही है।
यह स्थिति हिंदू समुदाय के बीच भय का माहौल पैदा कर रही है। दुर्गा पूजा जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव को मनाने के लिए ऐसे आर्थिक और सामाजिक दबाव का सामना करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
बांग्लादेश में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता
बांग्लादेश में पिछले कुछ वर्षों में धार्मिक असहिष्णुता के मामले तेजी से बढ़े हैं। दुर्गा पूजा, जो हिंदू समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, को निशाना बनाना इस बात का संकेत है कि धार्मिक असहिष्णुता का दायरा बढ़ता जा रहा है।
हाल के वर्षों में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों पर बढ़ते हमलों और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुँचाने की घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। यह स्थिति न केवल धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन का मामला है, बल्कि सामाजिक असमानता और भेदभाव की एक गंभीर तस्वीर प्रस्तुत करती है।
मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार का फरमान
कुछ दिनों पहले, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसे मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में चलाया जा रहा है, ने एक फरमान जारी किया था। इस फरमान में कहा गया था कि दुर्गा पूजा के दौरान अजान और नमाज़ के वक्त कोई भी संगीत नहीं बजाया जाना चाहिए।
यह निर्देश हिंदू धार्मिक गतिविधियों पर एक प्रकार की पाबंदी के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है। ऐसी परिस्थितियों में, जहाँ हिंदू समुदाय पहले से ही धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहा है, इस प्रकार के फरमान से उनकी स्वतंत्रता और अधिक सीमित हो रही है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचार अब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का ध्यान भी आकर्षित कर रहे हैं। इन घटनाओं पर कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने चिंता जताई है और बांग्लादेश सरकार से धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
यह आवश्यक है कि बांग्लादेश की सरकार इस मामले में सख्त कदम उठाए और यह सुनिश्चित करे कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को स्वतंत्रता और सुरक्षा मिले। अगर ऐसी घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह न केवल बांग्लादेश के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करेगा, बल्कि उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नुकसान पहुंचाएगा।