Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के एंटी नक्सल अभियान के बीच माओवादी और नक्सली की लड़ाई का सच

Chhattisgarh के नारायणपुर जिले में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच एक बड़ी मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में पुलिस ने दावा किया कि 27 माओवादी मारे गए हैं। पुलिस के अनुसार, इन माओवादियों में बड़ा नेता नमबल्ला केशव राव उर्फ बसवराज भी शामिल था। बस्तर पुलिस ने बताया कि यह पहली बार हुआ है कि किसी माओवादी जनरल सेक्रेटरी स्तर का नेता मारा गया है। बस्तर के आईजी सुन्दरराज ने कहा कि 2024 में नक्सलियों के खिलाफ जो अभियान चलाया गया, उसी कड़ी कार्रवाई को 2025 में भी जारी रखा जाएगा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि माओवादी और नक्सली में क्या फर्क है।
नक्सलवाद क्या है?
नक्सलवाद या नक्सलवाद एक आंदोलन है जो भारत में मुख्य रूप से जमीन रहित किसानों, आदिवासियों और मजदूरों के अधिकारों की लड़ाई के लिए शुरू हुआ था। यह आंदोलन 1967 में पश्चिम बंगाल के दर्जिलिंग जिले के नक्सलबाड़ी गांव से शुरू हुआ था। इसके नेता चारु मजूमदार और कन्नू सान्याल थे। उन्होंने किसानों को ज़मीनदारों के खिलाफ संगठित किया। यह आंदोलन बिहार, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र तक फैल गया। इसमें मुख्य रूप से गरीब और जमीन रहित किसान शामिल थे जो अन्याय के खिलाफ लड़ रहे थे। इस आंदोलन में शामिल लोगों को नक्सली कहा गया।
माओवादी क्या है?
वहीं माओवादी विचारधारा आधुनिक चीन के संस्थापक माओ त्से तुंग से जुड़ी है। यह विचारधारा सशस्त्र संघर्ष और हिंसक क्रांति के माध्यम से सत्ता हासिल करने की बात करती है। भारत में माओवादी आंदोलन तब शुरू हुआ जब नक्सली आंदोलन के दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन हुआ और एक गुट माओवादी विचारधारा की ओर बढ़ा। माओवादी नक्सलवाद से एक कदम आगे था क्योंकि यह अधिक सशस्त्र और कट्टर था।
माओवादी और नक्सली में क्या अंतर है?
माओवादी और नक्सली दोनों ही हिंसा से जुड़े हुए हैं और कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित हैं, लेकिन इनके बीच बड़ा फर्क है। नक्सलवाद नक्सलबाड़ी गांव से शुरू हुआ था और यह भारत के स्थानीय किसानों और आदिवासियों की लड़ाई थी। जबकि माओवादी विदेशी राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित है। माओवादी विचारधारा को भारत में 1962 में चीन के साथ युद्ध के बाद बल मिला। नक्सलवाद स्थानीय संघर्ष था जबकि माओवादी एक सशस्त्र क्रांतिकारी आंदोलन है जो राजनीतिक और सैद्धांतिक स्तर पर अलग है।