मध्य प्रदेश

दौर में सफाई सर्वेक्षण की देरी, लेकिन आठवीं बार नंबर 1 बनने की तैयारी पूरी

इंदौर, जो सात बार से लगातार स्वच्छता में अव्वल रहा है, इस बार भी अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए पूरी तरह तैयार है। हालांकि, इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में काफी देरी हुई है। पिछले साल दिसंबर में नतीजे घोषित किए गए थे, लेकिन इस बार फरवरी बीतने को है और अभी तक सर्वेक्षण शुरू नहीं हुआ है।

दिल्ली से संकेत मिले हैं कि 15 फरवरी के बाद कभी भी स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम इंदौर आ सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए इंदौर नगर निगम ने पिछले तीन महीनों से तैयारी शुरू कर दी थी। अधिकारी और कर्मचारी स्वच्छता मानकों को पूरा करने के लिए पूरी ताकत से जुटे हुए हैं, ताकि शहर एक बार फिर देश में स्वच्छता का सिरमौर बन सके।

चुनौतियों के बावजूद इंदौर की स्वच्छता को बरकरार रखने की कोशिश

इस बार इंदौर को स्वच्छता सर्वेक्षण में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शहर के कुछ इलाकों में फिर से खुले में कचरा दिखाई देने लगा था, जिसे नगर निगम ने युद्ध स्तर पर हटाया। 100% डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण को फिर से प्रभावी बनाया गया, ताकि किसी भी इलाके में गंदगी ना दिखे।

इंदौर के पिछलियों (बैकलेन्स) की सफाई एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी। सर्वेक्षण में इन जगहों पर कड़ी निगरानी रखी जाती है और अक्सर इन्हें सफाई में कमजोर कड़ी माना जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए, नगर निगम ने पिछले 15 दिनों से इन इलाकों पर विशेष ध्यान दिया। जगह-जगह जुर्माने लगाए गए, ताकि लोग दोबारा गलियों में कचरा न डालें।

दौर में सफाई सर्वेक्षण की देरी, लेकिन आठवीं बार नंबर 1 बनने की तैयारी पूरी

हालांकि, इस बार नालों की सफाई को लेकर थोड़ी परेशानी आ सकती है। नालों से कचरा तो हटाया गया है, लेकिन उनमें मौजूद सिल्ट और गंदगी के कारण इंदौर को कम अंक मिलने की संभावना बनी हुई है।

इंदौर की सबसे बड़ी ताकत – जनता की भागीदारी

इंदौर की स्वच्छता की सबसे बड़ी ताकत यहां की जनता है। लोग कचरे को इधर-उधर फेंकने की बजाय उसे अपने घरों या संस्थानों में जमा रखते हैं और सुबह नगर निगम के वाहनों को सौंप देते हैं। इसी वजह से सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी देखने को नहीं मिलती।

इंदौर ‘ज़ीरो डस्टबिन’ सिटी है, यानी यहां खुले में कचरा डालने की कोई जगह नहीं है। इसके विपरीत, देश के कई अन्य शहरों में जगह-जगह कचरे के ढेर देखने को मिलते हैं। इस बार स्वच्छता के साथ-साथ नगर निगम ने शहर को खूबसूरत बनाने पर भी ध्यान दिया है।

सड़कों के डिवाइडर्स को नए रंगों से सजाया गया है, दीवारों पर आकर्षक पेंटिंग्स बनाई गई हैं और सार्वजनिक स्थानों पर सौंदर्यीकरण कार्य किए गए हैं। नगर निगम का कहना है कि स्वच्छता और सुंदरता, दोनों को मिलाकर इंदौर को एक नई पहचान देने की कोशिश की जा रही है।

इंदौर प्रीमियर लीग में, टॉप तीन शहरों में शामिल

इस बार इंदौर को देश की स्वच्छता प्रीमियर लीग में शामिल किया गया है। इस सूची में सूरत और नवी मुंबई भी शामिल हैं। इन तीनों शहरों का मूल्यांकन अलग पैमाने पर किया जाएगा। पिछले साल भी ये तीनों शहर शीर्ष स्थानों पर थे।

नगर निगम कमिश्नर शिवम वर्मा ने बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम 15 फरवरी के बाद कभी भी इंदौर आ सकती है और नगर निगम की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।

इंदौर के नागरिकों को उम्मीद है कि इस बार भी शहर स्वच्छता में पहला स्थान हासिल करेगा और लगातार आठवीं बार स्वच्छ शहर बनने का रिकॉर्ड बनाएगा। अब देखना यह होगा कि जब सर्वेक्षण टीम इंदौर पहुंचेगी तो उसकी रिपोर्ट में शहर की सफाई कितनी बेहतर साबित होती है।

नगर निगम की विशेष तैयारियां और रणनीति

इंदौर नगर निगम ने इस बार कुछ खास रणनीतियां अपनाई हैं ताकि सर्वेक्षण में अच्छे अंक मिल सकें:

  1. 24×7 सफाई अभियान – सफाई कर्मचारी दिन-रात शहर को चमकाने में जुटे हुए हैं।
  2. डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण – 100% कवर किया गया ताकि कहीं भी कचरा न दिखे।
  3. बैकलेन्स की सफाई – गलियों में सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया है।
  4. दीवारों पर पेंटिंग और सौंदर्यीकरण – स्वच्छता के साथ-साथ शहर को सुंदर बनाने पर जोर दिया गया है।
  5. नालों की सफाई – नालों से कचरा हटाया गया है, हालांकि इसमें और सुधार की जरूरत है।
  6. जुर्माना और सख्ती – जगह-जगह कचरा फेंकने वालों पर जुर्माना लगाया जा रहा है।

नगर निगम और इंदौर की जनता की मेहनत और प्रयासों से उम्मीद है कि इस बार भी इंदौर स्वच्छता में नंबर वन बनेगा। बस अब इंतजार है स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम के आने और नतीजों के घोषित होने का।

क्या इंदौर आठवीं बार भी रहेगा नंबर 1?

अब सवाल यह है कि क्या इंदौर आठवीं बार भी स्वच्छता में नंबर 1 बना रहेगा? नगर निगम और जनता की मेहनत देखकर तो यही लगता है कि शहर फिर से अपनी जगह बरकरार रख सकता है। लेकिन, इस बार कुछ चुनौतियां भी हैं जिनसे निपटना जरूरी होगा।

स्वच्छता सर्वेक्षण में जनता की भागीदारी अहम होती है। यदि नागरिक इसी तरह सफाई का ध्यान रखते रहे और नगर निगम अपनी रणनीति को प्रभावी रूप से लागू करता रहा, तो इंदौर को फिर से नंबर 1 बनने से कोई नहीं रोक सकता।

अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि कब सर्वेक्षण टीम इंदौर आती है और क्या नतीजे सामने आते हैं। इंदौर एक बार फिर से स्वच्छता की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है!

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