Chhattisgarh में अंधविश्वास का खौफनाक मामला, पोते ने की दादी की हत्या, शिवलिंग पर चढ़ाया खून, खुद को बलिदान करने की कोशिश में बेहोश
अंधविश्वास के एक और भयावह मामले ने प्रदेश को झकझोर दिया है। दुर्ग जिले के नंदिनी थाना क्षेत्र में एक पोते ने अंधविश्वास के चलते अपनी दादी की निर्मम हत्या कर दी और उसके खून से शिवलिंग का अभिषेक किया। इसके बाद उसने खुद को भगवान शिव को अर्पित करने की कोशिश की, लेकिन इस प्रक्रिया में वह बेहोश हो गया। पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।
नंदिनी थाना क्षेत्र में दिल दहला देने वाली घटना
यह घटना छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के नंदिनी थाना क्षेत्र की है। शनिवार रात को इस इलाके में एक पोते ने अपनी दादी की बेरहमी से हत्या कर दी। आरोपी ने दादी पर तेज धारदार हथियार से हमला किया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। हत्या के बाद, आरोपी ने अपनी दादी के खून से शिवलिंग का अभिषेक किया और उसके चारों ओर खून से शिव का नाम भी लिखा। इस दिल दहला देने वाली घटना ने इलाके में सनसनी फैला दी है।
खुद को बलिदान करने की कोशिश
दादी की हत्या और शिवलिंग पर खून से अभिषेक करने के बाद, आरोपी पोते ने खुद को भगवान शिव को अर्पित करने का प्रयास किया। उसने आत्महत्या की कोशिश की, लेकिन इस प्रयास में वह बेहोश हो गया। स्थानीय लोगों ने घटना की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपी को बेहोशी की हालत में उसके घर के पास पाया। पुलिस ने तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराया और मामले की छानबीन शुरू कर दी है।
अंधविश्वास का खौफनाक रूप
इस घटना ने एक बार फिर अंधविश्वास के खतरों को उजागर किया है। समाज में अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र की आड़ में होने वाली ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। इस मामले में भी आरोपी ने अंधविश्वास के चलते अपनी दादी की हत्या की। पुलिस अभी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस हत्या के पीछे क्या असल वजह थी और क्या आरोपी किसी प्रकार के मानसिक दबाव या भ्रम का शिकार था।
शक्ति में अंधविश्वास का एक और मामला
यह पहली बार नहीं है जब छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास का मामला सामने आया है। कुछ ही दिनों पहले शक्ति जिले में भी अंधविश्वास से जुड़ी एक भयावह घटना सामने आई थी। यहां पर एक परिवार के सभी सदस्य सात दिनों तक बिना खाए-पीए बाबा जय गुरुदेव के नाम का जाप कर रहे थे। परिवार के सभी सदस्य इस अंधविश्वास में थे कि इससे उन्हें कोई अद्भुत शक्ति प्राप्त होगी।
जाप के दौरान, परिवार के सदस्यों की तबियत धीरे-धीरे बिगड़ने लगी। जब गांव के लोगों ने देखा कि कई दिनों से यह परिवार बाहर नहीं आया है, तब पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस जब घर का दरवाजा तोड़कर अंदर पहुंची, तो वहां का दृश्य भयावह था। परिवार के दो सदस्यों की मौत हो चुकी थी, दो बेहोशी की हालत में थे और दो की मानसिक स्थिति गंभीर रूप से बिगड़ चुकी थी। एक महिला तो इस हद तक मानसिक रूप से विचलित थी कि वह पागलों की तरह प्रवचन दे रही थी।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
पुलिस ने दोनों घटनाओं में सक्रिय होकर कार्रवाई की है। दुर्ग जिले की घटना में, आरोपी पोते को पुलिस ने अस्पताल में भर्ती कराया है और हत्या के कारणों की जांच कर रही है। वहीं, शक्ति जिले की घटना में भी पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अंधविश्वास के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। इन घटनाओं ने समाज में अंधविश्वास के प्रति जागरूकता और सख्त कानूनों की आवश्यकता को एक बार फिर सामने रखा है।
अंधविश्वास से बचाव के लिए जागरूकता की जरूरत
अंधविश्वास के कारण हो रही इन घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि समाज में जागरूकता की कमी है और लोग आसानी से अंधविश्वास के चंगुल में फंस जाते हैं। अंधविश्वास न केवल मानसिक तनाव और भय का कारण बनता है, बल्कि कई बार यह लोगों को हिंसक और अमानवीय कृत्यों की ओर भी धकेल देता है।
सरकार और समाजसेवी संगठनों को मिलकर लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है ताकि अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र की ओर झुकाव को रोका जा सके। पुलिस और प्रशासन को भी ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि समाज में अंधविश्वास से जुड़ी घटनाएं कम हो सकें और लोग तर्कसंगत सोच को अपना सकें।