ट्रंप प्रशासन बनाम अमेरिकी कोर्ट: क्या वाकई खतरनाक हैं वेनेजुएला के गैंग सदस्य?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में 18वीं सदी के एक कानून का इस्तेमाल करके अवैध अप्रवासियों के निर्वासन की प्रक्रिया को तेज करने की घोषणा की। हालांकि, कुछ ही घंटों बाद एक संघीय न्यायाधीश ने ट्रंप प्रशासन को इस कानून को लागू करने से रोक दिया। ट्रंप प्रशासन ने इस कानून का इस्तेमाल यह दावा करने के लिए किया कि वेनेजुएला का एक गिरोह अमेरिका पर हमला कर रहा है और अब उसके पास उसके सदस्यों को देश से बाहर निकालने के नए अधिकार हैं।
कानून का इतिहास और उपयोग
इस कानून को “एलियन एनिमीज एक्ट” कहा जाता है, जिसे 1798 में लागू किया गया था। यह कानून अमेरिकी राष्ट्रपति को विदेशियों को देश से बाहर निकालने के लिए व्यापक अधिकार देता है, खासकर युद्ध के समय में। अमेरिकी इतिहास में इस कानून का इस्तेमाल इससे पहले केवल तीन बार किया गया है, और वह भी केवल युद्ध के समय। इस कानून का पहला इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ था, जब जर्मन, इतालवी और जापानी-अमेरिकियों को बंधक बनाकर देश से बाहर निकाल दिया गया था।
न्यायालय का निर्णय और उसके परिणाम
हालाँकि ट्रम्प प्रशासन ने इस कानून को लागू करने की कोशिश की, लेकिन कोलंबिया जिले के लिए अमेरिकी जिला न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जेम्स ई. बोसबर्ग ने इस पर त्वरित निर्णय लिया। शनिवार रात मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश बोसबर्ग ने कहा, “मैं अब और इंतजार नहीं कर सकता, मुझे तुरंत कार्रवाई करनी होगी।” उन्होंने ट्रम्प प्रशासन के इस कदम को अस्थायी रूप से रोकते हुए कहा कि इस निर्णय से पहले ही अमेरिकी सरकार एल साल्वाडोर और होंडुरास में प्रवासियों को भेज रही थी।
इस निर्णय से ट्रम्प प्रशासन को बड़ा झटका लगा क्योंकि यह कदम उन अप्रवासियों पर लागू हो सकता था जिन्हें पहले ही अमेरिका से निर्वासित किया जा चुका था और अब उनके खिलाफ नई कार्रवाई की जा सकती थी।
वेनेजुएला गिरोह का मुद्दा और ट्रम्प प्रशासन के दावे
ट्रम्प प्रशासन ने कहा कि “ट्रेन डी अरागुआ” नामक वेनेजुएला के एक गिरोह ने अमेरिका पर हमला किया है और अब इसके सदस्यों को इस कानून के तहत निर्वासित किया जाना चाहिए। इस गिरोह के बारे में दावा किया गया था कि यह अमेरिका में अपराध कर रहा है और इससे निपटने के लिए यह कदम उठाया गया। ट्रंप प्रशासन के अनुसार, अल साल्वाडोर और होंडुरास ने इस सप्ताह 300 ऐसे अप्रवासियों को स्वीकार करने पर सहमति जताई है, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने गिरोह का सदस्य घोषित किया है।
यह कदम ट्रंप प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि वे इसे अमेरिका में अपराधों के खिलाफ अपनी नीति के रूप में पेश कर रहे थे। हालांकि, अदालत का यह फैसला ट्रंप प्रशासन के लिए चुनौती साबित हुआ है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या ट्रंप प्रशासन इसे फिर से लागू कर पाएगा या नहीं।
कानूनी चुनौतियां और भविष्य में क्या हो सकता है?
इस कानून का इस तरह से इस्तेमाल करना अमेरिकी इतिहास में एक विवादास्पद कदम हो सकता है, क्योंकि इससे स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर सवाल उठ सकते हैं। अदालत के इस फैसले से ट्रंप प्रशासन के लिए इस कदम को लागू करना मुश्किल हो सकता है, खासकर इसलिए क्योंकि इस कानून का इस्तेमाल सिर्फ युद्ध के दौरान ही किया गया था। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले को लेकर आगे क्या कार्रवाई की जाएगी।
ट्रंप प्रशासन इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है और अगर अदालतें इसे फिर से मंजूरी देती हैं, तो इससे भविष्य में और विवाद पैदा हो सकता है। इसके अलावा, यह फैसला अमेरिका में अप्रवास नीति और सुरक्षा उपायों पर भी बहस छेड़ सकता है।
18वीं सदी के “एलियन एनिमीज एक्ट” के तहत अवैध अप्रवासियों को तेजी से निर्वासित करने का ट्रंप प्रशासन का कदम एक ऐतिहासिक पहल थी, लेकिन इसे अदालत ने अस्थायी रूप से रोक दिया है। यह फैसला ट्रंप प्रशासन के लिए एक बड़ा झटका है और अब देखना यह है कि वे इसे फिर से लागू करने के लिए क्या कदम उठाते हैं। अमेरिकी न्यायपालिका द्वारा ऐसा आदेश देना यह दर्शाता है कि सरकार को मानवाधिकारों और स्वतंत्रता के संबंध में कोई भी कदम उठाते समय संवैधानिक दायित्वों का पालन करना चाहिए।