बिना विधायक निर्मला सपरे की मुश्किलें बढ़ीं: कांग्रेस कोर्ट जाने की तैयारी में, बीजेपी असमंजस में
मध्य प्रदेश की राजनीति में सागर जिले की बिना विधायक निर्मला सपरे का मामला इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस मुद्दे पर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। कांग्रेस ने निर्मला सपरे की विधानसभा सदस्यता को लेकर अदालत जाने की चेतावनी दी है, जबकि बीजेपी इस मामले में स्पष्ट स्थिति में नहीं है। आइए जानते हैं इस विवाद की पूरी कहानी और इसके राजनीतिक प्रभाव।
कांग्रेस का रुख: कोर्ट जाने की तैयारी
बिना विधायक निर्मला सपरे के कांग्रेस से कथित असंतोष और बीजेपी के करीब जाने को लेकर कांग्रेस पार्टी ने आक्रामक रुख अपना लिया है।
- कांग्रेस की शिकायत: कांग्रेस विधायक दल ने विधानसभा अध्यक्ष से सपरे की सदस्यता समाप्त करने की मांग की है।
- नेता प्रतिपक्ष का बयान: नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने कहा है कि अगर विधानसभा अध्यक्ष ने जल्द फैसला नहीं लिया, तो कांग्रेस हाई कोर्ट का रुख करेगी।
- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का बयान: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि इस मामले में शीघ्र निर्णय लेना जरूरी है, ताकि बिना सीट पर उपचुनाव का रास्ता साफ हो सके।
बीजेपी की असमंजसपूर्ण स्थिति
निर्मला सपरे को लेकर बीजेपी में भी स्थिति साफ नहीं है।
- प्रदेश अध्यक्ष का बयान: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने स्पष्ट किया कि सपरे ने औपचारिक रूप से बीजेपी की सदस्यता ग्रहण नहीं की है।
- बीजेपी का पक्ष: बीजेपी मानती है कि निर्मला सपरे कांग्रेस से असंतुष्ट हो गई हैं, लेकिन उन्हें अभी पार्टी में शामिल नहीं किया गया है।
- सीएम से मुलाकात पर टिप्पणी: विष्णु दत्त शर्मा ने सपरे की मुख्यमंत्री से मुलाकात पर कहा कि यह किसी भी विधायक का अधिकार है कि वह मुख्यमंत्री से मिलें।
निर्मला सपरे का बीजेपी के कार्यक्रमों में शामिल होना
निर्मला सपरे हाल के महीनों में बीजेपी के विभिन्न कार्यक्रमों में देखी गई हैं।
- चुनावी चर्चा: लोकसभा चुनाव के दौरान वह मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ मंच साझा करती नजर आईं।
- विजयपुर उपचुनाव: विजयपुर उपचुनाव में बीजेपी की जीत के बाद भी सपरे ने बीजेपी के कार्यक्रमों में उपस्थिति दर्ज कराई।
राजनीतिक विश्लेषण
इस पूरे प्रकरण से मध्य प्रदेश की राजनीति में कई सवाल खड़े हो गए हैं:
- कांग्रेस का रुख: कांग्रेस आक्रामक रुख अपनाते हुए बीजेपी और विधानसभा अध्यक्ष पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।
- बीजेपी की रणनीति: बीजेपी फिलहाल इस मुद्दे पर संयमित बयान दे रही है और सपरे को लेकर औपचारिक निर्णय से बच रही है।
- निर्वाचन की संभावना: अगर कांग्रेस अदालत जाती है और सपरे की सदस्यता रद्द होती है, तो बिना सीट पर उपचुनाव हो सकता है।
क्या हो सकते हैं परिणाम?
- कांग्रेस को फायदा: अगर कांग्रेस सपरे की सदस्यता समाप्त कराने में सफल होती है, तो इससे पार्टी को राजनीतिक बढ़त मिल सकती है।
- बीजेपी की स्थिति: अगर सपरे बीजेपी में शामिल होती हैं, तो यह बीजेपी के लिए रणनीतिक लाभकारी हो सकता है।
बिना विधायक निर्मला सपरे का मामला न केवल कांग्रेस और बीजेपी के बीच तकरार का मुद्दा है, बल्कि यह मध्य प्रदेश की राजनीति में गहराई से असर डाल सकता है। कांग्रेस की अदालत जाने की तैयारी और बीजेपी की असमंजसपूर्ण स्थिति इस मामले को और भी दिलचस्प बना रही है। अब देखना होगा कि विधानसभा अध्यक्ष और अदालत इस पर क्या फैसला लेते हैं।