Madhya pradesh news: कहीं कोई आतंकी गतिविधि तो नहीं! हाई सिक्योरिटी सेंट्रल जेल में मिला चाइनीज ड्रोन, प्रशासन की उड़ी नींद
Madhya pradesh news: राज्य की हाई सिक्योरिटी सेंट्रल जेल में एक चाइनीज़ ड्रोन मिलने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। यह घटना बुधवार को तब सामने आई जब एक जेल गार्ड ने बी-ब्लॉक बिल्डिंग के पास एक काले रंग का ड्रोन देखा। यह ड्रोन किस उद्देश्य से जेल परिसर में आया, इसकी जांच शुरू कर दी गई है। प्रशासन को डर है कि कहीं इसके पीछे कोई आतंकी गतिविधि या साजिश तो नहीं है। इस मामले में पुलिस और जेल प्रशासन दोनों ही गंभीरता से जांच कर रहे हैं।
ड्रोन का पता कैसे चला?
भोपाल सेंट्रल जेल के जेल अधीक्षक राकेश कुमार बांगरे ने बताया कि बुधवार दोपहर 3:30 से 4 बजे के बीच एक गार्ड जेल के बी-ब्लॉक के पास गश्त पर था, तभी उसे एक काले रंग का ड्रोन उड़ता हुआ दिखाई दिया। गार्ड ने तुरंत ड्रोन को पकड़ लिया और इसकी सूचना अधिकारियों को दी। यह ड्रोन लगभग 30-40 ग्राम वजन का था और पूरी तरह से चार्ज था। शुरुआती जांच में यह पता चला है कि इस ड्रोन का लैंडिंग स्थल जेल परिसर में नहीं था, और ऐसा लगता है कि यह किसी छोटे बच्चे का हो सकता है, जो खेलते हुए इसे यहां तक ले आया हो।
हाई सिक्योरिटी जेल में सुरक्षा का सवाल
भोपाल सेंट्रल जेल में इस समय 3600 बंदी हैं, जबकि जेल की क्षमता केवल 2600 बंदियों की है। इनमें से 32 बंदी उस प्रतिबंधित संगठन SIMI (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) से हैं, जो जेल के हाई सिक्योरिटी सेक्शन में बंद हैं। इस जेल की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, खासकर जब यह मामला सामने आया है कि एक ड्रोन आसानी से जेल के पास तक पहुंच सकता है। यदि यह ड्रोन आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा होता, तो यह सुरक्षा के लिहाज से एक गंभीर मुद्दा बन सकता था।
क्या है आतंकवादी कनेक्शन?
प्रशासन के लिए यह सवाल बेहद महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या इस ड्रोन का इस्तेमाल किसी आतंकवादी साजिश के लिए किया जा रहा था। एक चाइनीज़ ड्रोन का मिलना इस बात का संकेत हो सकता है कि कोई विदेशी एजेंसी या आतंकी संगठन इसका इस्तेमाल कर रहा था। हालांकि, अभी तक ऐसी कोई पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सुरक्षा अधिकारियों ने इस मामले की गहरी जांच शुरू कर दी है। गांधी नगर पुलिस को ड्रोन सौंप दिया गया है और वे इस बात की जांच कर रहे हैं कि यह ड्रोन कहां से आया और इसका उद्देश्य क्या था।
2016 में हुआ था बड़ा सुरक्षा उल्लंघन
यह पहली बार नहीं है जब भोपाल सेंट्रल जेल सुर्ख़ियों में आई है। नवंबर 2016 में आठ SIMI के बंदियों ने जेल से फरार होने के बाद एक जेल गार्ड को मार डाला था। इसके बाद पुलिस ने इन फरार आतंकियों का पीछा किया और उन्हें एनकाउंटर में मार गिराया। यह घटना मध्य प्रदेश पुलिस और जेल प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई थी और जेल की सुरक्षा में कई सुधार किए गए थे। लेकिन इस नए मामले ने एक बार फिर जेल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
प्रशासन की ओर से की जा रही जांच
जेल प्रशासन ने चाइनीज़ ड्रोन की बरामदगी के बाद तुरंत इसकी जानकारी गांधी नगर पुलिस को दी है, जिन्होंने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ड्रोन को भेजने वाला व्यक्ति कौन था और उसका मकसद क्या था। इस मामले में पुलिस ने विभिन्न पहलुओं से जांच शुरू कर दी है, जिसमें ड्रोन की तकनीकी जानकारी, उसके रूट और उसके जरिए भेजे जाने वाली वस्तुओं की जांच शामिल है।
क्या ड्रोन के जरिए कोई आपत्तिजनक सामान भेजा जा रहा था?
एक और सवाल जो इस मामले में उठ रहा है वह यह है कि क्या इस ड्रोन के जरिए जेल के भीतर कोई आपत्तिजनक सामान भेजा जा रहा था। ड्रोन का इस्तेमाल कई बार जेलों में मादक पदार्थों, मोबाइल फोन, और हथियारों की आपूर्ति के लिए किया जाता है। हालांकि इस बार ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन जांच के दौरान पुलिस यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि कहीं ड्रोन के जरिए कोई ऐसी सामग्री तो नहीं भेजी गई थी।
भविष्य में जेल सुरक्षा के लिए प्रशासन की योजना
इस घटना ने जेल सुरक्षा की कमजोरियों को उजागर किया है। अब प्रशासन को इस बात पर विचार करना होगा कि ऐसे ड्रोन हमलों से कैसे निपटा जाए। कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि जेलों के चारों ओर ड्रोन को पकड़ने के लिए नए उपकरणों की आवश्यकता हो सकती है, ताकि भविष्य में इस तरह के मामलों से बचा जा सके। इसके अलावा, अधिक कठोर सुरक्षा उपायों की जरूरत है ताकि कोई भी ड्रोन बिना पकड़े जेल तक न पहुंच सके।
भोपाल सेंट्रल जेल में मिले चाइनीज़ ड्रोन ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है और सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है। हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि इसका उद्देश्य क्या था, लेकिन प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और इस मामले को गंभीरता से लिया है। आने वाले समय में यह देखना होगा कि प्रशासन इस चुनौती का कैसे सामना करता है और जेल सुरक्षा में कितने सुधार किए जाते हैं।