MP news: भोपाल का यह तालाब चर्चा में, पानी के नीचे बसी दुनिया का दावा, सर्वेक्षण की उठी मांग

MP news: भोपाल, मध्य प्रदेश की राजधानी, अपनी ऐतिहासिक धरोहर और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहां का बड़ा तालाब न केवल शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाता है, बल्कि इसके नीचे एक प्राचीन नगरी की मौजूदगी का दावा भी किया जा रहा है। इस तालाब के नीचे एक बसी हुई प्राचीन नगरी के अवशेषों का पता लगाने के लिए भोपाल के सांसद आलोक शर्मा ने संसद की स्थायी समिति के समक्ष एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। उनका मानना है कि इस नगरी के अवशेषों की खोज से भोपाल की ऐतिहासिक धरोहर को उजागर किया जा सकता है।
आलोक शर्मा का प्रस्ताव और संसद में चर्चा
भोपाल के सांसद आलोक शर्मा ने सोमवार को संसद भवन में शहरी मामलों की स्थायी समिति की बैठक में इस ऐतिहासिक स्थल के सर्वेक्षण की मांग की। उनका कहना है कि भोपाल के इस ऐतिहासिक तालाब में एक प्राचीन नगरी के अवशेष मौजूद हैं, जिनमें दो मीनारें और प्राचीन दीवारें भी शामिल हैं। सांसद शर्मा ने सुझाव दिया कि इन अवशेषों की वैज्ञानिक जांच और खोज की जानी चाहिए, ताकि भोपाल की धरोहर को दुनिया के सामने लाया जा सके।
भोपाल की ऐतिहासिकता और सांस्कृतिक महत्व
आलोक शर्मा ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि भोपाल एक ऐतिहासिक शहर है, जिसे राजाओं और महाराजों का शहर कहा जाता है। यहां की धरोहर 11वीं सदी से जुड़ी हुई है, और यह नगर प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। भोपाल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को सामने लाने के लिए यह जरूरी है कि इन अवशेषों का संरक्षण और प्रचार किया जाए। इसके साथ ही, यह भी ज़रूरी है कि भोपाल की ऐतिहासिकता को और बेहतर तरीके से संजोने के लिए इस प्राचीन नगरी के अवशेषों की खोज की जाए।
तालाब के पानी के नीचे क्या है?
भोपाल के बड़े तालाब में पानी के नीचे कई महत्वपूर्ण अवशेष मौजूद हैं, जो वर्षों से लोगों के लिए चर्चा का विषय रहे हैं। सांसद आलोक शर्मा का मानना है कि इन अवशेषों की खोज के बाद भोपाल के ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में और अधिक जानकारी मिल सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तालाब में जो अवशेष मौजूद हैं, उनमें दो मीनारों और प्राचीन दीवारों का उल्लेख किया गया है। यह अवशेष बेशक इस तालाब के नीचे गहरे पानी में दबे हुए हैं, लेकिन उनकी खोज से भोपाल की समृद्ध धरोहर को एक नई दिशा मिल सकती है।
ASI द्वारा तैयार किया गया प्रस्ताव
इससे पहले, 2009-10 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) भोपाल सर्कल ने इस तालाब में दबे हुए महल और किले के अवशेषों की खोज के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया था। इस प्रस्ताव में यह सुझाव दिया गया था कि इस तालाब के पानी के नीचे समुद्री पुरातत्व के विशेषज्ञों द्वारा सर्वेक्षण किया जाए। इसका उद्देश्य यह था कि तालाब के नीचे दबे हुए ऐतिहासिक अवशेषों का पता लगाया जा सके। हालांकि, इस प्रस्ताव को केंद्रीय स्तर पर मंजूरी नहीं मिल पाई क्योंकि उस समय समुद्री पुरातत्व विशेषज्ञों की कमी थी। इसके कारण यह महत्वपूर्ण शोध कार्य रुक गया था।
11वीं सदी में राजा भोज द्वारा बनवाया गया तालाब
भोपाल का बड़ा तालाब 11वीं सदी में राजा भोज द्वारा बनवाया गया था, जो परमार वंश के एक महान सम्राट थे। राजा भोज ने इस तालाब को न केवल भोपाल नगर की खूबसूरती बढ़ाने के लिए बनवाया, बल्कि यह तालाब बाढ़ नियंत्रण और जल आपूर्ति के लिए भी महत्वपूर्ण था। इस तालाब को एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील माना जाता है, और इसका क्षेत्रफल 31 वर्ग किलोमीटर है। तालाब के बीच में स्थित तकीया द्वीप पर शाह अली शाह रहमतुल्लाह की मजार भी बनी हुई है। यह तालाब न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अहम है।
तालाब के अवशेषों की खोज का महत्व
भोपाल के इस बड़े तालाब के पानी के नीचे दबे हुए अवशेषों की खोज करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह खोज न केवल भोपाल की ऐतिहासिकता को उजागर कर सकती है, बल्कि यह शहर के पर्यटन और संस्कृति को भी नई पहचान दे सकती है। इस खोज से यह भी पता चल सकता है कि इस तालाब के नीचे कौन से महल, किले या धार्मिक स्थल दबे हुए हैं, जो प्राचीन काल में भोपाल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते थे।
क्या है अगले कदम?
मध्य प्रदेश के सांसद आलोक शर्मा ने संसद की स्थायी समिति में इस विषय पर चर्चा करते हुए यह मांग की है कि इस तालाब के पानी के नीचे दबे हुए अवशेषों की खोज के लिए एक वैज्ञानिक और तकनीकी सर्वेक्षण किया जाए। इस सर्वेक्षण में समुद्री पुरातत्व विशेषज्ञों की मदद ली जानी चाहिए ताकि इस प्राचीन नगरी के अवशेषों को सुरक्षित और संरक्षित किया जा सके।
भोपाल का बड़ा तालाब न केवल इस शहर की खूबसूरती का हिस्सा है, बल्कि इसके पानी के नीचे एक प्राचीन नगरी के अवशेष दबे हुए हैं, जिनका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। यदि इन अवशेषों की खोज की जाती है, तो यह भोपाल और मध्य प्रदेश की धरोहर को एक नई पहचान दिला सकता है। इसके लिए सांसद आलोक शर्मा का प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भोपाल की ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए अत्यंत जरूरी है।