मध्य प्रदेश

New excise policy: पवित्र शहरों में शराबबंदी, इंदौर में लाइसेंस फीस में 20% वृद्धि

मध्य प्रदेश सरकार ने New excise policy को अंतिम रूप दे दिया है, जिसे 1 अप्रैल से लागू किया जाएगा। इस नीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिसमें सबसे अहम फैसला पवित्र शहरों में शराबबंदी लागू करने का है। इस निर्णय से अनुमानित 500 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे की भरपाई के लिए बड़े शहरों में शराब दुकानों की लाइसेंस फीस 20% तक बढ़ाई जाएगी। खासतौर पर इंदौर जिले की 174 शराब दुकानों के रिजर्व प्राइस में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है, जिससे यह आंकड़ा लगभग 1800 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

कैबिनेट में दूसरी बार पेश हुई नीति

यह पहला मौका है जब किसी नीति को कैबिनेट की मंजूरी के लिए दोबारा पेश किया गया। पिछली कैबिनेट बैठक में आबकारी नीति को मंजूरी दी गई थी, लेकिन कुछ अहम प्रावधान छूट गए थे। संशोधित नीति में इन प्रावधानों को शामिल कर सरकार ने एक अधिसूचना जारी की। इस नीति के तहत पवित्र शहरों में शराबबंदी लागू होगी, जिससे धार्मिक स्थानों की शुद्धता बनी रहेगी।

इंदौर में शराब दुकानों के लाइसेंस शुल्क में 20% वृद्धि

नई नीति के तहत, इंदौर जैसे बड़े शहरों में शराब दुकानों के लाइसेंस शुल्क में 20% की वृद्धि की जाएगी। इस वृद्धि से अनुमानित 500 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे की भरपाई होगी। इंदौर जिले की 174 देसी-विदेशी शराब दुकानों के लिए रिजर्व प्राइस बढ़ाकर लगभग 1800 करोड़ रुपये किया जा सकता है।

New excise policy: पवित्र शहरों में शराबबंदी, इंदौर में लाइसेंस फीस में 20% वृद्धि

मिनी बार और रेडी-टू-ड्रिंक उत्पादों को मिलेगी अनुमति

नई नीति के तहत, होटल और बार में ‘मिनी बार’ संचालित करने की अनुमति दी जाएगी, जहां ‘रेडी-टू-ड्रिंक’ उत्पाद उपलब्ध होंगे। इससे शराब प्रेमियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।

इंदौर में शराब दुकानें सबसे महंगी

इंदौर जिले में शराब दुकानें सबसे महंगी होती जा रही हैं। पिछले वर्षों में इनकी नीलामी में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई है। पिछले साल ही इस क्षेत्र में 13.7% की राजस्व वृद्धि हुई, जबकि सरकार का लक्ष्य 20% रखा गया था। पिछले वित्तीय वर्ष में आबकारी विभाग को शराब दुकानों से 1485 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था, जो पिछले वर्ष 1312 करोड़ रुपये था।

नई नीति के तहत नीलामी प्रक्रिया

पिछले साल, आबकारी विभाग ने 64 समूह बनाकर शराब दुकानों की निविदा प्रक्रिया पूरी की थी। इस बार भी सरकार ने 20% राजस्व वृद्धि का लक्ष्य तय किया है। यदि मौजूदा ठेकेदार 20% अधिक शुल्क देने को तैयार होंगे, तो उनकी दुकान का लाइसेंस नवीनीकृत किया जा सकता है।

ई-टेंडरिंग से होगी पारदर्शिता

यदि निर्धारित लक्ष्य प्राप्त नहीं होता है, तो सरकार ई-टेंडरिंग प्रक्रिया अपनाएगी ताकि अधिकतम राजस्व प्राप्त किया जा सके। इस नीति से पारदर्शिता बढ़ेगी और सरकार को अधिकतम लाभ होगा।

नई आबकारी नीति से जहां पवित्र शहरों को शराब मुक्त किया जाएगा, वहीं अन्य शहरों में राजस्व वृद्धि के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार अपने लक्ष्यों को कितनी सफलतापूर्वक प्राप्त कर पाती है।

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