अंतर्राष्ट्रीय

केंद्रीय मंत्री Dharmendra Pradhan ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से की मुलाकात, कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने स्कूल शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और अनुसंधान में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। इस बैठक में ‘प्रतिभा, संसाधन और बाजार’ के तीन प्रमुख स्तंभों के माध्यम से साझेदारी को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया।

भारत-सिंगापुर के बीच मजबूत सहयोग की आवश्यकता

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत सिंगापुर को एक विश्वसनीय ज्ञान भागीदार के रूप में देखता है, विशेषकर गहरी तकनीक, स्टार्टअप और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को आगे बढ़ाने में। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री वोंग ने भारत-सिंगापुर सहयोग को एक व्यापक साझेदारी में बदलने के लिए एक मजबूत ढांचा स्थापित किया है, जिसमें महत्वपूर्ण और उभरते क्षेत्रों में सहयोग शामिल है।

सिंगापुर के विदेश मंत्री से मुलाकात

धर्मेंद्र प्रधान ने सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालकृष्णन से भी मुलाकात की। इस जानकारी को उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर साझा किया। प्रधान ने लिखा, “सिंगापुर के विदेश मंत्री और प्रिय मित्र विवियन बालकृष्णन से मिलकर खुशी हुई।” उन्होंने आगे कहा कि हम दोनों ने भारत-सिंगापुर ज्ञान साझेदारी को और मजबूत करने और शिक्षा में द्विपक्षीय सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने पर सहमति व्यक्त की।

ह्वा चोंग इंटरनेशनल स्कूल का दौरा

धर्मेंद्र प्रधान ने ह्वा चोंग इंटरनेशनल स्कूल का दौरा किया ताकि वह ‘भविष्य के स्कूलों’ के निर्माण में बेहतरीन प्रथाओं को समझ सकें। इस जानकारी को भी उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर साझा किया। प्रधान ने लिखा, “मैंने देखा कि छात्र अनुभव को बढ़ाने, सीखने के परिणामों को मजबूत करने और प्रत्येक छात्र की क्षमताओं, प्रतिभाओं और रचनात्मक गतिविधियों को सामने लाने के लिए एआई जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।”

पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों में समानताएँ

धर्मेंद्र प्रधान ने यह भी बताया कि हमारे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और ह्वा चोंग इंटरनेशनल स्कूल (HCIS) द्वारा अपनाए गए पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियाँ और छात्र विकास के दृष्टिकोण में कई समानताएँ पाई गईं। उन्होंने कहा, “हम अपने छात्रों को जिम्मेदार वैश्विक नागरिक बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उन्हें सर्वोत्तम शिक्षा प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं।”

केंद्रीय मंत्री Dharmendra Pradhan ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से की मुलाकात, कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा

द्विपक्षीय सहयोग के महत्व पर जोर

धर्मेंद्र प्रधान की यह यात्रा सिंगापुर-भारत संबंधों को और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। सिंगापुर, शिक्षा, अनुसंधान और तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख साझेदार है। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता को फिर से रेखांकित किया गया।

भारत और सिंगापुर के बीच बढ़ता सहयोग

भारत और सिंगापुर के बीच पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में मजबूत सहयोग देखने को मिला है। यह सहयोग विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, जहां दोनों देश एक-दूसरे के अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने का प्रयास कर रहे हैं।

भविष्य की संभावनाएँ

धर्मेंद्र प्रधान ने बैठक में यह भी बताया कि भविष्य में भारत और सिंगापुर के बीच कई और नए क्षेत्रों में सहयोग के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं। विशेष रूप से तकनीकी शिक्षा, अनुसंधान और विकास, और नवाचार के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच साझेदारी को और बढ़ावा देने की योजना है।

शिक्षा क्षेत्र में नई पहल

धर्मेंद्र प्रधान की इस यात्रा से यह स्पष्ट होता है कि भारत अपने शिक्षा प्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग को महत्व दे रहा है। सिंगापुर जैसे विकसित देशों के अनुभवों का लाभ उठाकर भारत अपनी शिक्षा प्रणाली को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास कर रहा है।

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की सिंगापुर यात्रा और वहां की विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं के दौरे से यह संकेत मिलता है कि भारत शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने और अपनी शिक्षा प्रणाली को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह यात्रा केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का एक अवसर नहीं है, बल्कि यह भारत के भविष्य के शिक्षित और सक्षम नागरिकों के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम भी है।

भारत और सिंगापुर के बीच बढ़ता सहयोग न केवल दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा भी देगा। धर्मेंद्र प्रधान की इस पहल से भारत और सिंगापुर के बीच एक नई और मजबूत साझेदारी की शुरुआत हो सकती है, जो आने वाले वर्षों में शिक्षा, तकनीकी नवाचार और अनुसंधान के क्षेत्रों में नए अवसरों का निर्माण करेगी।

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