योगी सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत, संभल मामले में एक याचिका वापस

उत्तर प्रदेश सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से संबल मामले में बड़ी राहत मिली है। वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. आनंद शंकर तिवारी ने हाईकोर्ट में दायर अपनी जनहित याचिका (PIL) वापस ले ली है। इस याचिका में संबल हिंसा से संबंधित पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की गई थी।
पेटीशनर ने कोर्ट से दी राहत
कुछ दिन पहले जब यह PIL दायर की गई थी, तो उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग की नियुक्ति कर दी थी। न्यायिक आयोग ने 3 दिन पहले संबल पहुंचकर जांच शुरू भी कर दी थी। इसके बाद, हाईकोर्ट ने इस याचिका को निराधार मानते हुए मामले में दखल देने से इंकार कर दिया।
हाईकोर्ट ने याचिका को निरस्त किया
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को यह सुविधा दी कि यदि उन्हें न्यायिक आयोग की रिपोर्ट से संतुष्टि नहीं होती है, तो वे बाद में नई याचिका दायर कर सकते हैं। अदालत ने आज की सुनवाई में कहा कि न्यायिक आयोग ने काम शुरू कर दिया है और याचिकाकर्ता की मांग पहले ही स्वीकार कर ली गई है। इस स्थिति में अब इस PIL का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट की सलाह पर याचिकाकर्ता ने अपनी PIL वापस ले ली।
पेटीशनर के पक्ष में सीनियर वकील ने की पेशी
आज की सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर वकील इमरान उल्ला और विनीत विक्रम कोर्ट में पेश हुए। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अश्वनी मिश्रा और न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की डिवीजन बेंच ने की।
दूसरी PIL की सुनवाई में देरी
संबल हिंसा से संबंधित दूसरी PIL की सुनवाई आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में नहीं हो पाई। दिल्ली स्थित संगठन “Association of Protection of Civil Rights” द्वारा दायर इस PIL को आज चीफ जस्टिस कोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन तकनीकी कारणों से मामला आज नहीं सुना जा सका। अब इस मामले की सुनवाई कल नई बेंच में की जाएगी।
महाराष्ट्र स्थित संगठन की PIL पर भी सुनवाई कल
इसके अलावा, महाराष्ट्र स्थित संगठन “Hazrat Khwaja Garib Nawaz Trust” द्वारा दायर की गई PIL की सुनवाई भी कल होने की संभावना है।
सरकार को मिली राहत, हाईकोर्ट ने दखल देने से किया इंकार
उत्तर प्रदेश सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक बड़ी राहत मिली है, क्योंकि हाईकोर्ट ने आज संबल हिंसा मामले में दखल देने से इंकार कर दिया। हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि चूंकि मामले की न्यायिक जांच शुरू हो चुकी है और याचिकाकर्ता की मांग पहले ही मान ली गई है, ऐसे में इस PIL का कोई औचित्य नहीं बनता।
न्यायिक आयोग द्वारा जांच जारी
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सरकार ने पहले ही संबल हिंसा मामले की न्यायिक जांच के लिए आयोग गठित किया है। आयोग ने अपनी जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है और फिलहाल काम जारी है। यदि भविष्य में कोई पक्ष न्यायिक आयोग की रिपोर्ट से असंतुष्ट होता है, तो उसके पास उच्च न्यायालय में नई याचिका दायर करने का विकल्प रहेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को संबल मामले में एक बड़ी राहत दी है। जहां एक ओर एक याचिका वापस ली गई है, वहीं दूसरी ओर अन्य PILs की सुनवाई अब नई बेंच में होगी। यह घटनाक्रम सरकार और जनता के लिए एक महत्वपूर्ण विकास है, क्योंकि अब न्यायिक आयोग अपनी जांच जारी रखेगा और अगर किसी को रिपोर्ट से कोई आपत्ति होगी, तो वह अपनी शिकायत अदालत में दर्ज करवा सकता है।