चीनियों का पाकिस्तान से पलायन, CPEC संकट में, जिनपिंग सरकार ने 400 लोगों को क्यों बुलाया?

पाकिस्तान में चीनियों की बड़ी संख्या मौजूद है। चीन ने हमेशा आतंकवाद और आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान का समर्थन किया है और अपने दुष्कर्मों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान का उपयोग करने की कोशिश की है। पाकिस्तान में आत्मघाती हमले आम हैं, जिनमें प्रतिदिन कई पाकिस्तानी नागरिक मारे जाते हैं। लेकिन इस बार स्थिति अलग है, क्योंकि चीन के नागरिक भी इन हमलों की चपेट में आ गए हैं।
कराची आत्मघाती हमले के बाद बड़ा निर्णय
बीते रविवार रात को एक आत्मघाती हमले में दो चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई और 10 लोग घायल हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी के मजीद ब्रिगेड ने ली। इस घटना के बाद, जिनपिंग सरकार ने पाकिस्तान में काम कर रहे 400 चीनी नागरिकों को वापस बुलाने का आदेश दिया। इसके परिणामस्वरूप, सभी चीनी नागरिक अपने देश लौट गए। इनमें से लगभग 250 इंजीनियर बलूचिस्तान से और 150 इंजीनियर गिलगित-बाल्टिस्तान से कराची और इस्लामाबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से चीन के लिए रवाना हुए।
CPEC परियोजनाओं में रुकावट
चीनियों की इस वापसी के साथ, पाकिस्तान में CPEC से संबंधित आठ परियोजनाओं, जिनमें बुनियादी ढांचे और बिजली उत्पादन का काम शामिल है, का काम ठप हो गया है। CPEC (चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसमें चीन ने पाकिस्तान के विकास के लिए 60 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। लेकिन अब इस सुरक्षा संकट ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को गंभीर खतरे में डाल दिया है।
पाकिस्तानी सरकार की सुरक्षा व्यवस्था
इस स्थिति के मद्देनजर, पाकिस्तान सरकार ने चीनी नागरिकों और उनके प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए 45 अरब रुपये का बजट तय किया है। यह निर्णय वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब की अध्यक्षता में आर्थिक समन्वय समिति (ECC) की बैठक में लिया गया। इस बजट में से 35.4 अरब रुपये पाकिस्तान सेना को और 9.5 अरब रुपये नौसेना को विभिन्न सुरक्षा उपायों के लिए दिए जाएंगे।
पाकिस्तानी सरकार का यह कदम इस बात का संकेत है कि वह चीनी नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद, हाल के हमलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चीन के नागरिक पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं हैं।
बलूचिस्तान: चीन की नजरों का केंद्र
बता दें कि चीन पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र में कई CPEC परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इस क्षेत्र में चीन का ध्यान खास तौर पर गैस और खनिजों पर है। बलूचिस्तान की धरती में खनिजों की भरपूर मात्रा मौजूद है, और चीन इस प्राकृतिक संपत्ति का दोहन करना चाहता है। लेकिन बलूच विद्रोही लगातार चीन की परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं, जिनके खिलाफ हमले और विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। उन्होंने चीन को बलूचिस्तान से दूर रहने की चेतावनी दी है।
चीन का भारत के प्रति रुख
पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की सुरक्षा संकट में होने के साथ-साथ, इस बात की भी जानकारी मिल रही है कि चीन ने कश्मीर में अपने सैनिकों की तैनाती करने का निर्णय लिया है। यह स्थिति भारत और चीन के बीच तनाव को और बढ़ा सकती है। चीन की यह हरकत दर्शाती है कि वह क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
CPEC का भविष्य
CPEC परियोजना पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सुधारने की एक बड़ी उम्मीद थी। लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने इस परियोजना की संभावनाओं को गहरा धक्का पहुंचाया है। अगर पाकिस्तान में सुरक्षा की स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो चीन का यह निवेश खतरे में पड़ सकता है। चीन ने जो निवेश पाकिस्तान में किया है, वह न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे क्षेत्र में अपने सामरिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
पाकिस्तान के लिए चुनौतियाँ
पाकिस्तान को अब कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर तो उसे अपनी आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना है, दूसरी ओर उसे अपने विदेशी निवेशकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी है। चीनी नागरिकों की वापसी ने पाकिस्तान की आर्थिक योजनाओं को प्रभावित किया है और यह संकेत देता है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो अन्य विदेशी निवेशक भी अपने निवेश को कम करने पर विचार कर सकते हैं।