Chhattisgarh के नए डीजीपी की तलाश, अशोक जुनेजा के कार्यकाल का अंत और आगे की चुनौतियां
Chhattisgarh में कानून व्यवस्था को संभालने वाले वर्तमान पुलिस महानिदेशक (DGP) अशोक जुनेजा का कार्यकाल अगले साल फरवरी में समाप्त हो रहा है। उनकी सेवा अवधि को लेकर राज्य सरकार ने कई बार विस्तार दिया है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। अब नए डीजीपी की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम प्रस्तावित किए हैं, जिनमें से एक को अगला डीजीपी बनाया जाएगा।
अशोक जुनेजा का कार्यकाल: एक समीक्षा
अशोक जुनेजा, 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी, ने छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका कार्यकाल विशेष रूप से नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने नवंबर 2021 में छत्तीसगढ़ के कार्यकारी डीजीपी के रूप में कार्यभार संभाला और अगस्त 2022 में उन्हें पूर्णकालिक डीजीपी नियुक्त किया गया।
जुनेजा मूल रूप से दिल्ली के निवासी हैं और उन्होंने मध्य प्रदेश कैडर में अपनी सेवा शुरू की थी। वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद, उन्होंने छत्तीसगढ़ में रहने का निर्णय लिया। उनके करियर में उन्होंने बिलासपुर के एसपी, रायपुर के एसएसपी और बिलासपुर व दुर्ग संभाग के आईजी के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं।
विस्तार के पीछे की वजह
अशोक जुनेजा का कार्यकाल न केवल उनकी प्रशासनिक क्षमताओं के लिए बल्कि राज्य में नक्सलवाद को नियंत्रित करने के उनके प्रयासों के लिए भी सराहा गया। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद एक गंभीर समस्या रही है, लेकिन जुनेजा के नेतृत्व में इस समस्या से निपटने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए गए।
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अभियान: उनके कार्यकाल में सुरक्षा बलों ने नक्सल प्रभावित इलाकों में कई अभियान चलाए, जिनसे नक्सलियों की ताकत को कमजोर किया गया।
- सामाजिक पहल: नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए केवल सुरक्षा अभियानों पर निर्भर न रहते हुए, जुनेजा ने सामाजिक और विकासात्मक पहलों पर भी जोर दिया।
नए डीजीपी के लिए संभावित नाम
छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार को जिन तीन अधिकारियों के नाम भेजे हैं, वे हैं:
- अरुण देव गौतम
- पवन देव
- हिमांशु गुप्ता
ये तीनों अधिकारी पहले से ही डीजी रैंक पर पदोन्नत हैं और उनके पास प्रशासनिक अनुभव है। हालांकि, पैनल में शामिल अन्य नामों जैसे एसआरपी कल्लूरी और प्रदीप गुप्ता को अंतिम सूची में शामिल नहीं किया गया है।
नए डीजीपी के सामने चुनौतियां
नए डीजीपी को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना होगा:
- नक्सलवाद का उन्मूलन: अशोक जुनेजा के प्रयासों ने नक्सलवाद को कमजोर किया है, लेकिन इसे पूरी तरह खत्म करना अभी भी एक चुनौती है।
- कानून व्यवस्था बनाए रखना: छत्तीसगढ़ एक तेजी से विकसित हो रहा राज्य है, और यहां कानून व्यवस्था बनाए रखना नई डीजीपी की प्राथमिकता होगी।
- पुलिस बल का आधुनिकीकरण: तकनीकी युग में पुलिस बल को आधुनिक उपकरणों और प्रशिक्षण से लैस करना आवश्यक है।
- जनता के साथ विश्वास बहाली: पुलिस और जनता के बीच विश्वास बढ़ाने के लिए नई नीतियां और पहल की आवश्यकता होगी।
अशोक जुनेजा की विरासत
अशोक जुनेजा ने छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए एक मजबूत नींव रखी है। उनके कार्यकाल में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। उनके कार्यकाल की मुख्य उपलब्धियां हैं:
- नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी सफलताएं।
- पुलिस बल का सशक्तिकरण।
- राज्य के विभिन्न जिलों में अपराध की दर में कमी।
नए डीजीपी से उम्मीदें
छत्तीसगढ़ के लोग और सरकार नए डीजीपी से बेहतर कानून व्यवस्था और नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं। नए डीजीपी को अशोक जुनेजा की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राज्य को अपराध मुक्त और विकासोन्मुख बनाने के लिए काम करना होगा।
छत्तीसगढ़ में डीजीपी का पद केवल एक प्रशासनिक भूमिका नहीं, बल्कि राज्य की सुरक्षा और विकास का आधार है। अशोक जुनेजा ने अपने कार्यकाल में जो मील के पत्थर स्थापित किए हैं, उन्हें आगे बढ़ाना नए डीजीपी के लिए एक चुनौती होगी। अब देखना यह है कि केंद्र सरकार किस अधिकारी को इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपती है।