मध्य प्रदेश

Sehore News: नर्मदा की मछुआरन से भारतीय नौसेना तक, जानिए कावेरी धीमर का अद्भुत सफर

Sehore News: मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के छोटे से गांव मंडी की रहने वाली कावेरी धीमर ने यह साबित कर दिया कि अगर दिल में कुछ कर गुजरने का जुनून हो और मजबूत इरादे हों तो मुश्किल हालात भी आपको मंजिल तक पहुंचने से रोक नहीं सकते। कावेरी ने खेलों के क्षेत्र में न सिर्फ अपना नाम रोशन किया बल्कि राज्य और देश का नाम भी ऊंचा किया है। कावेरी की कहानी आम नहीं है क्योंकि उसने गरीबी और संघर्ष के बीच अपने सपनों को जिंदा रखा और उन्हें पूरा भी किया। एक समय था जब कावेरी अपने पिता के कर्ज चुकाने के लिए नर्मदा नदी में मछलियां पकड़ती थी लेकिन आज वह भारतीय नौसेना में अफसर बनकर देश की सेवा कर रही है।

कावेरी के परिवार में कुल 11 सदस्य हैं जिसमें उनके माता-पिता, सात बहनें और दो भाई शामिल हैं। उनके पिता नर्मदा में मछली पकड़कर परिवार का पेट पालते थे लेकिन आमदनी बहुत कम थी और हालात इतने खराब हो गए कि पिता को कर्ज लेना पड़ा। इस मुश्किल घड़ी में बेटी कावेरी ने अपने पिता का कंधा थामा और उनके साथ मिलकर मछली पकड़ने लगी ताकि कर्ज चुकाया जा सके। एक दिन जब वह नाव चला रही थी तो एक खेल अधिकारी की नजर उस पर पड़ी। खेल अधिकारी ने कावेरी को कैनोइंग खेल में प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया और फिर उसे भोपाल की वॉटर स्पोर्ट्स अकादमी में भेजा। यहीं से कावेरी के जीवन ने एक नया मोड़ लिया और उसने अपनी इस कला को जुनून बना लिया।

पचास से ज्यादा मेडल जीत कर देश को दिलाई पहचान

कावेरी ने कैनोइंग खेल में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पचास से ज्यादा मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। एशियन चैंपियनशिप में उसने कांस्य पदक जीता जबकि राष्ट्रीय स्तर पर उसने 45 गोल्ड, 6 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए। उसकी इस उपलब्धि पर मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उसे 11 लाख रुपये का इनाम भी दिया। पिछले साल कावेरी खेल कोटे से भारतीय नौसेना में चयनित हुई और एजीपीओ (पीटी) अफसर के तौर पर देश की सेवा कर रही है। जब वह नौसेना में भर्ती होकर पहली बार गांव लौटी तो परिवार और गांव वालों ने उसका जोरदार स्वागत किया।

दृढ़ संकल्प की मिसाल और बेटियों के लिए प्रेरणा

कावेरी की सफलता सिर्फ उसकी कहानी नहीं बल्कि हर बेटी और हर परिवार के लिए प्रेरणा है। उसने दिखा दिया कि बेटियां कमजोर नहीं होतीं बस उन्हें एक मौका चाहिए। कावेरी ने आर्थिक तंगी, सामाजिक चुनौतियों और सीमित संसाधनों के बावजूद हार नहीं मानी बल्कि डटी रही और आगे बढ़ती रही। एक समय 40 हजार रुपये के पिता के कर्ज के लिए मछली पकड़ने वाली कावेरी अब भारतीय नौसेना में अफसर है और पूरे देश को गर्व महसूस करा रही है। उसके माता-पिता कहते हैं कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी बेटी इतनी ऊंचाई तक पहुंचेगी। वाकई अगर कोई बेटी होनी चाहिए तो वह कावेरी जैसी होनी चाहिए।

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