मध्य प्रदेश

Gwalior में कुण्ठित चिकित्सक की लापरवाही से युवक की मौत, कब होगा ऐसे डॉक्टरों पर अंकुश?

ग्वालियर में एक युवक की मौत का मामला बेहद चौंकाने वाला है, जहां एक झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही ने एक परिवार को हमेशा के लिए तबाह कर दिया। 24 वर्षीय सुमित चौहान की मौत से परिवार में मातम छा गया है, और इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर किया है।

घटना का विवरण

हजिरा पुलिस स्टेशन क्षेत्र के प्रगति नगर स्थित सिल्क मिल में रहने वाले सुमित को अचानक पेट और छाती में दर्द हुआ। उसके परिवार ने उसे पास के मवासी क्लिनिक में ले जाने का निर्णय लिया, जहां डॉ. मवासी सिंह सिकरवार ने उसे दो इंजेक्शन दिए और कुछ दवाइयां दीं। डॉक्टर ने उसे घर जाने के लिए कह दिया। लेकिन जब सुमित घर पहुंचा, तो उसकी हालत बिगड़ गई। परिवार ने उसे तत्काल सरकारी सिविल अस्पताल हजिरा में ले जाया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।

परिवार का गुस्सा

सुमित की मौत के बाद उसके परिवार में हड़कंप मच गया। दुख और गुस्से में डूबे परिवार के सदस्य सड़क पर शव रखकर विरोध करने लगे। उन्होंने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। पुलिस अधिकारियों के साथ पहुंची प्रशासन की टीम ने आश्वासन दिया कि आरोपी डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।

झोलाछाप डॉक्टरों का खतरा

यह पहली बार नहीं है जब किसी झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से किसी की जान गई हो। देश के कई हिस्सों में ऐसे डॉक्टरों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो बिना उचित शिक्षा और लाइसेंस के चिकित्सा का दावा करते हैं। ये लोग ना केवल खुद की जान जोखिम में डालते हैं, बल्कि मरीजों के लिए भी गंभीर खतरा बन जाते हैं।

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लापरवाही के गंभीर परिणाम

सुमित की मौत ने यह साबित कर दिया है कि झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही के परिणाम कितने गंभीर हो सकते हैं। ऐसे मामलों में, मरीजों को न केवल सही इलाज नहीं मिल पाता, बल्कि उनकी जान भी चली जाती है। स्वास्थ्य सेवाओं की जांच और निगरानी की कमी के कारण, ऐसे डॉक्टरों को खुला छोड़ दिया गया है, जो कि चिंताजनक है।

सरकार की भूमिका

इस मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और डॉक्टर की क्लिनिक को सील कर दिया है। साथ ही, मुख्यमंत्री स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) को मामले की जानकारी देकर जांच की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह कार्रवाई समय पर और प्रभावी है? क्या यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ऐसे डॉक्टर फिर से ऐसा अपराध न करें?

जरूरत है सख्त कानून की

सरकार को इस दिशा में सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है, जिससे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जा सके। ऐसे डॉक्टरों की पहचान करने और उन्हें सजा देने के लिए एक सख्त तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है ताकि वे सही और प्रमाणित डॉक्टरों का ही चुनाव करें।

समुदाय की जागरूकता

समाज को भी इस मुद्दे पर जागरूक होना चाहिए। जब लोग ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के बारे में जानेंगे और उनकी गतिविधियों की रिपोर्ट करेंगे, तो इससे उन्हें रोका जा सकेगा। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक केंद्रों पर स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।

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