मध्य प्रदेश

OBC आरक्षण पर हाईकोर्ट सख्त, मध्य प्रदेश सरकार को दो हफ्ते में देना होगा जवाब

मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को जनसंख्या के अनुपात में लागू करने की याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैथ और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का अंतिम मौका दिया है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि अगर इस बार भी सरकार जवाब नहीं देती है तो 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

ओबीसी वर्ग के लिए दायर हुई याचिका

गौरतलब है कि ‘एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस’ ने साल 2024 में हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें 2011 की जनगणना के आधार पर ओबीसी वर्ग की आबादी 50.9% बताई गई थी। वहीं, अनुसूचित जाति (SC) की जनसंख्या 15.6% और अनुसूचित जनजाति (ST) की जनसंख्या 21.14% है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इसके बावजूद राज्य में ओबीसी को केवल 14% आरक्षण दिया जा रहा है। याचिका में मांग की गई कि ओबीसी वर्ग को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाए।

11 सुनवाई हो चुकी, सरकार ने अब तक नहीं दिया जवाब

‘यूनियन फॉर डेमोक्रेसी’ के वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि याचिका दायर होने के बाद से अब तक 11 बार सुनवाई हो चुकी है, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने एक भी बार जवाब नहीं दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि वे अपने-अपने राज्यों में ओबीसी वर्ग की आर्थिक और सामाजिक स्थिति जानने के लिए आयोग गठित करें। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आयोग का गठन तो हुआ, लेकिन सरकार यह स्पष्ट नहीं कर पाई कि वह ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाना चाहती है या नहीं।

हाईकोर्ट ने सरकार को दी कड़ी चेतावनी

लगातार सुनवाई के बावजूद राज्य सरकार के लापरवाह रवैये से नाराज हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सरकार को अल्टीमेटम दे दिया। कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार अगली सुनवाई से पहले दो हफ्ते में जवाब दाखिल करे, अन्यथा 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 16 जून को होगी। अब देखना होगा कि हाईकोर्ट की इस कड़ी फटकार के बाद राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण को लेकर क्या रुख अपनाती है।

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