छत्तीसगढ

Chhattisgarh Naxalites News: नक्सलवाद के अंत की ओर तेजी से बढ़ रहे सैनिक, पिछले 8 महीनों में 157 नक्सलियों को मारा गया

Chhattisgarh Naxalites News: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस एक निर्णायक लड़ाई लड़ रही है। विशेष रूप से बस्तर डिवीजन में तैनात अर्धसैनिक बलों और स्थानीय पुलिस द्वारा चलाए जा रहे एंटी-नक्सल ऑपरेशन लगातार बस्तर पुलिस को बड़ी सफलता दिला रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर सहित पूरे देश से नक्सलवाद को 31 मार्च, 2026 तक समाप्त कर दिया जाएगा। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सैकड़ों सैनिक लगातार नक्सलियों के ठिकानों में घुसकर उनसे मुठभेड़ कर रहे हैं।

बस्तर में हालात

हाल के आठ महीनों में, पुलिस और नक्सलियों के बीच बस्तर डिवीजन के विभिन्न जिलों में हुई मुठभेड़ों में अब तक 157 नक्सलियों को मारा जा चुका है। बस्तर IG सुंदरराज पी ने इस आंकड़े का खुलासा किया। खास बात यह है कि इन 157 नक्सलियों में कई ऐसे नक्सली भी शामिल हैं जिन पर लाखों रुपये का इनाम रखा गया था। इसके अलावा, मुठभेड़ स्थलों से बड़ी संख्या में नक्सली हथियार भी बरामद किए गए हैं।

हथियारों की भारी बरामदगी

बस्तर IG सुंदरराज पी ने बताया कि बस्तर पुलिस ने 2024 में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्रभावी तरीके से चलाए गए एंटी-नक्सल ऑपरेशन में बड़ी सफलता हासिल की है। पिछले आठ महीनों में, पुलिस ने विभिन्न क्षेत्रों में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ों में 157 माओवादी शवों की बरामदगी की है। साथ ही, LMG, AK-47, INSAS जैसे अत्याधुनिक हथियार भी बरामद किए गए हैं।

2024 में, ऐसे 10 माओवादी मारे गए हैं जो बाहरी क्षेत्रों के निवासी थे। इनमें DKSZC के सदस्य जोगन्ना, DKSZC के सदस्य रंधेर, TSC के सदस्य सागर, DKSZC के रूपेश, DVCM के सदस्य शंकर राव, DVCM के सदस्य विनाश, DVCM के सदस्य जगदीश और ACM के सदस्य रजिता, ACM के सदस्य लक्ष्मी और ACM के सदस्य संगीता शामिल हैं। ये सभी नक्सली नेता तेलंगाना के बड़े नेता थे और लंबे समय से ओडिशा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना की सीमा पर सक्रिय थे।

Chhattisgarh Naxalites News: नक्सलवाद के अंत की ओर तेजी से बढ़ रहे सैनिक, पिछले 8 महीनों में 157 नक्सलियों को मारा गया

इन पर सभी चार राज्यों की पुलिस द्वारा लाखों रुपये का इनाम रखा गया था। सैनिकों ने विभिन्न मुठभेड़ों में इनके शव भी बरामद किए हैं। इन बड़े नक्सलियों की मौत ने नक्सली संगठन को बड़ा झटका दिया है। यही कारण है कि अब नक्सली अबूझमाड़ जैसे क्षेत्रों में पीछे हटते हुए देखे जा रहे हैं।

नक्सल संगठन का कमजोर होना

IG ने दावा किया है कि नई रणनीति के तहत चलाए जा रहे एंटी-नक्सल अभियान के कारण बस्तर में नक्सली संगठन धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है। इस कारण से बड़ी संख्या में नक्सली आत्मसमर्पण भी कर रहे हैं। बस्तर IG से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पिछले आठ महीनों में बस्तर डिवीजन में 663 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही, 556 माओवादियों ने नक्सली संगठन को छोड़कर आत्मसमर्पण किया है।

इस प्रकार, 2024 में बस्तर में नक्सल मामलों में पुलिस को निर्णायक बढ़त मिली है। IG ने कहा कि सरकार की मंशा और क्षेत्र के लोगों की इच्छाओं के अनुसार, सैनिक नक्सल समस्या को जल्दी से समाप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, ताकि क्षेत्र में शांति स्थापित की जा सके और विकास कार्य हर गांव तक पहुंचाया जा सके।

विकास और सुरक्षा की दिशा में कदम

IG ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में एंटी-नक्सल ऑपरेशन के साथ-साथ सड़कों, मोबाइल नेटवर्क और अन्य कनेक्टिविटी पर भी काम किया जा रहा है। इसके साथ ही, सैनिकों को 24 घंटे की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है ताकि अधूरे काम जल्द से जल्द पूरे किए जा सकें।

बस्तर पुलिस नक्सलवाद के अंत की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य नक्सलियों का सफाया करना और क्षेत्र के विकास को गति देना है।

भविष्य की रणनीति

बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद के अंत के लिए जो रणनीतियां बनाई जा रही हैं, उनमें विशेष रूप से स्थानीय समुदायों के साथ समन्वय करना और उन्हें विकास परियोजनाओं में शामिल करना शामिल है। इससे न केवल नक्सलियों का मुकाबला किया जा सकेगा, बल्कि क्षेत्र की जनता को भी उनके अधिकार और विकास के अवसर मिल सकेंगे।

बस्तर पुलिस की ये सफलताएं न केवल क्षेत्र में शांति बहाल करने में सहायक होंगी, बल्कि पूरे देश में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई को भी मजबूती प्रदान करेंगी।

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