नर्सिंग घोटाले के व्हिसलब्लोअर को M.Sc नर्सिंग की परीक्षा से किया बाहर, परमार पहुंचे हाईकोर्ट, परीक्षा में शामिल होने की मांग
मध्य प्रदेश में नर्सिंग घोटाले का खुलासा करने वाले एनएसयूआई राज्य उपाध्यक्ष रवि परमार ने एमएससी नर्सिंग (Master of Science Nursing) की प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। परमार के वकील अभिषेक पांडे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए परीक्षा में शामिल होने की अनुमति मांगी है। मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड (ESB) द्वारा एमएससी नर्सिंग और पोस्ट बीएससी नर्सिंग प्रवेश परीक्षा के लिए जारी नियमों के अनुसार, किसी भी ऐसे उम्मीदवार को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं होगी, जिसके खिलाफ किसी भी प्रकार का एफआईआर या आपराधिक मामला दर्ज हो या कोई सजा सुनाई गई हो।
केवल एफआईआर के आधार पर परीक्षा से रोकना अनुचित
परमार के वकील अभिषेक पांडे ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में तर्क दिया कि केवल एफआईआर दर्ज होने के आधार पर परीक्षा से रोकना पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है। उन्होंने अदालत से अपील की है कि परमार को एमएससी नर्सिंग प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए ताकि वे अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर सकें। परमार ने जब छात्रों के हित में नर्सिंग घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई थी, तब उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, और इसी आधार पर उन्हें 26 सितंबर को होने वाली एमएससी नर्सिंग की प्रवेश परीक्षा में बैठने से रोका जा रहा है।
शिक्षा का अधिकार सभी के लिए समान होना चाहिए
रवि परमार का कहना है कि यह लड़ाई केवल उनकी शिक्षा के लिए नहीं है, बल्कि उन सभी छात्रों के लिए है, जिनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने कहा, “शिक्षा का अधिकार सभी के लिए समान होना चाहिए। मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में अदालत के समक्ष मेरी निर्दोषता साबित होगी, क्योंकि मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज किए गए सभी मामले झूठे और राजनीतिक साजिश का हिस्सा हैं। इन मामलों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं है और यह केवल छात्र नेताओं को डराने का पुराना तरीका है।”
प्रवेश परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जानी चाहिए
रवि परमार ने आगे कहा कि देश का कानून और न्याय प्रणाली जटिल और दीर्घकालिक है, जिसके कारण हमारे जैसे छात्र नेताओं को अदालत के फैसले का वर्षों इंतजार करना पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए, मैं यह मांग करता हूं कि जब तक मेरी निर्दोषता साबित नहीं होती, तब तक मुझे इस प्रवेश परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। अगर भविष्य में अदालत का फैसला मेरे खिलाफ आता है, तो मेरी परीक्षा का परिणाम रद्द किया जा सकता है और मुझ पर कानूनन उचित कार्रवाई की जा सकती है।
नर्सिंग घोटाले का खुलासा और उसकी राजनीति
परमार, जो एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं, ने नर्सिंग घोटाले के खिलाफ छात्रों के हित में आवाज उठाई थी। इस घोटाले में व्यापक भ्रष्टाचार और अनियमितताएं सामने आई थीं, जिसके चलते परमार ने सरकारी अधिकारियों और घोटाले में शामिल संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन उनके विरोध को लेकर उन पर राजनीतिक दबाव बनाया गया और एफआईआर दर्ज की गई।
छात्रों के अधिकारों के लिए संघर्ष
रवि परमार का कहना है कि उनकी यह लड़ाई केवल व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि उन सभी छात्रों के लिए है जिनके मौलिक अधिकारों को कुचला जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे शिक्षा के अधिकार के लिए पूरी दृढ़ता से संघर्ष करते रहेंगे और जब तक न्याय नहीं मिलता, तब तक वे हार मानने वाले नहीं हैं। परमार के इस मामले ने छात्रों के बीच भी एक बड़ा मुद्दा खड़ा कर दिया है और कई छात्र संगठन उनके समर्थन में खड़े हैं।
हाईकोर्ट में न्याय की उम्मीद
रवि परमार और उनके वकील को उम्मीद है कि हाईकोर्ट उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति देगा ताकि वे अपनी उच्च शिक्षा को आगे बढ़ा सकें। उन्होंने अदालत से इस बात पर भी जोर दिया है कि अगर भविष्य में उनके खिलाफ किसी भी प्रकार का नकारात्मक फैसला आता है, तो उस समय उनके परिणाम को रद्द कर दिया जाए। परमार के इस कदम को छात्रों के बीच एक साहसिक पहल माना जा रहा है, जो शिक्षा के अधिकार की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है।
इस मामले की सुनवाई आने वाले दिनों में होगी और छात्रों के अधिकारों से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अदालत का फैसला बेहद अहम होगा।