छत्तीसगढ

पटवारी से SDM तक फंसे जांच के जाल में भरतमाला घोटाले ने हिला दिया राजस्व विभाग

छत्तीसगढ़ के भारतमाला परियोजना में हुए मुआवजा घोटाले को लेकर एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीमों ने शुक्रवार को कई जिलों में एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई रायपुर से लेकर बिलासपुर दुर्ग भिलाई और नवां रायपुर तक फैली हुई है। जांच टीम ने पटवारी तहसीलदार राजस्व निरीक्षक और कई वरिष्ठ अधिकारियों के घरों पर एक साथ दस्तक दी। खास बात यह रही कि यह छापे सुबह 6 बजे से ही शुरू हो गए और पूरे दिन भर चले। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अफसरों के ठिकानों से बड़ी मात्रा में नकदी सोना और जमीन के कागजात मिले हैं।

SDM और तहसीलदार के घरों पर भी छापा

इस कार्रवाई के तहत पूर्व SDM निर्भय साहू और शशिकांत कुर्रे के रायपुर स्थित घरों में दस्तावेजों की गहन जांच की गई। साथ ही बिलासपुर में अतिरिक्त तहसीलदार लक्षेश्वर राम के घर पर भी ईओडब्ल्यू की टीम सुबह से डटी रही। इस दौरान उनके परिजनों ने छापे का विरोध भी किया लेकिन अधिकारी कार्रवाई में लगे रहे। भारतमाला परियोजना के इस घोटाले में कई अफसरों के खिलाफ गंभीर आरोप सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि जांच के लिए कुल 20 से ज्यादा स्थानों पर छापे मारे गए हैं जिनमें सरकारी दफ्तर से लेकर निजी ठिकाने तक शामिल हैं।

पटवारी से SDM तक फंसे जांच के जाल में भरतमाला घोटाले ने हिला दिया राजस्व विभाग

कौन कौन अफसर जांच के घेरे में आए

जिन अधिकारियों और कर्मचारियों के ठिकानों पर ईओडब्ल्यू-एसीबी ने छापेमारी की उनमें निर्भय कुमार साहू जितेंद्र साहू दिनेश पटेल योगेश कुमार देवांगन शशिकांत कुर्रे लक्षेश्वर प्रसाद लेखराम देवांगन रोशन लाल वर्मा बसंती धरितलहरे उमा तिवारी हरमीत सिंह हनुजा विजय जैन और कुछ प्राइवेट कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हैं। एक नाम दशमेश इंट्रा वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड का भी सामने आया है। इस कार्रवाई से राजस्व विभाग में हड़कंप मच गया है और अब कई और नाम भी जांच के घेरे में आ सकते हैं।

क्या है भारतमाला घोटाले का पूरा मामला

भारत सरकार के भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर से विशाखापत्तनम तक आर्थिक कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इसके लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण होना था और उन्हें मुआवजा मिलना था। लेकिन अधिकारियों ने इस जमीन को छोटे छोटे टुकड़ों में दिखाकर अधिक मुआवजा दर्शाया और एनएचएआई से 78 करोड़ रुपये की मंजूरी दिलाई जबकि असली लागत केवल 35 करोड़ रुपये थी। यानी करीब 43 करोड़ 18 लाख रुपये की हेराफेरी की गई। इस पूरे मामले में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने पीएमओ को पत्र लिखकर शिकायत की थी। जिसके बाद यह कार्रवाई शुरू हुई और अब उम्मीद की जा रही है कि सीबीआई जांच भी जल्द शुरू हो सकती है।

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